प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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{अकबर का प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-65 | {[[अकबर]] का प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-65 | ||
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-बिहजाद | -बिहजाद | ||
-अबुल हसन | -[[अबुल हसन]] | ||
+अब्दुस्समद | +[[अब्दुस्समद]] | ||
-मनोहर | -[[मनोहर]] | ||
|| | ||[[अकबर]] ने [[अब्दुस्समद]] के अधीन [[चित्रकला]] के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की थी। अकबर ने इसे राजधानी में टकसाल का प्रभारी भी बनाया था। बाद में उसे सुल्तान का दीवान नियुक्त किया गया। | ||
{गीत गोविन्द के चित्र किस शैली में बने हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-4 | {[[गीत गोविन्द]] के चित्र किस शैली में बने हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-4 | ||
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- | -[[मुग़ल कालीन चित्रकला|मुग़ल]] | ||
-कांगड़ा | -[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा]] | ||
-बूंदी | -[[बूंदी चित्रकला|बूंदी]] | ||
+बसौली | +[[बसौली]] | ||
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बंगाल के अमर कवि जयदेव द्वारा लिखित 'गीत गोविन्द' को बसौली शैली में चित्रित करने का श्रेय महिला चित्रकार 'मानकू' को प्राप्त है। | [[बंगाल]] के अमर कवि [[जयदेव]] द्वारा लिखित '[[गीत गोविन्द]]' को [[बसौली|बसौली शैली]] में चित्रित करने का श्रेय महिला [[चित्रकार]] 'मानकू' को प्राप्त है। | ||
{नंदलाल बोस का जन्म कहां हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-41 | {[[नंदलाल बोस]] का जन्म कहां हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-41 | ||
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+मुंगेर | +[[मुंगेर]] | ||
-कलकत्ता | -[[कलकत्ता]] | ||
-चौबीस परगना | -चौबीस परगना | ||
- | -[[शांतिनिकेतन]] | ||
||नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसंबर, 1882 को बिहार के मुंगेर नगर में हुआ। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट तथा महाराजा दरभंगा की रियासत के मैनेजर थे। 16 अप्रैल, 1966 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में उनका देहांत हुआ। | ||[[नंदलाल बोस]] का जन्म [[3 दिसंबर]], [[1882]] को [[बिहार]] के [[मुंगेर]] नगर में हुआ। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट तथा महाराजा दरभंगा की रियासत के मैनेजर थे। [[16 अप्रैल]], [[1966]] को [[कलकत्ता]] (अब कोलकाता) में उनका देहांत हुआ। | ||
{कौन चित्रकार पद्म विभूषण से सम्मानित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-43 | {कौन [[चित्रकार]] [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-43 | ||
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+नंदलाल बोस | +[[नंदलाल बोस]] | ||
-रबीन्द्रनाथ टैगोर | -[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] | ||
-असित कुमार हल्दर | -असित कुमार हल्दर | ||
-जामिनी राय | -[[जामिनी राय]] | ||
||उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर अपने प्रारंभिक उत्तर-कुंची में (a) दिया था। किंतु परिवर्तित उत्तर-कुंजी में इस प्रश्न को गलत बताया है। यह समझ से परे है कि चयन बोर्ड ने किस आधार पर इसका उत्तर गलत माना है जबकि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के वेबसाइट पर पद्म विभूषण प्राप्तकर्ता के रूप में दिए गए विकल्पों में मात्र विकल्प (a) ही सही है। चयन बोर्ड यही प्रश्न अपने पूर्ववर्ती परीक्षा में पूछ चुका है | ||[[उत्तर प्रदेश]] माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर अपने प्रारंभिक उत्तर-कुंची में (a) दिया था। किंतु परिवर्तित उत्तर-कुंजी में इस प्रश्न को गलत बताया है। यह समझ से परे है कि चयन बोर्ड ने किस आधार पर इसका उत्तर गलत माना है जबकि [[भारत सरकार]] के गृह मंत्रालय के वेबसाइट पर पद्म विभूषण प्राप्तकर्ता के रूप में दिए गए विकल्पों में मात्र विकल्प (a) ही सही है। चयन बोर्ड यही प्रश्न अपने पूर्ववर्ती परीक्षा में पूछ चुका है | ||
{पूर्व मध्य कालीन (प्राकृत) कला के- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-34 | {पूर्व मध्य कालीन (प्राकृत) कला के- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-34 | ||
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-चित्रों में भावो का पूर्ण अभाव है। | -चित्रों में भावो का पूर्ण अभाव है। | ||
-चित्र उच्चकोटि के हैं। | -चित्र उच्चकोटि के हैं। | ||
||पूर्व मध्य कालीन या प्राकृत कला के चित्रों में लय एवं गति पूर्ण है क्योंकि इस शैली के रंगों की कोमलता होते हुए भी रेखाएं कर्कश, मुद्राएं उग्रता लिए तथा आकृतियों की अंग- | ||पूर्व मध्य कालीन या प्राकृत कला के चित्रों में लय एवं गति पूर्ण है क्योंकि इस शैली के रंगों की कोमलता होते हुए भी रेखाएं कर्कश, मुद्राएं उग्रता लिए तथा आकृतियों की अंग-भंगिमाएं अकड़-जकड़दार हैं। | ||
{निम्नलिखित में से कौन राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास का प्रधानाचार्य नहीं था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-191,प्रश्न-55 | {निम्नलिखित में से कौन राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, [[मद्रास]] का प्रधानाचार्य नहीं था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-191,प्रश्न-55 | ||
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-के.सी.एस. पनिकर | -के.सी.एस. पनिकर | ||
-देवी प्रसाद रायचौधरी | -[[देवी प्रसाद रायचौधरी]] | ||
-आर.कृष्ण राव | -आर.कृष्ण राव | ||
+दिनकर | +दिनकर कौशिक | ||
||दिनकर कौशिक राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास के प्रधानाचार्य नहीं थे। वे लखनऊ आर्ट स्कूल के प्रधानाचार्य रहे जबकि देवी प्रसाद रायचौधरी, के.सी.एस. पनिकर एवं आर. कृष्ण राव राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास के प्रधानाचार्य थे। देवी प्रसाद रायचौधरी (1929 में) इस विद्यालय के पहले भारतीय प्रधानाचार्य थे। | ||दिनकर कौशिक राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, [[मद्रास]] के प्रधानाचार्य नहीं थे। वे [[लखनऊ]] आर्ट स्कूल के प्रधानाचार्य रहे जबकि [[देवी प्रसाद रायचौधरी]], के.सी.एस. पनिकर एवं आर. कृष्ण राव राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास के प्रधानाचार्य थे। देवी प्रसाद रायचौधरी (1929 में) इस विद्यालय के पहले भारतीय प्रधानाचार्य थे। | ||
{7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के मध्य किस शैली का उद्भव एवं विकास हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-28 | {7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के मध्य किस शैली का उद्भव एवं विकास हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-28 | ||
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-राजपूत शैली | -[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] | ||
+जैन शैली | +[[जैन चित्रकला|जैन शैली]] | ||
-मुगल शैली | -[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल शैली]] | ||
-पाल शैली | -[[पाल चित्रकला|पाल शैली]] | ||
||जैन चित्र कागज पर 13वीं शताब्दी में बने। 7वीं से 12वीं शताब्दी तक संपूर्ण भारत में जैन शैली का विशेष प्रभाव रहा। प्रारंभ में ग्रंथों तथा चित्रों के निर्माण में ताल के पत्तों तथा बाद में | ||[[जैन चित्रकला|जैन चित्र]] कागज पर 13वीं शताब्दी में बने। 7वीं से 12वीं शताब्दी तक संपूर्ण [[भारत]] में जैन शैली का विशेष प्रभाव रहा। प्रारंभ में ग्रंथों तथा चित्रों के निर्माण में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ का प्रयोग किया गया। | ||
{मेवाड़ चित्रों का प्रिय विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-25 | {[[मेवाड़]] चित्रों का प्रिय विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-25 | ||
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-बुद्ध | -[[बुद्ध]] | ||
-दुष्यंत | -[[दुष्यंत]] | ||
-जैन | -[[जैन]] | ||
+कृष्ण | +[[कृष्ण]] | ||
||मेवाड़ शैली के चित्र काफी हद तक धार्मिक हैं। उनमें भी कृष्ण के चित्रण को सर्वाधिक प्रमुखता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त मेवाड़ शैली में नायिका भेद, रसिक प्रिया, भगवतपुराण, रामायण, आर्य रामायण, पंचतंत्र आदि मेवाड़ शैली के चित्रण के विषय रहे। | ||[[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]] के चित्र काफी हद तक धार्मिक हैं। उनमें भी [[कृष्ण]] के चित्रण को सर्वाधिक प्रमुखता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त मेवाड़ शैली में [[नायिका]] भेद, रसिक प्रिया, भगवतपुराण, [[रामायण]], आर्य रामायण, [[पंचतंत्र]] आदि मेवाड़ शैली के चित्रण के विषय रहे। | ||
{ईरान के राजाओं को किस सचित्र मुगल पोथियों में अंकित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-82 | {[[ईरान]] के राजाओं को किस सचित्र मुगल पोथियों में अंकित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-82 | ||
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-तुजुक-ए-जहांगीरी | -तुजुक-ए-जहांगीरी | ||
-आईन-ए-अकबरी | -आईन-ए-अकबरी | ||
-तूतीनामा | -तूतीनामा | ||
+शाहनामा | +[[शाहनामा]] | ||
||प्रमुख ईरानी ग्रंथ 'शाहनामा' का चित्रण अकबर काल में किया गया इसमें ईरान के राजाओं का चित्रण किया गया। | ||प्रमुख ईरानी ग्रंथ '[[शाहनामा]]' का चित्रण अकबर काल में किया गया इसमें [[ईरान]] के राजाओं का चित्रण किया गया। | ||
{नव बंगाल शैली किसकी देन थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-36 | {नव बंगाल शैली किसकी देन थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-36 | ||
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-क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार | -क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार | ||
-असित हल्दर | -असित हल्दर | ||
+नंदलाल बोस | +[[नंदलाल बोस]] | ||
-जामिनी राय | -[[जामिनी राय]] | ||
||नव बंगाल शैली कोई अलग शैली नहीं थीं बल्कि यह बंगाल शैली का ही एक रूप था। बंगाल शैली में 'वॉश पद्धति' को अधिकांश [[चित्रकार|चित्रकारों]] द्वारा अपनाया गया था लेकिन उन्हीं में से कुछ कलाकारों ने 'टेम्परा पद्धति' को अपनाया जिनमें प्रमुख रूप से आचार्य [[नंदलाल बोस]], क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार आदि थे। अत: बंगाल शैली जो कि 'वॉश शैली' पर आधारित थी, को टेम्परा शैली' में प्रयोग करने के कारण इसे 'नव बंगाल शैली' कहा जा सकता है | |||
||नव बंगाल शैली कोई अलग शैली नहीं थीं बल्कि यह बंगाल शैली का ही एक रूप था। बंगाल शैली में 'वॉश पद्धति' को अधिकांश चित्रकारों द्वारा अपनाया गया था लेकिन उन्हीं में से कुछ कलाकारों ने 'टेम्परा पद्धति' को अपनाया जिनमें प्रमुख रूप से आचार्य नंदलाल बोस, क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार आदि थे। अत: बंगाल शैली जो कि 'वॉश शैली' पर आधारित थी, को टेम्परा शैली' में प्रयोग करने के कारण इसे 'नव बंगाल शैली' कहा जा सकता है | |||
{'टर्नर' किसके लिए जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-13 | {'टर्नर' किसके लिए जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-13 | ||
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+भू-दृश्य चित्रकार | +भू-दृश्य चित्रकार | ||
-मुखाकृति चित्रकार | -मुखाकृति चित्रकार | ||
-मूर्तिकार | -[[मूर्तिकार]] | ||
||इंग्लैंड के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी कला के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया। | ||[[इंग्लैंड]] के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप [[चित्रकार|चित्रकारी]] के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी [[कला]] के द्वारा [[प्रकाश]] का प्रयोग विकसित किया। | ||
{बी.सी सान्याल थे, इनके समकालीन- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-62 | {बी.सी सान्याल थे, इनके समकालीन- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-62 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-राजा रवि वर्मा | -[[राजा रवि वर्मा]] | ||
+अमृता शेरगिल | +[[अमृता शेरगिल]] | ||
-वैन्गोघ | -वैन्गोघ | ||
-सेजां | -सेजां | ||
||बी.सी. सान्याल -(1901-2003) अमृता शेरगिल -(1913-1941) राजा रवि वर्मा -(1848-1906) वैन्गोघ अथवा वान गॉग -(1853-1890) पाल सेजां -(1839-1906) | ||बी.सी. सान्याल -(1901-2003) [[अमृता शेरगिल]] -(1913-1941) [[राजा रवि वर्मा]] -(1848-1906) वैन्गोघ अथवा वान गॉग -(1853-1890) पाल सेजां -(1839-1906) | ||
उपर्युक्त के आधार पर बी.सी. अमृता शेरगिक के समकालीन प्रतीत होते हैं। | उपर्युक्त के आधार पर बी.सी. अमृता शेरगिक के समकालीन प्रतीत होते हैं। | ||
{[[कबीरदास]] ने 'निर्वाण' कहां प्राप्त किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-226,प्रश्न-305 | |||
|type="()"} | |||
-[[वाराणसी]] | |||
-[[सारनाथ]] | |||
-[[गया]] | |||
+[[मगहर]] | |||
||[[कबीरदास]] को [[मगहर]] में 'निर्वाण' प्राप्ति हुई थी। इन्हीं के नाम पर मगहर से लगभग 7 किमी. दूर पश्चिम मुख्यालय बनाकर संत कबीर नजर जनपद का गठन किया गया है। | |||
{[[अश्वमेध यज्ञ]] के समय [[श्रीराम |श्रीराम]] ने किसकी स्वर्ण प्रतिमा का निर्माण करवाया? | |||
|type="()"} | |||
-[[दशरथ]] | |||
+[[सीता]] | |||
-[[हनुमान]] | |||
-[[लक्ष्मण]] | |||
||[[अश्वमेध यज्ञ]] के समय [[श्रीराम]] ने भवभूमि कृत 'उत्तररामचरित' में संस्कृत के कालजयी अमर ग्रंथ में वर्णित है कि अश्वमेध यज्ञ के लिए श्रीराम ने सीता की स्वर्ण प्रतिमा का निर्माण करवाया। | |||
{[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] की भित्ति-चित्रकारी में सतह को तैयार करने में किस तकनीक को अपनाया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-29,प्रश्न-5 | |||
|type="()"} | |||
+चावल की भूसी और गोंद सहित [[गाय]] का [[गोबर]] | |||
-चावल की भूसी और गोंद सहित पत्थर पाउडर | |||
-चावल की भूसी और गोंद सहित चिड़िया की बीट | |||
-चावल की भूसी और गोंद सहित मिट्टी | |||
||[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] की भित्ति-चित्रकारी में सतह को तैयार करने के लिए धान की भूसी, खड़िया, गोबर, बारीक बजरी का गारा प्रयोग किया जाता था। | |||
{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-1 | |||
|type="()"} | |||
-बिनोद बिहारी मुखर्जी | |||
-समरेंद्र नाथ गुप्त | |||
-शैलेंद्रनाथ डे | |||
+[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]] | |||
||[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]] अन्य तीनों [[चित्रकार|चित्रकारों]] से भिन्न हैं क्योंकि विकल्प के अन्य चित्रकार बंगाल स्कूल से संबंधित हैं जबकि बेन्द्रे बड़ौदा विश्वविद्यालय से संबंधित हैं। | |||
{'[[रस]]' कितने प्रकार के होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-156,प्रश्न-14 | |||
|type="()"} | |||
+9 | |||
-6 | |||
-5 | |||
-8 | |||
{लैंप और लकड़ी के बीच किसने पेंट किया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-100,प्रश्न-15 | |||
|type="()"} | |||
-[[आरा]] | |||
-रज़ा | |||
-[[राजकुमार]] | |||
+[[एम.एफ. हुसैन]] | |||
||[[एम.एफ. हुसैन]] प्रसिद्ध चित्र 'नीली रात' के [[चित्रकार]] हैं। इनकी कला यथार्थवादी चित्रांकन से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश अकादमिक परंपरा से संभावित शैली का प्रतिनिधित्व करती है। इन्होंने कई फिल्में बनाई जिनमें मीनाक्षी, गजगामिनी,थ्रू द आइज ऑफ पेंटर आदि इनकी प्रमुख फिल्में हैं। साथ ही सुप्रसिद्ध चित्र शृंखलाएं भी बनाई जिसमें प्रमुख हैं- सरस्वती, मदर टेरेसा, घोड़े, माधुरी, जमीन, लैंप और मकड़ी, दो स्त्रियों का संवाद, मुर्गा, अंतिम भोज, राइडर्ज, आपातकाल, ढोलकिया, नीला रात, जापान में प्रेमी, दुपट्टों में तीन औरतें, बनारस के घाट तथा भारतमाता (यह चित्र काफी विवादास्पद रहा) आदि। | |||
{[[बूंदी चित्रकला|बूंदी-शैली]] को प्रोत्साहन मिला था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-4 | |||
|type="()"} | |||
+राव सुरजन सिंह | |||
-राजा सामंत सिंह से | |||
-राजा अनूप सिंह से | |||
-राव देवा से | |||
{[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] का प्रमुख चित्रण कार्य किस तकनीक में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-15 | |||
|type="()"} | |||
-तैल तकनीक | |||
-टेम्परा तकनीक | |||
+वॉश तकनीक | |||
-मिश्रित माध्यम तकनीक | |||
||वॉश पेंटिंश (जलरंग तकनीक) का प्रारंभ [[शांति निकेतन]] कला महाविद्यालय, [[कोलकाता]] (कलकत्ता) से हुआ। | |||
{उस चित्रकार का नाम बताइए जिन्होंने यूरोपीय शैली में भारतीय विषयों पर चित्र बनाए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-91,प्रश्न-14 | |||
|type="()"} | |||
-के.एन. मजूमदार | |||
+[[राजा रवि वर्मा]] | |||
-[[नंदलाल बोस]] | |||
-शैलेंद्रनाथ डे | |||
{माइकल एंजिलो की डेविड मूर्ति कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-106,प्रश्न-19 | |||
|type="()"} | |||
-[[रोम]] में | |||
+फ्लोरेन्स में | |||
-मिलान में | |||
-वेनिस में | |||
||माइकेल एंजिलो द्वारा निर्मित मूर्ति 'डेविड फ्लोरेन्स में रखी गई है। | |||
{'शांत संगीत्त' उक्ति लिए प्रयुक्त होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-110,प्रश्न-55 | |||
|type="()"} | |||
-शास्त्रीय मूर्तिशिल्प | |||
-गोथिक काष्ठ कार्य | |||
-स्टेन ग्लास चित्रकला | |||
+इटैलियन चित्रकला | |||
||इटैलियन चित्रकार ज्योर्जिओन का नाम [[लियोनार्डो दा विंची]] के साथ आधुनिक [[कला]] के संस्थापक के रूप में लिया जाता है। इसे बंशी बजाने का शौक था जिसने उसकी कला को भी प्रभावित किया। ज्योर्जिओन ने अपने चित्रों में संगीत संबंधी विषयों का अंकन किया था या फिर उसके चित्र संगीत के समान मन:स्थिति उत्पन्न करते थे। | |||
</quiz> | </quiz> | ||
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Revision as of 10:20, 2 December 2017
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