लागि तृषा अतिसय अकुलाने

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लागि तृषा अतिसय अकुलाने
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
गुफा में तपस्विनी के दर्शन, वानरों का समुद्र तट पर आना, सम्पाती से भेंट और बातचीत
चौपाई

लागि तृषा अतिसय अकुलाने। मिलइ न जल घन गहन भुलाने॥
मन हनुमान कीन्ह अनुमाना। मरन चहत सब बिनु जल पाना॥2॥

भावार्थ

इतने में ही सबको अत्यंत प्यास लगी, जिससे सब अत्यंत ही व्याकुल हो गए, किंतु जल कहीं नहीं मिला। घने जंगल में सब भुला गए। हनुमान जी ने मन में अनुमान किया कि जल पिए बिना सब लोग मरना ही चाहते हैं॥2॥


left|30px|link=कतहुँ होइ निसिचर सैं भेटा|पीछे जाएँ लागि तृषा अतिसय अकुलाने right|30px|link=चढ़ि गिरि सिखर चहूँ दिसि देखा|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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