आगम निगम पुरान अनेका: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('23{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{सूचना बक्सा पुस्तक | |||
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg | |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg | ||
|चित्र का नाम=रामचरितमानस | |चित्र का नाम=रामचरितमानस |
Latest revision as of 05:26, 23 June 2016
आगम निगम पुरान अनेका
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | उत्तरकाण्ड |
आगम निगम पुरान अनेका। पढ़े सुने कर फल प्रभु एका॥ |
- भावार्थ
(तथा) हे प्रभो! अनेक तंत्र, वेद और पुराणों के पढ़ने और सुनने का सर्वोत्तम फल एक ही है और सब साधनों का भी यही एक सुंदर फल है कि आपके चरणकमलों में सदा-सर्वदा प्रेम हो॥2॥
left|30px|link=जप तप नियम जोग निज धर्मा|पीछे जाएँ | आगम निगम पुरान अनेका | right|30px|link=छूटइ मल कि मलहि के धोएँ|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख