अवधपुरी अति रुचिर बनाई: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:20, 6 June 2016
अवधपुरी अति रुचिर बनाई
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
- नवाह्नपारायण, आठवाँ विश्राम राम राज्याभिषेक, वेदस्तुति, शिवस्तुति
अवधपुरी अति रुचिर बनाई। देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई॥ |
- भावार्थ
अवधपुरी बहुत ही सुंदर सजाई गई। देवताओं ने पुष्पों की वर्षा की झड़ी लगा दी। श्री रामचंद्र जी ने सेवकों को बुलाकर कहा कि तुम लोग जाकर पहले मेरे सखाओं को स्नान कराओ॥1॥
left|30px|link=जहँ तहँ धावन पठइ पुनि|पीछे जाएँ | अवधपुरी अति रुचिर बनाई | right|30px|link=सुनत बचन जहँ तहँ जन धाए|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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