विजय हज़ारे: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
विजय हज़ारे 11 मार्च, 1915 को सांगली, [[महाराष्ट्र]] में पैदा हुए थे। उन्होंने महाराष्ट्र की तरफ से 'रणजी ट्राफी' में 18 वर्ष की उम्र में हिस्सा लिया था। उन्हें एक सुरक्षात्मक बल्लेबाज की संज्ञा दी जा सकती है। [[इंग्लैंड]] में लोगों की धारणा थी कि "जो स्थान [[ऑस्ट्रेलिया]] की क्रिकेट में सर ब्रेडमैन को प्राप्त है, इंग्लैंड में ग्रेस को प्राप्त है, वही स्थान भारतीय क्रिकेट में हज़ारे को मिलना चाहिए।" विजय हज़ारे रोमन कैथोलिक परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने बल्लेबाजी में 2000 से अधिक रन बनाने के साथ-साथ गेंदबाजी में भी 20 विकेट अपने नाम किये थे। इससे भी बढ़कर गौरवशाली बात यह है कि भारत ने सबसे पहले उन्हीं के नेतृत्व में अपनी पहली टेस्ट विजय प्राप्त की थी।
विजय हज़ारे 11 मार्च, 1915 को सांगली, [[महाराष्ट्र]] में पैदा हुए थे। उन्होंने महाराष्ट्र की तरफ से 'रणजी ट्राफी' में 18 वर्ष की उम्र में हिस्सा लिया था। उन्हें एक सुरक्षात्मक बल्लेबाज की संज्ञा दी जा सकती है। [[इंग्लैंड]] में लोगों की धारणा थी कि "जो स्थान [[ऑस्ट्रेलिया]] की क्रिकेट में सर ब्रेडमैन को प्राप्त है, इंग्लैंड में ग्रेस को प्राप्त है, वही स्थान भारतीय क्रिकेट में हज़ारे को मिलना चाहिए।" विजय हज़ारे रोमन कैथोलिक परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने बल्लेबाजी में 2000 से अधिक रन बनाने के साथ-साथ गेंदबाजी में भी 20 विकेट अपने नाम किये थे। इससे भी बढ़कर गौरवशाली बात यह है कि भारत ने सबसे पहले उन्हीं के नेतृत्व में अपनी पहली टेस्ट विजय प्राप्त की थी।<ref name="aa">{{cite web |url=http://biographyhindi.com/vijay-hazare-biography-in-hindi/ |title=विजय हज़ारे की जीवनी|accessmonthday=25 अगस्त|accessyear= 2018|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=biographyhindi.com |language=हिन्दी }}</ref>
==टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण==
==टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण==
[[टेस्ट क्रिकेट]] में प्रवेश के लिए विजय हज़ारे को लम्बा इन्तजार करना पड़ा। इस दौरान छिड़े विश्वयुद्ध के कारण उनके क्रिकेट कॅरियर के दस बेहतरीन वर्ष बर्बाद हुए, परन्तु आखिरकार [[1946]] ई. में इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें मौका मिल ही गया। इससे पहले [[1937]]-[[1938]] ई. में इंग्लैंड की लार्ड टेनिस की टीम के खिलाफ तीन अनाधिकृत टेस्टों में, [[1945]] में ऑस्ट्रेलियाई सर्विसेज के खिलाफ तीन टेस्टों में ओर पहली एवं तीसरी राष्ट्रमंडल टीमों के खिलाफ भी कुल मिलाकर 17 अनाधिकृत टेस्टों में खेले। इंग्लैंड के खिलाफ हज़ारे ने पहले टेस्ट में क्रमश: 31 एवं 34 रन ही नही बनाये थे बल्कि दो विकेट भी लिए थे।
[[टेस्ट क्रिकेट]] में प्रवेश के लिए विजय हज़ारे को लम्बा इन्तजार करना पड़ा। इस दौरान छिड़े विश्वयुद्ध के कारण उनके क्रिकेट कॅरियर के दस बेहतरीन वर्ष बर्बाद हुए, परन्तु आखिरकार [[1946]] ई. में इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें मौका मिल ही गया। इससे पहले [[1937]]-[[1938]] ई. में इंग्लैंड की लार्ड टेनिस की टीम के खिलाफ तीन अनाधिकृत टेस्टों में, [[1945]] में ऑस्ट्रेलियाई सर्विसेज के खिलाफ तीन टेस्टों में ओर पहली एवं तीसरी राष्ट्रमंडल टीमों के खिलाफ भी कुल मिलाकर 17 अनाधिकृत टेस्टों में खेले। इंग्लैंड के खिलाफ हज़ारे ने पहले टेस्ट में क्रमश: 31 एवं 34 रन ही नही बनाये थे बल्कि दो विकेट भी लिए थे।
====यादगार पारी====
====यादगार पारी====
विजय हज़ारे द्वारा एडीलेड ओवेल में सबसे यादगार पारी खेली गयी। [[भारत]] ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ [[1946]]-[[1947]] की श्रुंखला का चौथा टेस्ट यहीं खेला था। इस टेस्ट मैच में भारत की पारी तथा 16 रन से हार हुई, पंरतु हज़ारे ने दोनों पारियों में शतक (क्रमश: 116 और 145 रन) बनाकर कंगारुओं के उस देश में अपने हजारों प्रशंशक बना लिए थे। हज़ारे ही एक ऐसे बल्लेबाज थे, जो लिंडवाने तथा कीथमिलर जैसे गेंदबाजों के सामने टिक सकते थे। ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी सर डॉन ब्रेडमैन कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी प्रथम पारी में 674 रन का विशाल स्कोर अर्जित किया था। दूसरी तरफ भारतीय टीम पाँच विकेट पर मात्र 133 रन ही बना सकी थी। ऐसे में फड़कर के साथ विजय हज़ारे ने 188 रन की मैराथन सांझेदारी निभाई, किन्तु पूरी भारतीय टीम 381 पर ही बिखर गयी। दूसरी पारी में हज़ारे एकमात्र प्रतिरोध के रूप में उभरे और भारतीय टीम 277 रन पर आउट हुई। भारत में दोनों पारियों में शतक बनाने का श्रेय हज़ारे को ही दिया जाता है।
विजय हज़ारे द्वारा एडीलेड ओवेल में सबसे यादगार पारी खेली गयी। [[भारत]] ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ [[1946]]-[[1947]] की श्रुंखला का चौथा टेस्ट यहीं खेला था। इस टेस्ट मैच में भारत की पारी तथा 16 रन से हार हुई, पंरतु हज़ारे ने दोनों पारियों में शतक (क्रमश: 116 और 145 रन) बनाकर कंगारुओं के उस देश में अपने हजारों प्रशंशक बना लिए थे। हज़ारे ही एक ऐसे बल्लेबाज थे, जो लिंडवाने तथा कीथमिलर जैसे गेंदबाजों के सामने टिक सकते थे। ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी सर डॉन ब्रेडमैन कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी प्रथम पारी में 674 रन का विशाल स्कोर अर्जित किया था। दूसरी तरफ भारतीय टीम पाँच विकेट पर मात्र 133 रन ही बना सकी थी। ऐसे में फड़कर के साथ विजय हज़ारे ने 188 रन की मैराथन सांझेदारी निभाई, किन्तु पूरी भारतीय टीम 381 पर ही बिखर गयी। दूसरी पारी में हज़ारे एकमात्र प्रतिरोध के रूप में उभरे और भारतीय टीम 277 रन पर आउट हुई। भारत में दोनों पारियों में शतक बनाने का श्रेय हज़ारे को ही दिया जाता है।<ref name="aa"/>
==आलोचना==
==आलोचना==
विजय हज़ारे के आलोचकों के अनुसार वे बहुत धीमी गति से खेलने वाले खिलाड़ी थे। सन [[1951]]-[[1952]] में उन्होंने पहले दोनों टेस्टों में शतक बनाया, लेकिन अत्यंत धीमी रफ्तार से। अपने जीवन का सर्वोच्च स्कोर 164 बनाने में उन्हें 8 घंटे 35 मिनट लगे तो मुम्बई टेस्ट में 155 रन पांच घंटे में। वह तेज भी खेले, लेकिन अपवादस्वरूप [[1946]]-[[1947]] में होल्कर के खिलाफ बड़ौदा की तरफ से खेलते हुए उन्हें 288 रन बनाने में मात्र 140 मिनट का समय लगा था। कुछ खेल समीक्षक उनके इस खेल को नीरस कहने से भी बाज नहीं आते थे, परन्तु कुल मिलाकर उनकी तकनीक पर किसी ने उंगली उठाने की हिमाकत नहीं की।
विजय हज़ारे के आलोचकों के अनुसार वे बहुत धीमी गति से खेलने वाले खिलाड़ी थे। सन [[1951]]-[[1952]] में उन्होंने पहले दोनों टेस्टों में शतक बनाया, लेकिन अत्यंत धीमी रफ्तार से। अपने जीवन का सर्वोच्च स्कोर 164 बनाने में उन्हें 8 घंटे 35 मिनट लगे तो मुम्बई टेस्ट में 155 रन पांच घंटे में। वह तेज भी खेले, लेकिन अपवादस्वरूप [[1946]]-[[1947]] में होल्कर के खिलाफ बड़ौदा की तरफ से खेलते हुए उन्हें 288 रन बनाने में मात्र 140 मिनट का समय लगा था। कुछ खेल समीक्षक उनके इस खेल को नीरस कहने से भी बाज नहीं आते थे, परन्तु कुल मिलाकर उनकी तकनीक पर किसी ने उंगली उठाने की हिमाकत नहीं की।

Revision as of 11:39, 25 August 2018

विजय हज़ारे (अंग्रेज़ी: Vijay Hazare, जन्म- 11 मार्च, 1915, सांगली; मृत्यु- 18 दिसम्बर, 2004, बड़ोदरा) भारत के जानेमाने क्रिकेट खिलाड़ी थे। वह 1951 से 1953 के मध्य भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को टेस्ट क्रिकेट में प्रथम सफलता दिलाई थी। सन् 1960 में उन्हें भारत सरकार ने 'पद्म श्री' से सम्मानित किया था।

परिचय

विजय हज़ारे 11 मार्च, 1915 को सांगली, महाराष्ट्र में पैदा हुए थे। उन्होंने महाराष्ट्र की तरफ से 'रणजी ट्राफी' में 18 वर्ष की उम्र में हिस्सा लिया था। उन्हें एक सुरक्षात्मक बल्लेबाज की संज्ञा दी जा सकती है। इंग्लैंड में लोगों की धारणा थी कि "जो स्थान ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट में सर ब्रेडमैन को प्राप्त है, इंग्लैंड में ग्रेस को प्राप्त है, वही स्थान भारतीय क्रिकेट में हज़ारे को मिलना चाहिए।" विजय हज़ारे रोमन कैथोलिक परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने बल्लेबाजी में 2000 से अधिक रन बनाने के साथ-साथ गेंदबाजी में भी 20 विकेट अपने नाम किये थे। इससे भी बढ़कर गौरवशाली बात यह है कि भारत ने सबसे पहले उन्हीं के नेतृत्व में अपनी पहली टेस्ट विजय प्राप्त की थी।[1]

टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण

टेस्ट क्रिकेट में प्रवेश के लिए विजय हज़ारे को लम्बा इन्तजार करना पड़ा। इस दौरान छिड़े विश्वयुद्ध के कारण उनके क्रिकेट कॅरियर के दस बेहतरीन वर्ष बर्बाद हुए, परन्तु आखिरकार 1946 ई. में इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें मौका मिल ही गया। इससे पहले 1937-1938 ई. में इंग्लैंड की लार्ड टेनिस की टीम के खिलाफ तीन अनाधिकृत टेस्टों में, 1945 में ऑस्ट्रेलियाई सर्विसेज के खिलाफ तीन टेस्टों में ओर पहली एवं तीसरी राष्ट्रमंडल टीमों के खिलाफ भी कुल मिलाकर 17 अनाधिकृत टेस्टों में खेले। इंग्लैंड के खिलाफ हज़ारे ने पहले टेस्ट में क्रमश: 31 एवं 34 रन ही नही बनाये थे बल्कि दो विकेट भी लिए थे।

यादगार पारी

विजय हज़ारे द्वारा एडीलेड ओवेल में सबसे यादगार पारी खेली गयी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1946-1947 की श्रुंखला का चौथा टेस्ट यहीं खेला था। इस टेस्ट मैच में भारत की पारी तथा 16 रन से हार हुई, पंरतु हज़ारे ने दोनों पारियों में शतक (क्रमश: 116 और 145 रन) बनाकर कंगारुओं के उस देश में अपने हजारों प्रशंशक बना लिए थे। हज़ारे ही एक ऐसे बल्लेबाज थे, जो लिंडवाने तथा कीथमिलर जैसे गेंदबाजों के सामने टिक सकते थे। ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी सर डॉन ब्रेडमैन कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी प्रथम पारी में 674 रन का विशाल स्कोर अर्जित किया था। दूसरी तरफ भारतीय टीम पाँच विकेट पर मात्र 133 रन ही बना सकी थी। ऐसे में फड़कर के साथ विजय हज़ारे ने 188 रन की मैराथन सांझेदारी निभाई, किन्तु पूरी भारतीय टीम 381 पर ही बिखर गयी। दूसरी पारी में हज़ारे एकमात्र प्रतिरोध के रूप में उभरे और भारतीय टीम 277 रन पर आउट हुई। भारत में दोनों पारियों में शतक बनाने का श्रेय हज़ारे को ही दिया जाता है।[1]

आलोचना

विजय हज़ारे के आलोचकों के अनुसार वे बहुत धीमी गति से खेलने वाले खिलाड़ी थे। सन 1951-1952 में उन्होंने पहले दोनों टेस्टों में शतक बनाया, लेकिन अत्यंत धीमी रफ्तार से। अपने जीवन का सर्वोच्च स्कोर 164 बनाने में उन्हें 8 घंटे 35 मिनट लगे तो मुम्बई टेस्ट में 155 रन पांच घंटे में। वह तेज भी खेले, लेकिन अपवादस्वरूप 1946-1947 में होल्कर के खिलाफ बड़ौदा की तरफ से खेलते हुए उन्हें 288 रन बनाने में मात्र 140 मिनट का समय लगा था। कुछ खेल समीक्षक उनके इस खेल को नीरस कहने से भी बाज नहीं आते थे, परन्तु कुल मिलाकर उनकी तकनीक पर किसी ने उंगली उठाने की हिमाकत नहीं की।

स्वभाव

हज़ारे सरल और शर्मीले स्वभाव के थे, जिसकी वजह से वे कप्तान होने के बावजूद भी अधिक चर्चित नहीं थे। भारत ने पहली टेस्ट विजय उन्हीं की कप्तानी में हासिल की थी। यद्यपि इस विजय का श्रेय वीनू मांकड़ और गुलाम अहमद की उम्दा स्पिन गेंदबाजी को है; परन्तु कप्तान के रूप में उनकी भूमिका अहम थी।

कीर्तिमान

विजय हज़ारे ने अपने क्रिकेट जीवन में ढेर सारे कीर्तिमान स्थापित किये थे। 1946-1947 में बड-औदा की ओर से होल्कर के खिलाफ गुल मुहम्मद के साथ चौथी विकेट की साझेदारी में 577 रन जोड़े थे, जो विश्व रिकॉर्ड है। इसके साथ नौवी विकेट हेतु नागरवाला के संग 245 रन के रिकॉर्ड को भारत की तरफ से अहम माना जाता है। उन्होंने कुल 59 शतक भी बनाये। सन 1952 की टेस्ट श्रुंखला के अंतर्गत इंग्लैंड के विरुद्ध पहले टेस्ट के दौरान चौथे विकेट हेतु 222 रन, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1947-1948 में फड़कर के साथ एडीलेड टेस्ट में 6वीं विकेट के लिए 188 रन और पाकिस्तान के खिलाफ 1952-1953 में उमरीगर के साथ छठे विकेट हेतु 177 रन बनाये।

मृत्यु

विजय हज़ारे की 18 दिसम्बर, 2004 को मृत्यु हो गयी। वैसे तो क्रिकेट प्रतियोगिता में हजारों की संख्या में खिलाड़ी अपनी ख्यातियाँ तथा रिकॉर्ड हासिल कर चुके हैं, परन्तु भारतीय क्रिकेट में इन्हें एक महान खिलाड़ी के रूप में सदा याद किया जायेगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 विजय हज़ारे की जीवनी (हिन्दी) biographyhindi.com। अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2018।