योगमाया: Difference between revisions
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'''योगमाया''' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार देवी शक्ति हैं। भगवान [[श्रीकृष्ण]] योग योगेश्वर हैं तो भगवती योगमाया हैं। इनकी साधना भुक्ति और मुक्ति दोनों ही प्रदान करने वाली है। इसी योगमाया के प्रभाव से समस्त जगत् आवृत्त है। जगत् में जो भी कुछ दिख रहा है, वह सब योगमाया की ही माया है। | |||
*गर्गपुराण के अनुसार [[देवकी]] के सप्तम गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुँचाया था, जिससे [[बलराम]] का जन्म हुआ था। | *गर्गपुराण के अनुसार [[देवकी]] के सप्तम गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुँचाया था, जिससे [[बलराम]] का जन्म हुआ था। | ||
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*कारागार में [[देवकी]] के आठवें पुत्र के जन्म लेने के उपरांत [[वसुदेव]] ने उसे [[नन्द]] के यहाँ [[यशोदा]] के पास लिटा दिया, जिससे बाद में [[आँख]] खुलने पर यशोदा ने बालिका के स्थान पर पुत्र को ही पाया। | *कारागार में [[देवकी]] के आठवें पुत्र के जन्म लेने के उपरांत [[वसुदेव]] ने उसे [[नन्द]] के यहाँ [[यशोदा]] के पास लिटा दिया, जिससे बाद में [[आँख]] खुलने पर यशोदा ने बालिका के स्थान पर पुत्र को ही पाया। | ||
*वसुदेव बालिका को लेकर [[मथुरा]] वापस आ गये और जब [[कंस]] ने उस बालिका को मारना चाहा तो वह हाथ से छूट कर आकाशवाणी करती हुई चली गई। | *वसुदेव बालिका को लेकर [[मथुरा]] वापस आ गये और जब [[कंस]] ने उस बालिका को मारना चाहा तो वह हाथ से छूट कर आकाशवाणी करती हुई चली गई। | ||
*इन्हीं योगमाया ने [[कृष्ण]] के साथ योगविद्या और महाविद्या बनकर कंस, [[चाणूर]] और [[मुष्टिक]] आदि शक्तिशाली [[असुर|असुरों]] का संहार कराया, जो कंस के प्रमुख मल्ल माने जाते थे। | |||
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thumb|220px|देवी योगमाया योगमाया पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवी शक्ति हैं। भगवान श्रीकृष्ण योग योगेश्वर हैं तो भगवती योगमाया हैं। इनकी साधना भुक्ति और मुक्ति दोनों ही प्रदान करने वाली है। इसी योगमाया के प्रभाव से समस्त जगत् आवृत्त है। जगत् में जो भी कुछ दिख रहा है, वह सब योगमाया की ही माया है।
- गर्गपुराण के अनुसार देवकी के सप्तम गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुँचाया था, जिससे बलराम का जन्म हुआ था।
- योगमाया ने यशोदा के गर्भ से जन्म लिया था। इनके जन्म के समय यशोदा गहरी निद्रा में थीं और उन्होंने इस बालिका को देखा नहीं था।
- कारागार में देवकी के आठवें पुत्र के जन्म लेने के उपरांत वसुदेव ने उसे नन्द के यहाँ यशोदा के पास लिटा दिया, जिससे बाद में आँख खुलने पर यशोदा ने बालिका के स्थान पर पुत्र को ही पाया।
- वसुदेव बालिका को लेकर मथुरा वापस आ गये और जब कंस ने उस बालिका को मारना चाहा तो वह हाथ से छूट कर आकाशवाणी करती हुई चली गई।
- इन्हीं योगमाया ने कृष्ण के साथ योगविद्या और महाविद्या बनकर कंस, चाणूर और मुष्टिक आदि शक्तिशाली असुरों का संहार कराया, जो कंस के प्रमुख मल्ल माने जाते थे।
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