अजयगढ़: Difference between revisions

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'''अजयगढ़''' [[मध्य प्रदेश]] [[राज्य]] के [[बुंदेलखंड]] की एक प्राचीन रियासत है।  
'''अजयगढ़''' [[मध्य प्रदेश]] [[राज्य]] के [[बुंदेलखंड]] की पन्ना जिले की एक प्राचीन रियासत है, जो 24° 54¢ उ. अ. तथा 80° 18¢ पू. दे. पर पुराने किले के पास स्थित है। पहले यह एक देशी राज्य था, जो दो अलग-अलग प्रांतों में बँटा था- एक अजयगढ़ तथा दूसरा मैहर के आसपास। यह [[विंध्याचल पर्वत]] की मध्य श्रेणियों के बीच पड़ता है। इसके आसपास सागौन तथा तेंदू के वृक्षों के घने जंगल हैं। यहाँ की मुख्य नदियाँ [[केन नदी|केन]] तथा उसकी सहायक बैरमा हैं।
*कहा जाता है इस नगर को [[दशरथ]] के पिता [[अज]] ने बसाया था।  
* सामान्य वार्षिक वर्षा 45¢ ¢ है। यहाँ की लगभग 40 प्रतिशत जनता [[कृषि]] पर निर्भर है। [[गेहूँ]], [[चावल]], [[जौ]], [[चना]], कोदो, [[ज्वार]] तथा [[कपास]] मुख्य उपज हैं।
*अजयगढ़ का प्राचीन नाम अजगढ़ ही है।  
* परिवहन के साधनों की कमी तथा भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ पर कोई व्यापार नहीं हो पाता। मुख्य बोली बुंदेलखंडी है तथा निवासियों की जातियाँ बुंदेला राजपूत, [[ब्राह्मण]], काछी, [[चमार]], लोधा, [[अहीर]] या [[गोंड]] हैं। यहाँ का किला (जयपुर दुर्ग) समुद्र तल से 1,744¢ की ऊँचाई पर केदार पर्वत के ऊपर स्थित है। यह नवीं शताब्दी में बनाया गया था। इसमें अब केवल सुंदर नक्काशी के मंदिरों के कुछ अंश बच गए हैं। इस पहाड़ की चोटी पर स्वच्छ पानी के कई तालाब भी हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=83 |url=}}</ref>
*कहा जाता है इस नगर को [[दशरथ]] के [[पिता]] [[अज]] ने बसाया था।  
*अजयगढ़ का प्राचीन नाम '''अजगढ़''' ही है।  
*अजयगढ़ नगर [[केन नदी]] के समीप एक पहाड़ी पर बसा हुआ है।  
*अजयगढ़ नगर [[केन नदी]] के समीप एक पहाड़ी पर बसा हुआ है।  
*पहाड़ी पर अज ने एक दुर्ग बनवाया था- ऐसी किंवदंती भी यहाँ प्रचलित है।  
*पहाड़ी पर अज ने एक [[दुर्ग]] बनवाया था- ऐसी किंवदंती भी यहाँ प्रचलित है।  
*कुछ लोगों का कहना है कि किला राजा अजयपाल का बनवाया हुआ है पर इस नाम के राजा का उल्लेख इस प्रदेश के इतिहास में नहीं मिलता।  
*कुछ लोगों का कहना है कि किला राजा अजयपाल का बनवाया हुआ है पर इस नाम के राजा का उल्लेख इस प्रदेश के इतिहास में नहीं मिलता।  
*यह दुर्ग कलिंजर के मिले के समान ही सुदृढ़ समझा जाता है।  
*यह दुर्ग कलिंजर के किले के समान ही सुदृढ़ समझा जाता है।  
*[[पर्वत]] के दक्षिणी भाग में हिन्दू-बौद्ध तथा जैन मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष मिलते हैं।  
*[[पर्वत]] के दक्षिणी भाग में [[हिन्दू]]-[[बौद्ध]] तथा [[जैन]] मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष मिलते हैं।  
*खजुराहो-शैली में बने हुए चार विहार तथा तीन सरोवर भी उल्लेखनीय हैं।  
*[[खजुराहो]]-शैली में बने हुए चार विहार तथा तीन सरोवर भी उल्लेखनीय हैं।  
*अजयगढ़ [[चंदेल वंश|चंदेल]] राजाओं के शासनकाल में उन्नति के शिखर पर था।  
*अजयगढ़ [[चंदेल वंश|चंदेल]] राजाओं के शासनकाल में उन्नति के शिखर पर था।  
*[[पृथ्वीराज चौहान]] के समकालीन चंदेल नरेश परमर्दिदेव या परमाल के बनवाए कई मंदिर और सरोवर यहां हैं।  
*[[पृथ्वीराज चौहान]] के समकालीन [[चंदेल वंश|चंदेल]] [[परमार्दि|नरेश परमर्दिदेव]] या परमाल के बनवाए कई मंदिर और सरोवर यहां हैं।  
*पृथ्वीराज ने परमाल को पराजित करने के पश्चात् धसान नदी के पश्चिमी भाग को अपने अधिकार में रखकर अजयगढ़ को उसी के पास छोड़ दिया था।  
*पृथ्वीराज ने परमाल को पराजित करने के पश्चात् [[धसान नदी]] के पश्चिमी भाग को अपने अधिकार में रखकर अजयगढ़ को उसी के पास छोड़ दिया था।  
*चंदेलों का अजयगढ़ पर कई सौ [[वर्ष|वर्षों]] तक राज्य रहा था और यह नगर उनके राज्य के मुख्य स्थानों में से था।  
*चंदेलों का अजयगढ़ पर कई सौ [[वर्ष|वर्षों]] तक राज्य रहा था और यह नगर उनके राज्य के मुख्य स्थानों में से था।  


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Latest revision as of 11:43, 20 May 2018

अजयगढ़ मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड की पन्ना जिले की एक प्राचीन रियासत है, जो 24° 54¢ उ. अ. तथा 80° 18¢ पू. दे. पर पुराने किले के पास स्थित है। पहले यह एक देशी राज्य था, जो दो अलग-अलग प्रांतों में बँटा था- एक अजयगढ़ तथा दूसरा मैहर के आसपास। यह विंध्याचल पर्वत की मध्य श्रेणियों के बीच पड़ता है। इसके आसपास सागौन तथा तेंदू के वृक्षों के घने जंगल हैं। यहाँ की मुख्य नदियाँ केन तथा उसकी सहायक बैरमा हैं।

  • सामान्य वार्षिक वर्षा 45¢ ¢ है। यहाँ की लगभग 40 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। गेहूँ, चावल, जौ, चना, कोदो, ज्वार तथा कपास मुख्य उपज हैं।
  • परिवहन के साधनों की कमी तथा भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ पर कोई व्यापार नहीं हो पाता। मुख्य बोली बुंदेलखंडी है तथा निवासियों की जातियाँ बुंदेला राजपूत, ब्राह्मण, काछी, चमार, लोधा, अहीर या गोंड हैं। यहाँ का किला (जयपुर दुर्ग) समुद्र तल से 1,744¢ की ऊँचाई पर केदार पर्वत के ऊपर स्थित है। यह नवीं शताब्दी में बनाया गया था। इसमें अब केवल सुंदर नक्काशी के मंदिरों के कुछ अंश बच गए हैं। इस पहाड़ की चोटी पर स्वच्छ पानी के कई तालाब भी हैं।[1]
  • कहा जाता है इस नगर को दशरथ के पिता अज ने बसाया था।
  • अजयगढ़ का प्राचीन नाम अजगढ़ ही है।
  • अजयगढ़ नगर केन नदी के समीप एक पहाड़ी पर बसा हुआ है।
  • पहाड़ी पर अज ने एक दुर्ग बनवाया था- ऐसी किंवदंती भी यहाँ प्रचलित है।
  • कुछ लोगों का कहना है कि किला राजा अजयपाल का बनवाया हुआ है पर इस नाम के राजा का उल्लेख इस प्रदेश के इतिहास में नहीं मिलता।
  • यह दुर्ग कलिंजर के किले के समान ही सुदृढ़ समझा जाता है।
  • पर्वत के दक्षिणी भाग में हिन्दू-बौद्ध तथा जैन मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष मिलते हैं।
  • खजुराहो-शैली में बने हुए चार विहार तथा तीन सरोवर भी उल्लेखनीय हैं।
  • अजयगढ़ चंदेल राजाओं के शासनकाल में उन्नति के शिखर पर था।
  • पृथ्वीराज चौहान के समकालीन चंदेल नरेश परमर्दिदेव या परमाल के बनवाए कई मंदिर और सरोवर यहां हैं।
  • पृथ्वीराज ने परमाल को पराजित करने के पश्चात् धसान नदी के पश्चिमी भाग को अपने अधिकार में रखकर अजयगढ़ को उसी के पास छोड़ दिया था।
  • चंदेलों का अजयगढ़ पर कई सौ वर्षों तक राज्य रहा था और यह नगर उनके राज्य के मुख्य स्थानों में से था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 83 |

बाहरी कड़ियाँ

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