जौ

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:31, 22 June 2011 by ऋचा (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} प्राचीन काल से ही जौ का उपयोग होता रहा है...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

प्राचीन काल से ही जौ का उपयोग होता रहा है। हमारे ऋषियों-मुनियों का प्रमुख आहार जौ ही था। वेदों द्वारा यज्ञ की आहुति के रूप में जौ को स्वीकारा गया है। स्वाद और आकृति के दृष्टिकोण से जौ, गेहूँ से एक दम भिन्न दिखाई पड़ते हैं, किन्तु यह गेहूँ की जाति का ही अन्न है अगर गुण की नज़र से देखा जाये तो जौ-गेहूँ की अपेक्षा हल्का होता है और मोटा अनाज भी होता है जो कि पूरे भारत में पाया जाता है। जौ के पौधे गेहूँ के पौधे के समान होते हैं और उतनी ही ऊंचाई भी होती है। जौ खास तौर पर 3 तरह की होती है। तीक्ष्ण नोक वाले, नोकरहित और हरापन लिए हुए बारीक। नोकदार जौ को यव, बिना नोक के काले तथा लालिमा लिए हुए जौ को अतयव एवं हरापन लिए हुए नोकरहित बारीक जौ को तोक्ययव कहते हैं। यव की अपेक्षा अतियव और अतियव की अपेक्षा तोक्ययव कम गुण माने वाले जाते हैं।

रंग

जौ का रंग पीला व सफ़ेद होता है।

स्वरूप

जौ एक प्रकार का अनाज है।

जंगली जाति

जौ की एक जंगली जाति भी होती है। उस जाति के जौ का उपयोग- यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान आदि देशों में औषधियाँ बनाने के लिए होता है।

सत्तू

जौ को भूनकर, पीस कर, उस आटे में थोड़ा-सा नमक और पानी मिलाने पर सत्तू बनता है। कुछ लोग सत्तू में नमक के स्थान पर गुड़ डालते हैं व सत्तू में घी और शक्कर मिलाकर भी खाया जाता है।

गुण

  • जौ बीमार लोगों के लिए उत्तम पथ्य है।
  • जौ में से लेक्टिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, फास्फोरिक एसिड, पोटैशियम और कैल्शियम उपलब्ध होता है।
  • जौ में अल्पमात्रा में कैरोटिन भी है।
  • सुप्रसिद्ध मलटाइन काडलीवर नामक दवा में जौ का उपयोग होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः