खग कंक काक सृगाल

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खग कंक काक सृगाल
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
छन्द

खग कंक काक सृगाल। कटकटहिं कठिन कराल॥7॥

भावार्थ

चील (या क्रौंच), कौए आदि पक्षी और सियार कठोर और भयंकर कट-कट शब्द कर रहे हैं॥7॥



left|30px|link=भट कटत तन सत खंड|पीछे जाएँ खग कंक काक सृगाल right|30px|link=कटकटहिं जंबुक भूत प्रेत|आगे जाएँ


छन्द- छंद शब्द 'चद्' धातु से बना है जिसका अर्थ है 'आह्लादित करना', 'खुश करना'। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्याय से उत्पन्न होता है। इस प्रकार, छंद की परिभाषा होगी 'वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं'। छंद का सर्वप्रथम उल्लेख 'ऋग्वेद' में मिलता है। जिस प्रकार गद्य का नियामक व्याकरण है, उसी प्रकार पद्य का छंद शास्त्र है।


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