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'''शक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Saka'') प्राचीन [[मध्य एशिया]] में रहने वाली स्किथी लोगों की एक जनजाति अथवा जनजातियों का समूह था। इनकी सही नस्ल की पहचान करना कठिन रहा है, क्योंकि प्राचीन भारतीय, ईरानी, [[यूनानी]] और चीनी स्रोत इनका अलग-अलग विवरण देते हैं। फिर भी अधिकतर [[इतिहासकार]] मानते हैं कि 'सभी शक स्किथी थे, लेकिन सभी स्किथी शक नहीं थे', यानि 'शक' स्किथी समुदाय के अन्दर के कुछ हिस्सों का जाति नाम था।
 
*विश्व के भाग होने के नाते शक एक प्राचीन ईरानी भाषा-परिवार की बोली बोलते थे और इनका अन्य स्किथी-सरमती लोगों से सम्बन्ध था।
*शकों का [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] पर गहरा असर रहा है, क्योंकि यह युइशी लोगों के दबाव से भारतीय उपमहाद्वीप में घुस आये और उन्होंने यहाँ एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया।
*शक सम्भवतः उत्तरी [[चीन]] तथा [[यूरोप]] के मध्य स्थित विदेश झींगझियांग प्रदेश के निवासी थे। [[कुषाण|कुषाणों]] एवं शकों का क़बीला एक ही माना गया था।
*लगभग ई. पू. 100 में विदेशी शासकों की शक्ति बढ़ने लगी। [[मथुरा]] में इनका केन्द्र बना। यहाँ के राजा 'शक क्षत्रप' के नाम से जाने जाते हैं।
*मथुरा के नागरिक शक-क्षत्रपों के समय सबसे पहले विदेशी सम्पर्क में आये, पर जनता पर कुषाण शासन का प्रभाव स्थाई रूप से पड़ा।
*[[शक संवत]] पुराना भारतीय [[संवत]] है जो ई. 78 से शुरू होता है। [[भारत]] में [[मौर्य काल|मौर्य]] और [[सातवाहन साम्राज्य|सातवाहन काल]] में शासन-वर्षों का ही प्रयोग होता था। संवतों का प्रयोग तिथि-निर्धारण के लिए कुषाण और शक काल से होने लगा।
*[[शक संवत|शक]], मालव, गुप्त, हर्ष आदि संवतों का संबंध ऐतिहासिक घटनाओं से है।
*[[महाभारत]] में भी शकों का उल्लेख है। शक उस देश के रहने वाले थे जो पुराने समय में सीस्तान और आजकल दक्षिणी ईरान तथा उज्बेकिस्तान कहलाता है।
*'[[कम्बोज]]' को अब 'कबोह' कहते हैं। [[तुषर जाति|तुषर]] ही बाद में चल कर [[कुषाण]] भी कहलाने लगे थे। यह शक और कुषाण [[ईरान]] से लेकर आज के सोवियत यूनियन के अनेक देशों तक फैले हुये थे।
*[[पनव जाति|पनव]] योन टापू निवासी थे, जिसे अब [[यूनान]] कहा जाता है। इन सब जातियों के लोग [[आर्य]] ही थे, और उस समय हमारे तथा उनके धर्म संस्कारों में भी कोई खास बड़ा अन्तर नहीं था। लेकिन ठण्डे देशों के ये लड़वैये हमारे यहां के शूरवीरों से अधिक जल्लाद होते थे।<ref>{{cite web |url=http://hi.krishnakosh.org/w/index.php?title=%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE_-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0_%E0%A4%AA%E0%A5%83._182 |title=महाभारत कथा -अमृतलाल नागर पृ. 182 |accessmonthday= 25 जनवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hi.krishnakosh.org|language= हिंदी}}</ref>
 
 
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*शक सम्भवतः उत्तरी चीन तथा [[यूरोप]] के मध्य स्थित विदेश झींगझियांग प्रदेश के निवासी थे।
 
*[[कुषाण|कुषाणों]] एवं शकों का क़बीला एक ही माना गया था, किन्तु इन दोनों के कबीले अलग अलग थे।
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*लगभग ई. पू. 100 में विदेशी शासकों की शक्ति बढ़ने लगी। [[मथुरा]] में इनका केन्द्र बना। यहाँ के राजा 'शक क्षत्रप' के नाम से जाने जाते हैं।
*[[मथुरा]] के नागरिक शक-क्षत्रपों के समय सबसे पहले विदेशी सम्पर्क में आये पर जनता पर कुषाण शासन का प्रभाव स्थाई रूप से पड़ा।
*[[शक संवत]] पुराना भारतीय [[संवत]] है जो ई. 78 से शुरू होता है।
*[[भारत]] में [[मौर्य काल|मौर्य]] और [[सातवाहन साम्राज्य|सातवाहन काल]] में शासन-वर्षों का ही प्रयोग होता था। संवतों का प्रयोग तिथि-निर्धारण के लिए कुषाण और शक काल से होने लगा है।
*[[शक संवत|शक]], [[मालव संवत|मालव]], [[गुप्त संवत|गुप्त]], [[हर्ष संवत|हर्ष]] आदि संवतों का संबंध ऐतिहासिक घटनाओं से है। [[महाभारत]] में भी शकों का उल्लेख है।
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चित्र:Saka King-4.jpg|शक राज पुरुष<br />Saka King (Mastan)
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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[[चित्र:Shaka-Colaj.jpg|thumb|250px|शक राज पुरुष मस्टन, राजकीय संग्रहालय, मथुरा]] शक (अंग्रेज़ी: Saka) प्राचीन मध्य एशिया में रहने वाली स्किथी लोगों की एक जनजाति अथवा जनजातियों का समूह था। इनकी सही नस्ल की पहचान करना कठिन रहा है, क्योंकि प्राचीन भारतीय, ईरानी, यूनानी और चीनी स्रोत इनका अलग-अलग विवरण देते हैं। फिर भी अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि 'सभी शक स्किथी थे, लेकिन सभी स्किथी शक नहीं थे', यानि 'शक' स्किथी समुदाय के अन्दर के कुछ हिस्सों का जाति नाम था।

  • विश्व के भाग होने के नाते शक एक प्राचीन ईरानी भाषा-परिवार की बोली बोलते थे और इनका अन्य स्किथी-सरमती लोगों से सम्बन्ध था।
  • शकों का भारत के इतिहास पर गहरा असर रहा है, क्योंकि यह युइशी लोगों के दबाव से भारतीय उपमहाद्वीप में घुस आये और उन्होंने यहाँ एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया।
  • शक सम्भवतः उत्तरी चीन तथा यूरोप के मध्य स्थित विदेश झींगझियांग प्रदेश के निवासी थे। कुषाणों एवं शकों का क़बीला एक ही माना गया था।
  • लगभग ई. पू. 100 में विदेशी शासकों की शक्ति बढ़ने लगी। मथुरा में इनका केन्द्र बना। यहाँ के राजा 'शक क्षत्रप' के नाम से जाने जाते हैं।
  • मथुरा के नागरिक शक-क्षत्रपों के समय सबसे पहले विदेशी सम्पर्क में आये, पर जनता पर कुषाण शासन का प्रभाव स्थाई रूप से पड़ा।
  • शक संवत पुराना भारतीय संवत है जो ई. 78 से शुरू होता है। भारत में मौर्य और सातवाहन काल में शासन-वर्षों का ही प्रयोग होता था। संवतों का प्रयोग तिथि-निर्धारण के लिए कुषाण और शक काल से होने लगा।
  • शक, मालव, गुप्त, हर्ष आदि संवतों का संबंध ऐतिहासिक घटनाओं से है।
  • महाभारत में भी शकों का उल्लेख है। शक उस देश के रहने वाले थे जो पुराने समय में सीस्तान और आजकल दक्षिणी ईरान तथा उज्बेकिस्तान कहलाता है।
  • 'कम्बोज' को अब 'कबोह' कहते हैं। तुषर ही बाद में चल कर कुषाण भी कहलाने लगे थे। यह शक और कुषाण ईरान से लेकर आज के सोवियत यूनियन के अनेक देशों तक फैले हुये थे।
  • पनव योन टापू निवासी थे, जिसे अब यूनान कहा जाता है। इन सब जातियों के लोग आर्य ही थे, और उस समय हमारे तथा उनके धर्म संस्कारों में भी कोई खास बड़ा अन्तर नहीं था। लेकिन ठण्डे देशों के ये लड़वैये हमारे यहां के शूरवीरों से अधिक जल्लाद होते थे।[1]


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वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत कथा -अमृतलाल नागर पृ. 182 (हिंदी) hi.krishnakosh.org। अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2017।

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