अर्जुन (शब्द संदर्भ)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:51, 5 November 2023 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Disamb2.jpg अर्जुन एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अर्जुन (बहुविकल्पी)

अर्जुन (विशेषण) (स्त्रीलिंग-ना,-नी] [अर्ज-उनन्, णिलुक् च]

1. सफेद, चमकीला, उज्ज्वल, दिन जैसा रंगीन-पिशङ्गमौञ्जीयुजमर्जुनच्छविम्- शि. 1/6
2. रुपहला,-नः (पुल्लिंग)
1. श्वेत रंग
2. मोर
3. गुणकारी छाल वाला अर्जुन नामक वृक्ष
4. इन्द्र द्वारा कुन्ती से उत्पन्न तृतीय पांडव (इसीलिए इसे 'ऐन्द्रि' भी कहते हैं) [अपने कार्यों में पवित्र और विशुद्ध होने के कारण-वह अर्जुन कहलाया। द्रोणाचार्य से उसने शस्त्रास्त्र की शिक्षा ली, अर्जुन द्रोण का प्रिय शिष्य था। अपने शस्त्र-कौशल के द्वारा ही उसने स्वयंवर में द्रौपदी को जीता। अनिच्छापूर्वक किसी नियम का उल्लंघन हो जाने के कारण उसने अल्पकालिक निर्वासन ग्रहण किया तथा इसी बीच परशुराम से शस्त्रविज्ञान का अध्ययन किया। उसने नागराजकुमारी उलूपी से विवाह किया-जिससे इरावत नामक पुत्र पैदा हुआ। उसके पश्चात् उसने मणिपुर के महाराज की कन्या चित्रांगदा से विवाह किया-इससे वभ्रुवाहन का जन्म हुआ। इसी निर्वासन-काल में वह द्वारका गया और कृष्ण के परामर्शानुसार सुभद्रा से विवाह करने में सफलता प्राप्त की। सुभद्रा से अभिमन्यु का जन्म हुआ। उसके पश्चात् उसने खांडववन को जलाने में अग्नि की सहायता की जिससे कि उसने गांडीव धनुष प्राप्त किया।
जब उसके ज्येष्ठ भ्राता धर्मराज ने जूए में राज्य खो दिया और पाँचों भाई निर्वासित कर दिए गए तो वह देवताओं का अनुरंजन करने के लिए हिमालय पर्वत पर गया जिससे कि कौरवों के साथ होने वाले युद्ध में उपयोग करने के लिए उनसे दिव्य शास्त्र प्राप्त कर सके। वहाँ उसने किरातवेषधारी शिव से युद्ध किया, परन्तु जब उसे अपने विपक्षी के वास्तविक चरित्र का ज्ञान हुआ तो उसने उनकी पूजा की, शिव ने भी प्रसन्न होकर अर्जुन को पाशुपतास्त्र दिए। इन्द्र, वरुण, यम और कुबेर ने भी अपने-अपने अस्त्र उसे उपहारस्वरूप दिए। अपने निर्वासन काल के तेरहवें वर्ष में पांडव राजा विराट् की नौकरी करने लगे-अर्जुन कंचुकी के रूप में नृत्यगान का शिक्षक बना।
कौरवों के साथ महायुद्ध में अर्जुन ने अद्भुत शौर्य का परिचय दिया। उसने कृष्ण की सहायता प्राप्त की, उसे अपना सारथी बनाया। जिस समय युद्ध के पहले ही दिन अर्जुन ने अपने बंधु-बांधवों के विरुद्ध धनुष उठाने में संकोच किया-उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 'भगवद्-गीता' का उपदेश दिया। उस महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने कौरव सेना के जयद्रथ, भीष्म तथा कर्ण आदि अनेक दुर्दान्त योद्धाओं को मौत के घाट उतारा। जिस समय युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राज्य सिंहासन पर आसीन हुआ-तब उसने अश्वमेध यज्ञ करने का संकल्प किया-फलतः अर्जुन की संरक्षकता में एक घोड़ा छोड़ा गया। अर्जुन ने अनेक राजाओं से युद्ध किया तथा अनेक नगर और देशों में घोड़े का अनुसरण किया। मणिपुर पहुँचने पर उसे अपने ही पुत्र वभ्रुवाहन से युद्ध करना पड़ा। फलतः अर्जुन, जब इस प्रकार वभ्रुवाहन से लड़ता हुआ युद्ध में मारा गया तो अपनी पत्नी उलूपी द्वारा दिए गए जादू-तंत्र से वह पुनर्जीवित किया गया। उसने इस प्रकार सारे भारतवर्ष में भ्रमण किया। जब नाना प्रकार की भेंट, उपहार तथा अपहृत संपत्तियों के साथ वह हस्तिनापुर वापिस आया-तो उस समय अवश्वमेध यज्ञ किया।
उसके पश्चात् कृष्ण ने उसे द्वारका में बुलाया और जब पारस्परिक गृह-युद्ध में यादवों का अंत हो गया तो अर्जुन ने वसुदेव और कृष्ण की अन्त्येष्टि-क्रिया की। इसके बाद शीघ्र ही पांडवों ने अभिमन्यु के एकमात्र पुत्र परीक्षित को हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बिठा दिया तथा स्वयं स्वर्ग की यात्रा को चल दिए। पाँचों पांडवों में अर्जुन सबसे अधिक पराक्रमी, उदार, गंभीर, सुंदर और उच्च विचारों का मनुष्य था-अपने सब भाइयों में वही प्रमुख व्यक्ति था।
5. कार्तवीर्य-जिसे परशुराम ने मात के घाट उतारा था।
6. अपनी माता का एकमात्र पुत्र,-नी (स्त्रीलिंग)
1. दूती, कुटनी
2. गी
3. एक नदी जिसे 'करतोया' कहते है, नम घास


सम.-उपमः (अजुनपम) (पुल्लिंग) सागवान का वृक्ष,-छवि (विशेषण) उज्ज्वल, उज्ज्वल रंग वाला,-ध्वजः (पुल्लिंग) श्वेत-ध्वजा वाला, हनुमान


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः