महमूद अलउत्वी: Difference between revisions
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*अलउत्वी, महमूद ग़ज़नवी का मीर मुंशी था, हालाँकि आक्रमणों में वह साथ में नहीं था। उसने [[सुबुक्तगीन]] तथा महमूद के शासन-काल का सं. 1077 तक का [[इतिहास]] [[अरबी भाषा]] में अपनी किताब "उल-यमीनी" में लिखा है। इस किताब में महमूद के सं. 1077 तक के आक्रमणों का विस्तृत वर्णन मिलता है। महमूद अलउत्वी का विवरण पक्षपात पूर्ण है। उसने भारतीयों की दुर्बलता और विदेशी मुसलमान आक्रमणकारियों की वीरता का अतिशयोक्तिपूर्ण विवरण किया है। | |||
*अलउत्वी के अनुसार महमूद ग़ज़नवी के समय में [[यमुना]] पार आज कल के [[महावन]] के पास एक राज्य की राजधानी थी, जहाँ एक सुदृढ़ दुर्ग भी था। वहाँ के राजा कुलचंद ने [[मथुरा]] की रक्षा के लिए महमूद से महासंग्राम किया था। संभवतः यह कोई पृथक् नगर नहीं था, वरन् वह मथुरा का ही एक भाग था। उस समय में यमुना नदी के दोनों ही ओर बने हुए मथुरा नगर की बस्ती थी। | *अलउत्वी के अनुसार महमूद ग़ज़नवी के समय में [[यमुना]] पार आज कल के [[महावन]] के पास एक राज्य की राजधानी थी, जहाँ एक सुदृढ़ दुर्ग भी था। वहाँ के राजा कुलचंद ने [[मथुरा]] की रक्षा के लिए महमूद से महासंग्राम किया था। संभवतः यह कोई पृथक् नगर नहीं था, वरन् वह मथुरा का ही एक भाग था। उस समय में यमुना नदी के दोनों ही ओर बने हुए मथुरा नगर की बस्ती थी। | ||
*चीनी यात्री [[फ़ाह्यान]] और हुएन-सांग ने भी यमुना नदी के दोनों ही ओर बने हुए [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] [[संघाराम|संघारामों]] का विवरण किया है। इस प्रकार [[मैगस्थनीज]] का क्लीसोवोरा (कृष्णपुरा) कोई प्रथक नगर नहीं वरन् उस समय के विशाल मथुरा नगर का ही एक भाग था, जिसे अब [[गोकुल]]-[[महावन]] के नाम से जाना जाता है। | *चीनी यात्री [[फ़ाह्यान]] और हुएन-सांग ने भी यमुना नदी के दोनों ही ओर बने हुए [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] [[संघाराम|संघारामों]] का विवरण किया है। इस प्रकार [[मैगस्थनीज]] का क्लीसोवोरा (कृष्णपुरा) कोई प्रथक नगर नहीं वरन् उस समय के विशाल मथुरा नगर का ही एक भाग था, जिसे अब [[गोकुल]]-[[महावन]] के नाम से जाना जाता है। |
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महमूद अलउत्वी को एक इतिहासकार के रूप में जाना जाता है। वह भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध महमूद ग़ज़नवी का दरबारी इतिहासकार था।
- अलउत्वी, महमूद ग़ज़नवी का मीर मुंशी था, हालाँकि आक्रमणों में वह साथ में नहीं था। उसने सुबुक्तगीन तथा महमूद के शासन-काल का सं. 1077 तक का इतिहास अरबी भाषा में अपनी किताब "उल-यमीनी" में लिखा है। इस किताब में महमूद के सं. 1077 तक के आक्रमणों का विस्तृत वर्णन मिलता है। महमूद अलउत्वी का विवरण पक्षपात पूर्ण है। उसने भारतीयों की दुर्बलता और विदेशी मुसलमान आक्रमणकारियों की वीरता का अतिशयोक्तिपूर्ण विवरण किया है।
- अलउत्वी के अनुसार महमूद ग़ज़नवी के समय में यमुना पार आज कल के महावन के पास एक राज्य की राजधानी थी, जहाँ एक सुदृढ़ दुर्ग भी था। वहाँ के राजा कुलचंद ने मथुरा की रक्षा के लिए महमूद से महासंग्राम किया था। संभवतः यह कोई पृथक् नगर नहीं था, वरन् वह मथुरा का ही एक भाग था। उस समय में यमुना नदी के दोनों ही ओर बने हुए मथुरा नगर की बस्ती थी।
- चीनी यात्री फ़ाह्यान और हुएन-सांग ने भी यमुना नदी के दोनों ही ओर बने हुए बौद्ध संघारामों का विवरण किया है। इस प्रकार मैगस्थनीज का क्लीसोवोरा (कृष्णपुरा) कोई प्रथक नगर नहीं वरन् उस समय के विशाल मथुरा नगर का ही एक भाग था, जिसे अब गोकुल-महावन के नाम से जाना जाता है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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