Difference between revisions of "नामधारी सिक्ख संप्रदाय"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} '''नामधारी सिक्ख संप्रदाय''' कूका भी कहलात...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - "शुरूआत" to "शुरुआत")
Line 1: Line 1:
 
{{पुनरीक्षण}}
 
{{पुनरीक्षण}}
'''नामधारी सिक्ख संप्रदाय''' कूका भी कहलाता है, [[भारत]] के [[सिक्ख धर्म]] में एक अति संयमी संप्रदाय है। नामधारी आंदोलन की स्थापना बालक सिंह (1797-1862) ने की थी, जो [[भगवान]] के नाम के जाप के अलावा किसी धार्मिक अनुष्ठान में विश्वास नहीं करते थे।<ref>इसी कारण इस संप्रदाय के सदस्य नामधारी कहे जाते हैं</ref> उनके उत्तराधिकारी राम सिंह (1816-85) ने संप्रदाय की पगड़ी बांधने की विशेष शैली<ref>माथे पर तिरछे के बजाय सीधी बांधी जाती है</ref>, केवल हाथ से बुने [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] कपड़े के [[वस्त्र]] पहनने तथा भजनों के उन्मत उच्चारण, जो चीख़ों<ref>कूक, इसलिए कूका नाम</ref> में बदल जाए, की शुरूआत की। रामसिंह के नेतृत्व में नामधारियों ने [[पंजाब]] में [[सिक्ख]] [[राज्य]] की पुनर्स्थापना का प्रयास किया। [[जनवरी]] 1872 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ के बाद उनमें से 66 पकड़े गए तथा उन्हें तोप के मूंह से बांधकर उड़ा दिया गया। राम सिंह को [[रंगून]]<ref>यांगून</ref>, [[बर्मा]]<ref>म्यांमार</ref> निर्वासित कर दिया गया, जहां उनकी मृत्यु हुई। नामधारियों के अपने गुरुद्वारे<ref>पूजाघर</ref> होते हैं और वे अपने संप्रदाय से बाहर विवाह नहीं करते।
+
'''नामधारी सिक्ख संप्रदाय''' कूका भी कहलाता है, [[भारत]] के [[सिक्ख धर्म]] में एक अति संयमी संप्रदाय है। नामधारी आंदोलन की स्थापना बालक सिंह (1797-1862) ने की थी, जो [[भगवान]] के नाम के जाप के अलावा किसी धार्मिक अनुष्ठान में विश्वास नहीं करते थे।<ref>इसी कारण इस संप्रदाय के सदस्य नामधारी कहे जाते हैं</ref> उनके उत्तराधिकारी राम सिंह (1816-85) ने संप्रदाय की पगड़ी बांधने की विशेष शैली<ref>माथे पर तिरछे के बजाय सीधी बांधी जाती है</ref>, केवल हाथ से बुने [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] कपड़े के [[वस्त्र]] पहनने तथा भजनों के उन्मत उच्चारण, जो चीख़ों<ref>कूक, इसलिए कूका नाम</ref> में बदल जाए, की शुरुआत की। रामसिंह के नेतृत्व में नामधारियों ने [[पंजाब]] में [[सिक्ख]] [[राज्य]] की पुनर्स्थापना का प्रयास किया। [[जनवरी]] 1872 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ के बाद उनमें से 66 पकड़े गए तथा उन्हें तोप के मूंह से बांधकर उड़ा दिया गया। राम सिंह को [[रंगून]]<ref>यांगून</ref>, [[बर्मा]]<ref>म्यांमार</ref> निर्वासित कर दिया गया, जहां उनकी मृत्यु हुई। नामधारियों के अपने गुरुद्वारे<ref>पूजाघर</ref> होते हैं और वे अपने संप्रदाय से बाहर विवाह नहीं करते।
  
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}

Revision as of 13:08, 24 March 2012

chitr:Icon-edit.gif is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav"

namadhari sikkh sanpraday kooka bhi kahalata hai, bharat ke sikkh dharm mean ek ati sanyami sanpraday hai. namadhari aandolan ki sthapana balak sianh (1797-1862) ne ki thi, jo bhagavan ke nam ke jap ke alava kisi dharmik anushthan mean vishvas nahian karate the.[1] unake uttaradhikari ram sianh (1816-85) ne sanpraday ki pag di baandhane ki vishesh shaili[2], keval hath se bune safed kap de ke vastr pahanane tatha bhajanoan ke unmat uchcharan, jo chikhoan[3] mean badal jae, ki shuruat ki. ramasianh ke netritv mean namadhariyoan ne panjab mean sikkh rajy ki punarsthapana ka prayas kiya. janavari 1872 mean pulis ke sath ek muthabhe d ke bad unamean se 66 pak de ge tatha unhean top ke mooanh se baandhakar u da diya gaya. ram sianh ko rangoon[4], barma[5] nirvasit kar diya gaya, jahaan unaki mrityu huee. namadhariyoan ke apane gurudvare[6] hote haian aur ve apane sanpraday se bahar vivah nahian karate.


tika tippani aur sandarbh

  1. isi karan is sanpraday ke sadasy namadhari kahe jate haian
  2. mathe par tirachhe ke bajay sidhi baandhi jati hai
  3. kook, isalie kooka nam
  4. yaangoon
  5. myaanmar
  6. poojaghar

bahari k diyaan

sanbandhit lekh