ढोल नृत्य: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''ढोल नृत्य''' राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
Line 5: Line 5:
*इस नृत्य में [[ढोल]] बजाने वाले एक मुखिया के साथ चार-पाँच लोग और होते हैं।
*इस नृत्य में [[ढोल]] बजाने वाले एक मुखिया के साथ चार-पाँच लोग और होते हैं।
*ढोल को स्थानीय 'थाकना' शैली में बजाया जाता है।
*ढोल को स्थानीय 'थाकना' शैली में बजाया जाता है।
*'थाकना' के बाद विभिन्न मुद्राओं व रूपों में लोग लयबद्ध नृत्य में सम्मिलि हो जाते हैं।
*'थाकना' के बाद विभिन्न मुद्राओं व रूपों में सजे पुरुष लयबद्ध तरीके से इस नृत्य में सम्मिलित होते हैं।
*राजस्थान में ढोली, सरगड़ा, माली तथा [[भील]] जाति के लोकवादक तथा गायक इसमें विशेष दक्ष माने जाते हैं।
*[[राजस्थान]] में ढोली, सरगड़ा, माली तथा [[भील]] जाति के लोकवादक तथा गायक इसमें विशेष दक्ष माने जाते हैं।





Latest revision as of 13:50, 8 April 2014

ढोल नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह मरुस्थल क्षेत्र का प्रसिद्ध नृत्य है, जिसका प्रचलन जालौर में है।

  • यह नृत्य मात्र पुरुषों के द्वारा किया जाता है, महिलाएँ इसमें भाग नहीं लेती हैं।
  • ढोल नृत्य एक समारोहिक नृत्य है, जिसे विवाह आदि के दिनों में उत्साह के साथ किया जाता है।
  • इस नृत्य में ढोल बजाने वाले एक मुखिया के साथ चार-पाँच लोग और होते हैं।
  • ढोल को स्थानीय 'थाकना' शैली में बजाया जाता है।
  • 'थाकना' के बाद विभिन्न मुद्राओं व रूपों में सजे पुरुष लयबद्ध तरीके से इस नृत्य में सम्मिलित होते हैं।
  • राजस्थान में ढोली, सरगड़ा, माली तथा भील जाति के लोकवादक तथा गायक इसमें विशेष दक्ष माने जाते हैं।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख