कृष्णाट्टम नृत्य: Difference between revisions

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'''कृष्णाट्टम नृत्य''' अथवा 'कृष्णाअट्टम नृत्य' [[केरल]] की एक [[शास्त्रीय नृत्य]] नाटिका शैली है। इसमें [[कृष्ण]] की पूरी कहानी एक नाटक चक्र में दिखाई जाती है, जिसके निर्माण में आठ रातें लगती हैं। इस नृत्य शैली में भगवान [[कृष्ण]] के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन किया जाता है। 'विल्वामंगलम' नामक कृष्ण का एक [[भक्त]] कृष्ण की पोशाक बनाने में मदद करता है। इस नृत्य नाटक में अभिनय करने वाले व्यक्ति को बैले तत्व और अनुकरण करने की पद्वति से युक्त होना चाहिए। कथा गीत संगीतकारों के लिए छोड़ दिया जाता है।
'''कृष्णाट्टम नृत्य''' अथवा 'कृष्णाअट्टम नृत्य' [[केरल]] की एक [[शास्त्रीय नृत्य]] नाटिका शैली है। इसमें [[कृष्ण]] की पूरी कहानी एक नाटक चक्र में दिखाई जाती है, जिसके निर्माण में आठ रातें लगती हैं। इस नृत्य शैली में भगवान [[कृष्ण]] के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन किया जाता है। 'विल्वामंगलम' नामक कृष्ण का एक [[भक्त]] कृष्ण की पोशाक बनाने में मदद करता है। इस नृत्य नाटक में अभिनय करने वाले व्यक्ति को बैले तत्व और अनुकरण करने की पद्वति से युक्त होना चाहिए। कथा गीत संगीतकारों के लिए छोड़ दिया जाता है।
====नृत्य का आधार====
====नृत्य का आधार====
कृष्णाट्टम एक मन्नत की पेशकश के तौर पर बनाया गया था और यह 'गुरूवयूर' के मंदिर में उसकी क्षमतानुसार आज भी किया जाता है। यह नृत्य नाटिका कृष्ण-[[गीता]] पाठ पर आधारित है, जो कि [[संस्कृत]] में है। प्राचीन धार्मिक [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] जैसे- 'थियाट्टम', 'मुडियाट्टू' एवं 'थियाम' की कई विशेषताओं को कृष्णाट्टम में देखा जा सकता है, जिनमें चेहरे पर पेटिंग करना, रंगीन मुखौटे का उपयोग, सुन्दर वस्त्र और कपड़ों का उपयोग आदि महत्वपूर्ण है। मुखसज्जा, कपडे और [[आभूषण]] जो कि कृष्णाट्टम में उपयोग किए जाते हैं, वो लगभग वैसे ही होते हैं, जैसे [[कथकली]] में उपयोग में लाए जाते हैं।<ref name="mcc">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/knowindia/state_uts.php?id=45 |title=कला और संस्कृति|accessmonthday=25 जुलाई|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
कृष्णाट्टम एक मन्नत की पेशकश के तौर पर बनाया गया था और यह 'गुरूवयूर' के मंदिर में उसकी क्षमतानुसार आज भी किया जाता है। यह नृत्य नाटिका कृष्ण-[[गीता]] पाठ पर आधारित है, जो कि [[संस्कृत]] में है। प्राचीन धार्मिक [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] जैसे- 'थियाट्टम', 'मुडियाट्टू' एवं 'थियाम' की कई विशेषताओं को कृष्णाट्टम में देखा जा सकता है, जिनमें चेहरे पर पेटिंग करना, रंगीन मुखौटे का उपयोग, सुन्दर वस्त्र और कपड़ों का उपयोग आदि महत्त्वपूर्ण है। मुखसज्जा, कपडे और [[आभूषण]] जो कि कृष्णाट्टम में उपयोग किए जाते हैं, वो लगभग वैसे ही होते हैं, जैसे [[कथकली]] में उपयोग में लाए जाते हैं।<ref name="mcc">{{cite web |url=http://bharat.gov.in/knowindia/state_uts.php?id=45 |title=कला और संस्कृति|accessmonthday=25 जुलाई|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
====विशेषताएँ====
====विशेषताएँ====
इस नृत्य नाटिका की अपनी कुछ विशेषताएँ भी है जैसे-  
इस नृत्य नाटिका की अपनी कुछ विशेषताएँ भी है जैसे-  
#इसमें कुछ चरित्र पेंट किए हुए मुखौटे पहनते हैं, जो कि लकड़ी से बने हुए होते हैं।
#इसमें कुछ चरित्र पेंट किए हुए मुखौटे पहनते हैं, जो कि लकड़ी से बने हुए होते हैं।
#शारीरिक भाषा बहुत अच्छी तरह से विकसित नहीं होती है।
#शारीरिक भाषा बहुत अच्छी तरह से विकसित नहीं होती है।
#ख़ास ध्यान शुद्व नृत्य (नृत्ता) और समूह की हलचल और समूह रचनाओं पर होता है। सभी 8 रातों में सुंदर नृत्य किया जाता है।
#ख़ास ध्यान शुद्ध नृत्य (नृत्ता) और समूह की हलचल और समूह रचनाओं पर होता है। सभी 8 रातों में सुंदर नृत्य किया जाता है।
#कृष्णाट्टम के अलावा किसी अन्य [[नृत्य]] में इतने सारे चरित्रों का प्रदर्शन एक साथ नहीं देखा जा सकता और वो भी एक समान चेहरे के हाव भाव, [[आँख|आँखों]] के भाव, इशारे और अत्यधिक समन्वय के साथ कदमताल के साथ।
#कृष्णाट्टम के अलावा किसी अन्य [[नृत्य]] में इतने सारे चरित्रों का प्रदर्शन एक साथ नहीं देखा जा सकता और वो भी एक समान चेहरे के हाव भाव, [[आँख|आँखों]] के भाव, इशारे और अत्यधिक समन्वय के साथ कदमताल के साथ।
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Latest revision as of 12:40, 19 September 2017

thumb|250px|कृष्णाट्टम नृत्य कृष्णाट्टम नृत्य अथवा 'कृष्णाअट्टम नृत्य' केरल की एक शास्त्रीय नृत्य नाटिका शैली है। इसमें कृष्ण की पूरी कहानी एक नाटक चक्र में दिखाई जाती है, जिसके निर्माण में आठ रातें लगती हैं। इस नृत्य शैली में भगवान कृष्ण के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन किया जाता है। 'विल्वामंगलम' नामक कृष्ण का एक भक्त कृष्ण की पोशाक बनाने में मदद करता है। इस नृत्य नाटक में अभिनय करने वाले व्यक्ति को बैले तत्व और अनुकरण करने की पद्वति से युक्त होना चाहिए। कथा गीत संगीतकारों के लिए छोड़ दिया जाता है।

नृत्य का आधार

कृष्णाट्टम एक मन्नत की पेशकश के तौर पर बनाया गया था और यह 'गुरूवयूर' के मंदिर में उसकी क्षमतानुसार आज भी किया जाता है। यह नृत्य नाटिका कृष्ण-गीता पाठ पर आधारित है, जो कि संस्कृत में है। प्राचीन धार्मिक लोक नृत्यों जैसे- 'थियाट्टम', 'मुडियाट्टू' एवं 'थियाम' की कई विशेषताओं को कृष्णाट्टम में देखा जा सकता है, जिनमें चेहरे पर पेटिंग करना, रंगीन मुखौटे का उपयोग, सुन्दर वस्त्र और कपड़ों का उपयोग आदि महत्त्वपूर्ण है। मुखसज्जा, कपडे और आभूषण जो कि कृष्णाट्टम में उपयोग किए जाते हैं, वो लगभग वैसे ही होते हैं, जैसे कथकली में उपयोग में लाए जाते हैं।[1]

विशेषताएँ

इस नृत्य नाटिका की अपनी कुछ विशेषताएँ भी है जैसे-

  1. इसमें कुछ चरित्र पेंट किए हुए मुखौटे पहनते हैं, जो कि लकड़ी से बने हुए होते हैं।
  2. शारीरिक भाषा बहुत अच्छी तरह से विकसित नहीं होती है।
  3. ख़ास ध्यान शुद्ध नृत्य (नृत्ता) और समूह की हलचल और समूह रचनाओं पर होता है। सभी 8 रातों में सुंदर नृत्य किया जाता है।
  4. कृष्णाट्टम के अलावा किसी अन्य नृत्य में इतने सारे चरित्रों का प्रदर्शन एक साथ नहीं देखा जा सकता और वो भी एक समान चेहरे के हाव भाव, आँखों के भाव, इशारे और अत्यधिक समन्वय के साथ कदमताल के साथ।
  5. इस नृत्य कला में 'मदालम', 'इलाथलम' और 'चेंगला' नामक संगीत के यंत्रों का प्रयोग होता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 कला और संस्कृति (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2012।

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