राष्ट्रीय युद्ध स्मारक

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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (अंग्रेज़ी: National War Memorial) नई दिल्ली के इंडिया गेट के आसपास के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा अपने सशस्त्र बलों को सम्मानित करने के लिए बनाया गया स्मारक है। प्रधानमंत्री [[नरेंद्र मोदी] ने 25 फ़रवरी, 2019 को शहीद जवानों के सम्मान में 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' का उद्धाटन किया था। ये स्मारक आज़ादी के बाद देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सैनिकों के सम्मान में तैयार किया गया है।

उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2020) के अवसर पर इंडिया गेट पर स्थित 'अमर जवान ज्योति' के बजाय पहली बार यहाँ नवनिर्मित 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। इंडिया गेट परिसर में स्थित इस स्मारक का 25 फ़रवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। ‘अमर जवान ज्योति’ पर एक झुकी हुई बंदूक के ऊपर जवान का हेलमेट रखा हुआ है तथा उसके नीचे निरन्तर ज्योति जलती रहती है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में इंडिया गेट के नीचे 1972 में इसका निर्माण किया गया था।[1]

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल के अभियानों और 1999 में कारगिल युद्ध तथा संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियानों के दौरान शहीद जवानों को समर्पित है। 42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में मारे गए जवानों के सम्मान में ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल आर्च के रूप में ब्रिटिश राज के दौरान बना था।

चार चक्र

तकरीबन 40 एकड़ क्षेत्र में फैले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में चार चक्र ‘अमर चक्र’, ‘वीरता चक्र’, ‘त्याग चक्र’ और ‘रक्षक चक्र’ हैं, जिन पर ग्रेनाइट के पत्थरों पर स्वर्ण अक्षरों से 25,942 जवानों के नाम लिखे हैं। इसमें 15.5 मीटर ऊंचा एक स्मारक स्तंभ, निरंतर जल रही ज्योति और कांस्य के छह भित्ति चित्र हैं जो भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा लड़ी गई प्रसिद्ध लड़ाइयों को दर्शा रहे हैं।

मुख्य तथ्य

  1. 2014 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई और 25 फ़रवरी, 2019 तक इसे तैयार कर लिया गया।
  2. इस मेमोरियल में अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और रक्षा चक्र, 4 चक्र हैं। इनमें से अमर चक्र पर 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है, जिसमें अमर ज्योति जलती है।[2]
  3. इस मेमोरियल में शहीद हुए 26 हजार सैनिकों के नाम हैं।
  4. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनने के बाद अब शहीदों से जुड़े कार्यक्रम अमर जवान ज्योति के बजाए इस स्मारक में ही होते हैं।
  5. सन 1947-1948, 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में चीन से युद्ध, 1965 में पाक से जंग, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1987 में सियाचिन, 1987-1988 में श्रीलंका और 1999 में कारगिल में शहीद होने वाले सैनिकों के सम्मान में इसे बनाया गया है।
  6. सुरक्षा चक्र में 600 पेड़ हैं जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।
  7. इन सबके साथ-साथ स्मारक में इलेक्ट्रिक पैनल के जरिए भी जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इसमें शाम के समय रंग-बिरंगी लाइटें जलती हैं।
  8. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में जाने का कोई शुल्क नहीं है, लेकिन मुख्य क्षेत्र और परम योद्धा स्थल के लिए समय निश्चित किया गया है।
  9. स्मारक के पास ही 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं की कांस्य से प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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