गंडकी नदी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:24, 7 November 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

[[चित्र:Gandak-River.jpg|250px|thumb|गंडक नदी, नेपाल]] गंडकी नदी को 'गंडक नदी' के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य नेपाल और उत्तरी भारत में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह नदी दक्षिण तिब्बत के पहाड़ों से निकलती है और सोनपुर और हाजीपुर के बीच में गंगा नदी में मिलती है। यह नदी काली नदी और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है। इन नदियों के संगम स्थल से भारतीय सीमा तक नदी को 'नारायणी' के नाम से जाना जाता है। महाभारत, सभापर्व[1] में इसे 'गंडक' कहा गया है-

'तत: स गंडकाञ्नछूरोविदेहान् भरतर्षभ:, विजित्याल्पेन कालेनदशार्णानजयत प्रभु:।'

  • उपर्युक्त प्रसंगानुसार गंडक देश को विदेह या वर्तमान मिथिला (तिरहुत) के निकट बताया गया प्रतीत होता है। गंगा-गंडक के संगम के समीप हाजीपुर बसा है। सदानीरा, जिसका उल्लेख प्राचीन साहित्य में अनेक बार आया है, संभवत: गंडकी ही है[2] किंतु महाभारत सभापर्व[3] में सदानीरा और गंडकी दोनों का एकत्र नामोल्लेख है, जिससे सदानीरा भिन्न नदी होनी चाहिए-

'गंडकीन महाशोणां सदानीरा तथैव थ, एकपर्वते नद्य: कमेर्णत्या व्रजंत ते।'

  • वनपर्व[4] में गंडकी का तीर्थरूप में वर्णन किया गया है-

'गंडकी तु सभासाद्य सर्वतीर्थ जलोद्भवाम् वाजपेयमवाप्नोति सूर्यलोक च गच्छति।'

  • पार्जिटर के अनुसार सदानीरा राप्ती है। सदानीरा कोसल और विदेह की सीमा पर बहती थी।
  • गंडकी नदी का एक नाम 'मही' भी कहा गया है। यूनानी भूगोलवेत्ताओं ने इसे 'कोंडोचाटिज' कहा है।
  • विंसेंट स्मिथ ने महापरिनिव्वान सुत्तंत में उल्लिखित हिरण्यवती का अभिज्ञान गंडक से किया है। यह नदी मल्लों की राजधानी कुशीनगर के उद्यान शालवन के पास बहती थी।
  • 'बुद्धचरित'[5] के अनुसार कुशीनगर में निर्वाण से पूर्व तथागत ने हिरण्यवती नदी में स्नान किया था। इससे पूर्व कुशीनगर आते समय महात्मा बुद्ध ने इरावती या अचिरवती नदी को पार किया था। इरावती राप्ती का ही नाम है।
  • विंसेंट स्मिथ ने कुशीनगर की स्थिति नेपाल में राप्ती और गंडक (हिरण्यवती) के संगम पर मानी थी[6] किंतु कुशीनगर का अभिज्ञान अब 'कसिया' से निश्चित हो जाने पर हिरण्यवती को गोरखपुर ज़िले की राप्ती या उसकी कोई उपशाखा मानना पड़ेगा, न कि गंडकी।
  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व 29, 4-5
  2. वैदिक इंडेक्स 2, पृ. 299)
  3. सभापर्व 20, 27
  4. वनपर्व 84, 113
  5. बुद्धचरित 25, 54
  6. अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया, पृ. 167

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः