कोली नृत्य: Difference between revisions
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*इस नृत्य में पुरुष और महिलाएँ दो समूहों में या जोड़ों में बंट कर नृत्य करते हैं। | *इस नृत्य में पुरुष और महिलाएँ दो समूहों में या जोड़ों में बंट कर नृत्य करते हैं। |
Latest revision as of 14:23, 3 February 2013
कोली नृत्य महाराष्ट्र के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, यह नृत्य कोली जाति के मछुआरों द्वारा किया जाता है। इन लोगों की रंग बिरंगी पोशाक, खुशमिज़ाज, व्यक्तित्व और विशिष्ट पहचान उनके नृत्य में भी झलकती है। महिलाएँ और पुरुष दोनों ही इस नृत्य में भाग लेते हैं।
- इस नृत्य में पुरुष और महिलाएँ दो समूहों में या जोड़ों में बंट कर नृत्य करते हैं।
- नृत्य की एक ख़ास मुद्रा है, हाथों में छोटी-छोटी पतवारें पकड़कर नाव खेने का दृश्य उत्पन्न करना।
- इसके अतिरिक्त लहरों की गति और मछली पकड़ने के लिए जाल फेंकने की मुद्रा भी कोली नृत्य की एक ख़ासियत है।
- कोली नृत्य में महिलाएँ अपनी पारम्परिक घुटनों तक चढ़ी हुई हरे रंग की साड़ी पहनती हैं, और पुरुष पारंपरिक लुंगी पहनते हैं, जो आगे से तिकोने आकर की होती है।
- महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में यह नृत्य विशेष रूप से किया जाता है।
- यह नृत्य अन्य लोक नृत्यों की तुलना में अधिक लयबद्ध होता है।
- लावणी की तरह बॉलीवुड में इस नृत्य का भी कई बार प्रयोग किया गया है। 'बॉबी' फ़िल्म का प्रचलित गीत "झूठ बोले कौवा काटे" इसी नृत्य पर आधारित है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाराष्ट्र के लोक नृत्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 अक्टूबर, 2012।