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'''खदिरवन (खायरो)'''
'''खदिरवन (खायरो) / Khadirvan'''
{{सूचना बक्सा पर्यटन
*इसका वर्तमान नाम खायरा है। [[छाता]] से तीन मील दक्षिण तथा [[जावट ग्राम|जावट]] से तीन मील दक्षिण पूर्व में खायरा ग्राम स्थित है।  
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*यह [[कृष्ण]] के गोचारण का स्थान है। यहाँ संगम में कुण्ड है, जहाँ [[गोपी|गोपियों]] के साथ कृष्ण का संगम अर्थात मिलन हुआ था।  
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*इसी के तट पर लोकनाथ गोस्वामी निर्जन स्थान में साधन-भजन करते थे। पास में ही कदम्बखण्डी है।  
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*इसका वर्तमान नाम खायरा है। [[छाता]] से तीन मील दक्षिण तथा जावट से तीन मील दक्षिण पूर्व में खायरा ग्राम स्थित है।  
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*यह परम मनोरम स्थल है। यहाँ कृष्ण एवं [[बलराम]] सखाओं के साथ तरह-तरह की बाल लीलाएँ करते थे। खजूर पकने के समय कृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण के लिए आते तथा पके हुए खजूरों को खाते थे।
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==प्रसंग==
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Latest revision as of 08:20, 10 February 2021

खदिरवन (खायरो)

खदिरवन
विवरण खदिरवन छाता से तीन मील दक्षिण तथा जावट से तीन मील दक्षिण पूर्व में खायरा ग्राम स्थित है। यह कृष्ण के गोचारण का स्थान है। यहाँ संगम में कुण्ड हैं, जहाँ गोपियों के साथ कृष्ण का संगम अर्थात् मिलन हुआ था।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार ऑटो आदि
संबंधित लेख कृष्ण, वृन्दावन, काम्यवन, कुमुदवन, कोकिलावन, कोटवन


अन्य जानकारी यह परम मनोरम स्थल है। यहाँ कृष्ण एवं बलराम सखाओं के साथ तरह-तरह की बाल लीलाएँ करते थे।
बाहरी कड़ियाँ ब्रज डिस्कवरी
अद्यतन‎ 2:49, 23 जुलाई, 2016 (IST)
  • इसका वर्तमान नाम खायरा है। छाता से तीन मील दक्षिण तथा जावट से तीन मील दक्षिण पूर्व में खायरा ग्राम स्थित है।
  • यह कृष्ण के गोचारण का स्थान है। यहाँ संगम में कुण्ड है, जहाँ गोपियों के साथ कृष्ण का संगम अर्थात् मिलन हुआ था।
  • इसी के तट पर लोकनाथ गोस्वामी निर्जन स्थान में साधन-भजन करते थे, पास में ही कदम्बखण्डी है।
  • यह परम मनोरम स्थल है। यहाँ कृष्ण एवं बलराम सखाओं के साथ तरह-तरह की बाल लीलाएँ करते थे। खजूर पकने के समय कृष्ण सखाओं के साथ यहाँ गोचारण के लिए आते तथा पके हुए खजूरों को खाते थे।

प्रसंग

एक समय कंस का भेजा हुआ राक्षस बकासुर बड़ी डीलडोल वाले बगुले का रूप धारणकर कृष्ण को ग्रास करने के लिए यहाँ उपस्थित हुआ। उसने अपना निचला चोंच पृथ्वी में तथा ऊपर का चोंच आकाश तक फैला दिया तथा कृष्ण को ग्रास करने के लिए बड़ी तेज़ीसे दौड़ा। उस समय उसकी भयंकर आकृति को देखकर समस्त सखा लोग डरकर बड़े ज़ोर से चिल्लाये 'खायो रे ! खायो रे ! किन्तु कृष्ण ने निर्भीकता से अपने एक पैर से उसकी निचली चोंच को और एक हाथ से ऊपरी चोंच को पकड़कर उसको घास फूस की भाँति चीर दिया। सखा लोग बड़े उल्लासित हुए। 'खायो रे ! खायो रे !' इस लीला के कारण इस गाँव का नाम 'खायारे' पड़ा जो कालान्तर में 'खायरा' हो गया। यहाँ खदीर के पेड़ होने के कारण भी इस गाँव का नाम 'खदीरवन' पड़ा है। खदीर (कत्था) पान का एक प्रकार का मसाला है। कृष्ण ने बकासुर को मारने के लिए खदेड़ा था। खदेड़ने के कारण भी इस गाँव का नाम 'खदेड़वन' या 'खदीरवन' है।


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संबंधित लेख