जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
 
Line 37: Line 37:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ-
;भावार्थ-
यमदूतों के मुख पर कालिख लगाने के लिए यह जगत में [[यमुना]] के समान है और जीवों को मुक्ति देने के लिए मानो काशी ही है। यह [[राम]] को पवित्र [[तुलसी]] के समान प्रिय है और तुलसीदास के लिए हुलसी ([[तुलसीदास]] की माता) के समान हृदय से हित करने वाली है।
यमदूतों के मुख पर कालिख लगाने के लिए यह जगत् में [[यमुना]] के समान है और जीवों को मुक्ति देने के लिए मानो काशी ही है। यह [[राम]] को पवित्र [[तुलसी]] के समान प्रिय है और तुलसीदास के लिए हुलसी ([[तुलसीदास]] की माता) के समान हृदय से हित करने वाली है।


{{लेख क्रम4| पिछला=असुर सेन सम नरक निकंदिनि |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सिवप्रिय मेकल सैल सुता सी}}
{{लेख क्रम4| पिछला=असुर सेन सम नरक निकंदिनि |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सिवप्रिय मेकल सैल सुता सी}}

Latest revision as of 13:54, 30 June 2017

जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी। जीवन मुकुति हेतु जनु कासी॥
रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी। तुलसिदास हित हियँ हुलसी सी॥

भावार्थ-

यमदूतों के मुख पर कालिख लगाने के लिए यह जगत् में यमुना के समान है और जीवों को मुक्ति देने के लिए मानो काशी ही है। यह राम को पवित्र तुलसी के समान प्रिय है और तुलसीदास के लिए हुलसी (तुलसीदास की माता) के समान हृदय से हित करने वाली है।


left|30px|link=असुर सेन सम नरक निकंदिनि|पीछे जाएँ जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी right|30px|link=सिवप्रिय मेकल सैल सुता सी|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख