दिबा रास, मणिपुर: Difference between revisions

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Latest revision as of 10:15, 2 October 2021

दिबा रास (अंग्रेज़ी: Diba Ras) एक नृत्य रासलीला है, जो भारत के मणिपुर राज्य में होती है। यह रासलीला दिन के समय में की जाती है। इसके लिए कोई ऋतु या महीना निश्चित नहीं है। आमतौर पर महल और भगवान गोविंदजी के मंदिर में नित्य और दिबा रास दोनों का प्रदर्शन नहीं किया जाता है।

  • राजा चूराचाँद के शासनकाल में अखम ओजा तोम्बा द्वारा दिबा रास लीला का सृजन किया गया था। नाम के अनुरूप दिबा रास का प्रदर्शन दोपहर में किया जाता है। यह श्रीकृष्ण के राधाकुंज में राधा के आगमन का वर्णन है।[1]
  • तीन महत्वपूर्ण रास लीलाओं अर्थात- महारास लीला, कुंजा रास लीला और वसंत रास लीला का प्रदर्शन एक विशेष ऋतु और समय में किया जा सकता है, लेकिन दिबा रास लीला का प्रदर्शन कभी भी किया जा सकता है।
  • दिबा रासलीला के सृजन का उद्देश्य वैष्णव भक्तों को सभी ऋतुओं में उनकी सुविधा के अनुसार भक्ति और प्रार्थना का अवसर देना है। यह गोविंद लीला नृत्य और रस पंचाध्यायी पर आधारित है।
  • इस रास की शुरुआत नट संकीर्तन पाला के साथ होती है। राग आलाप, गुरु वंदना, वैष्णव वंदना आदि का प्रदर्शन किया जाता है और सूत्रधार द्वारा गौरा भावी का प्रदर्शन किया जाता है।
  • कृष्ण नृत्य अभिसार का अभिनय किया जाता है और भगवान राधा के लिए आंसू बहाते हैं। कृष्ण अपनी बांसुरी बजाते हैं। गीत और नृत्य द्वारा राधा अभिसार, वेशसजन और गोपी अभिसार का प्रदर्शन किया जाता है।
  • गोपियां और राधा रास लीला शुरू करने के लिए अंबुज कुंज में जाती हैं। राधा, कृष्ण और अनंग मंजुरी साथ- साथ नृत्य करते हैं।
  • रास लीला के पांच प्रकारों में से पहले तीन महत्वपूर्ण रास लीला अर्थात, महारास लीला, कुंजा रास लीला और वसंत रास लीला पारंपरिक रूप से विशिष्ट मंदिरों में विशिष्ट दिनों में की जाती हैं, लेकिन नित्य रास लीला और दिबा रास लीला को गोविंदजी मंदिर में प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मणिपुर के पर्व-त्योहार (हिंदी) apnimaati.com। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2021।

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