पार्श्व यक्ष: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''पार्श्व यक्ष''' [[जैन धर्म]] के तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ का संरक्षक और सेवक है। जैन आचार्य हेमचन्द्र के कथनानुसार चतुर्भुजा पार्श्व नामक इस [[यक्ष]] का वर्ण श्याम है। [[रोहतक]] में पार्श्व यक्ष की एक पुरानी प्रतिमा मिली है, जिसे तीर्थकर पार्श्वनाथ के नीचे उकेरा गया है। पार्श्व यक्ष का वाहन 'कच्छप' ([[कछुआ]]) है, और इसके सिर पर दिव्य नागछत्र है।
'''पार्श्व यक्ष''' [[जैन धर्म]] के तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ का संरक्षक और सेवक माना गया है। जैन आचार्य [[हेमचन्द्र]] के कथनानुसार चतुर्भुजा पार्श्व नामक इस [[यक्ष]] का वर्ण श्याम है। [[रोहतक]] में पार्श्व यक्ष की एक पुरानी प्रतिमा मिली है, जिसे तीर्थकर पार्श्वनाथ के नीचे उकेरा गया है। पार्श्व यक्ष का वाहन 'कच्छप' ([[कछुआ]]) है, और इसके सिर पर दिव्य नागछत्र है।
==पार्श्वनाथ का सहायक==
==पार्श्वनाथ का सहायक==
[[इतिहास]] सम्मत जैनियों के तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ का यह यक्ष संरक्षक और सेवक है। इसके सीधे ओर के दो हाथों में क्रमश: नारंगी फल और [[नाग]] है। बाए हाथों में क्रमश: एक नेवला ओर एक नाग है। यह यक्ष पार्श्वनाथ का पिछले जन्मों में भी सहायक, संरक्षक, सेवक रहा और हर बार सहायता के लिए आगे आता है।
[[इतिहास]] सम्मत जैनियों के तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ का यह यक्ष संरक्षक और सेवक है। इसके सीधे ओर के दो हाथों में क्रमश: नारंगी फल और [[नाग]] है। बाए हाथों में क्रमश: एक नेवला ओर एक नाग है। यह यक्ष पार्श्वनाथ का पिछले जन्मों में भी सहायक, संरक्षक, सेवक रहा और हर बार सहायता के लिए आगे आता है।
Line 12: Line 12:
{{जैन धर्म2}}{{जैन धर्म}}
{{जैन धर्म2}}{{जैन धर्म}}
[[Category:जैन धर्म]]
[[Category:जैन धर्म]]
[[Category:जैन धर्म कोश]]
[[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
[[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 13:42, 21 March 2014

पार्श्व यक्ष जैन धर्म के तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ का संरक्षक और सेवक माना गया है। जैन आचार्य हेमचन्द्र के कथनानुसार चतुर्भुजा पार्श्व नामक इस यक्ष का वर्ण श्याम है। रोहतक में पार्श्व यक्ष की एक पुरानी प्रतिमा मिली है, जिसे तीर्थकर पार्श्वनाथ के नीचे उकेरा गया है। पार्श्व यक्ष का वाहन 'कच्छप' (कछुआ) है, और इसके सिर पर दिव्य नागछत्र है।

पार्श्वनाथ का सहायक

इतिहास सम्मत जैनियों के तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ का यह यक्ष संरक्षक और सेवक है। इसके सीधे ओर के दो हाथों में क्रमश: नारंगी फल और नाग है। बाए हाथों में क्रमश: एक नेवला ओर एक नाग है। यह यक्ष पार्श्वनाथ का पिछले जन्मों में भी सहायक, संरक्षक, सेवक रहा और हर बार सहायता के लिए आगे आता है।

कथा

जैन यक्ष परम्परा में जैन तीर्थकर पार्श्वनाथ का पार्श्व नामक यक्ष बहुत महत्त्वपूर्ण है। जैन यक्ष परम्परा के वर्णन के अनुरूप ग्वालियर में भी पार्श्व यक्ष की प्रतिमा प्राप्त हुई है। जैन ग्रन्थों में इस यक्ष की कथाएँ आती हैं, कि मेघमालिन नामक एक कपटी साधु द्वारा नाग के रूप में आग में जलाए जाने पर उसकी किस प्रकार से रक्षा हुई थी, और इसी कपटी व्यक्ति ने जिन पार्श्व को किस प्रकार तंग किया था और उसी नाग ने उनकी किस प्रकार से रक्षा की थी। यही नाग अपने पूर्व भव में पाताल में यक्ष के रूप में पैदा हुआ। 'नागराज' (शेषनाग) से भी इसका सम्बन्ध जोड़ा गया है। इस पार्श्व यक्ष की प्रतिमा के आसपास कई नाग उकेरे गए हैं। नाग और नेवले तथा कच्छप वाहन सामाजिक सदभाव के प्रतीक हैं। वहीं जिन पार्श्व को नुकसान पहुँचाने वाले दुष्ट साधु की कथा भी साथ में आती है और यक्ष पार्श्व हर बार अपने स्वामी पार्श्व की रक्षा करता है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 490 |

  1. हेमचन्द्र: त्रिशस्ति। भट्टाचार्य, बी.सी. जैन मूर्ति कला। चंचरीक एवं जैन, महेश, जैनधर्म विश्वकोश (अं)

संबंधित लेख