कविता कृष्णमूर्ति: Difference between revisions

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Latest revision as of 04:38, 25 March 2020

कविता कृष्णमूर्ति
पूरा नाम कविता कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम
प्रसिद्ध नाम कविता कृष्णमूर्ति
अन्य नाम शारदा कृष्णमूर्ति (मूल नाम)
जन्म 25 जनवरी, 1958
जन्म भूमि दिल्ली, भारत
अभिभावक पिता- टी.एस. कृष्णमूर्ति
पति/पत्नी एल. सुब्रमण्यम
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र गायिकी
पुरस्कार-उपाधि 'पद्मश्री' (2005), फ़िल्मफेयर पुरस्कार (चार बार, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायिका)
प्रसिद्धि पार्श्वगायिका
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी साल 1980 में कविता कृष्णमूर्ति ने अपना पहला पार्श्व गीत 'काहे को ब्याही' (फ़िल्म 'मांग भरो सजना') गाया। यह गाना बाद में फ़िल्म से हटा दिया गया था।

कविता कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम (अंग्रेज़ी: Kavita Krishnamurthy Subramaniam, जन्म- 25 जनवरी, 1958, दिल्ली) भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध पार्श्वगायिकाओं में से एक हैं। जब वह मात्र आठ साल की थीं, तब एक गायन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता था। तभी से एक मशहूर गायिका बनने का निश्चय उन्होंने कर लिया था। कविता कृष्णमूर्ति ने हिन्दी सहित करीब दर्जन भर भाषाओं में 25 हजार गाने गाए हैं। गायिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भारत सरकार ने 2005 में 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था। इसके अतिरिक्त उन्हें चार बार सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायिका का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी दिया जा चुका है।

परिचय

कविता कृष्णमूर्ति का जन्म 25 जनवरी सन 1958 को नई दिल्ली में हुआ था। उनका का असल नाम 'शारदा' है। उनके पिता 'एजुकेशन एंड कल्चर अफेयर्स मिनिस्ट्री' में कर्मचारी थे। भारत की विविधता का ही कमाल है कि उत्तर भारत के सबसे बड़े शहर में एक तमिल अय्यर परिवार की लड़की ने सबसे पहले जो संगीत सीखा, वह था बंगाल का रबींद्र संगीत। कविता महज 9 साल की थीं, जब उन्होंने लता मंगेशकर के साथ गाना गाया। साल था 1967। तब लता मंगेशकर किवदंती बनने की राह पर काफी आगे निकल चुकी थीं। लता मंगेशकर और कविता कृष्णमूर्ति ने एक टैगोर गीत रिकॉर्ड किया था। इसमें संगीत था हेमंत कुमार का।

कविता कृष्णमूर्ति का बचपन लुटियंस दिल्ली की सरकारी कॉलोनी में बीता। वह बड़े होकर आईएफएस अधिकारी बनना चाहती थीं। लेकिन फिर संगीत में ऐसी लौ लगी कि बलरामपुरी से क्लासिकल सीखने लगीं और आधी पढ़ाई में ही मुम्बई शिफ्ट हो गईं। कविता कृष्णमूर्ति ने मुंबई के मशहूर सेंट जेवियर्स कॉलेज से इकॉनमिक्स में बीए किया। इस दौरान वह हेमंत कुमार की बेटी रानू मुखर्जी से मिलीं। एक बार फिर से संगीत की राह खुली। मन्ना डे ने उनसे रेडियो के लिए कई जिंगल्स गवाए। फिर मुलाकात हुई हेमा मालिनी की माता जया चक्रवर्थी से। उन्होंने कविता को लक्ष्मीकांत तक पहुंचाया। लक्ष्मीकांत ने कविता को अपने संरक्षण में ले लिया।

विवाह

कविता कृष्णमूर्ति वायलिन वादक एल. सुब्रमण्यम की पत्नी हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि- "एक बार उन्हें गायक हरिहरन के साथ मिलकर सुब्रमण्यम के लिए गाना गाना था, तब उनका विवाह नहीं हुआ था। सुब्रमण्यम का बहुत नाम था और इसलिए कविता उनसे बहुत घबराई हुई थीं, लेकिन उन्होंने बहुत धैर्य के साथ गाना पूरा किया। इसके बाद साथ काम करने के दौरान दोनों करीब आए और विवाह बंधन में बंध गए।

सफल गायिका

साल 1980 में कविता कृष्णमूर्ति ने अपना पहला पार्श्व गीत 'काहे को ब्याही' (मांग भरो सजना) गाया। हालांकि यह गाना बाद में फ़िल्म से हटा दिया गया था, लेकिन कविता की प्रतिभा दबने वाली नहीं थी। 1985 में फ़िल्म 'प्यार झुकता नहीं' के गानों ने उन्हें पार्श्वगायिका के रूप में पहचान दिलाई। इसके बाद फ़िल्म 'मिस्टर इंडिया' के गाने 'हवा हवाई' और 'करते हैं हम प्यार' ने उन्हें सुपरहिट गायिका का दर्जा दिलाया। 90 के दशक में कविता कृष्णमूर्ति हिंदी सिनेमा की अग्रणी पार्श्वगायिका बनकर उभरीं। फ़िल्म '1942 ए लव स्टोरी' में गाए उनके गाने आज भी पसंद किए जाते हैं। उन्होंने अपने करियर में आनंद मिलन, उदित नारायण, ए. आर. रहमान, अनु मलिक जैसे गायकों व संगीत निर्देशकों के साथ काम किया है।

पसंदीदा अभिनेता व अभिनेत्री

एक बार एक साक्षात्कार में कविता कृष्णमूर्ति ने बताया था कि- "बचपन में उनको अभिनेता दिलीप कुमार बहुत पसंद थे। वह जब बड़ी हो रही थीं, तब अभिनेताओं में संजीव कुमार को पसंद करती थीं। उन्हें अमिताभ बच्चन और आमिर ख़ान भी पसंद हैं। अभिनेत्रियों में श्रीदेवी, रानी मुखर्जी और काजोल पसंद हैं। शबाना आज़मी को वह बेहतरीन अभिनेत्री मानती हैं। कविता कृष्णमूर्ति ने शबाना आज़मी, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, मनीषा कोइराला और ऐश्वर्या राय सरीखी शीर्ष अभिनेत्रियों के लिए गाने गाए हैं।"

पुरस्कार व सम्मान

कविता कृष्णमूर्ति चार बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के फ़िल्मफेयर अवार्ड के लिए चुनी गई हैं। यही नहीं, 2005 में उन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान 'पद्मश्री भी मिला।

गीत

कविता कृष्णमूर्ति ने पहला गाना कन्नड़ में गाया था। यदि किसी को ये लगता है कि वे सिर्फ 90 के दशक की टॉप गायिका रही हैं, तो यह गलत है। उनका आखिरी गाना 2011 में आई फ़िल्म 'रॉकस्टार' में सुना गया। 'तुमको जो पाया...' गाना कविता कृष्णमूर्ति की ही आवाज में है और साथ ही 2017 में फ़िल्म 'तुम्हारी सुलु' में उनका गाना 'हवा-हवाई...' लिया गया। अच्छी बात यह है कि इसमें उनकी आवाज को वैसा ही लिया गया है और उनकी आवाज में कोई बदलाव नहीं है। अपने इस लंबे सफर में कविता कृष्णमूर्ति ने कई गाने गाए हैं, जिनमें टॉप गानों पर निम्न गीत आते हैं-

क्रमांक गीत फ़िल्म वर्ष
1. निंबुड़ा-निंबुड़ा-निंबुड़ा हम दिल दे चुके सनम 1999
2. बोले चूड़ियां, बोले कंगना कभी खुशी कभी गम 2001
3. हवा-हवाई मिस्टर इंडिया 1987
4. नींद चुराई मेरी, किसने ओ सनम इश्क 1987
5. तू ही रे-तू ही रे बॉम्बे 1995
6. साजनजी घर आए, साजनजी घर आए कुछ-कुछ होता है 1998
7. ऐ वतन तेरे लिए कर्मा 1986
8. तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त मोहरा 1994
9. आई लव माई इंडिया परदेस 1997
10. डोला रे डोला रे डोला रे देवदास 2002
11. हम पे ये किसने हरा रंग डाला देवदास 2002
12. आंखों की गुस्ताखियां माफ हों हम दिल दे चुके सनम 1999
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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