द्रौपदी मुर्मू: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
साल [[2015]]-[[2021]] के बीच झारखंड की गवर्नर रहीं द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को उड़ीसा में हुआ था। उनकी पढ़ाई [[भुवनेश्वर]] के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से हुई है। वह स्‍नातक हैं। उनके पति श्‍याम चरण मुर्मू अब जीवित नहीं हैं। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी जातीय समूह संथाल से संबंध रखती हैं। उन्होंने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया।<ref name="pp">{{cite web |url= https://zeenews.india.com/hindi/india/draupadi-murmu-became-the-new-president-of-india-know-how-she-decided-the-journey-from-floor-to-top/1267986|title=भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू|accessmonthday=23 जुलाई|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=zeenews.india.com |language=हिंदी}}</ref>
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==व्यावसायिक शुरुआत==
 
द्रौपदी मुर्मू सिंचाई और बिजली विभाग में [[1979]] से [[1983]] तक जूनियर असिस्‍टेंट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वर्ष [[1994]] से [[1997]] तक उन्‍होंरे रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीगरल एजुकेशन सेंटर में ऑनरेरी असिस्‍टेंट टीचर के तौर पर भी सेवाएं दीं।
उनके [[पिता]] का नाम बिरांची नारायण टुडू था जो कि एक किसान थे। उनके दो भाई हैं। भगत टुडू और सरैनी टुडू। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। साल [[1984]] में एक बेटी की मौत हो गई। द्रौपदी मुर्मू का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था। लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी वूमेन कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू शिक्षक बन गईं।<ref name="CC">{{cite web |url=https://www.amarujala.com/photo-gallery/india-news/draupadi-murmu-full-story-of-newly-elected-president-draupdi-murmu?pageId=7 |title=झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक का सफर मुर्मू ने कैसे किया? |accessmonthday=23 जुलाई|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=amarujala.com |language=हिंदी}}</ref>
====कॉलेज जाने वाली गांव की पहली लड़की====
द्रौपदी मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल [[1969]] से [[1973]] तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। द्रौपदी मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, दोस्ती प्यार में बदल गई। श्याम चरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे।
==विवाह==
द्रौपदी मुर्मू और श्याम चरण दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। दोनों एक साथ आगे का जीवन व्यतीत करना चाहते थे। [[परिवार]] की रजामंदी के लिए श्याम चरण [[विवाह]] का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंच गए। श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी मुर्मू के गांव में ही रहते थे। ऐसे में अपनी बात रखने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर उनके घर गए थे। तमाम कोशिशों के बावजूद द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंची नारायण टुडू ने इस रिश्ते को लेकर इंकार कर दिया। श्याम चरण भी पीछे हटने वाले नहीं थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अगर वह शादी करेंगे तो द्रौपदी मुर्मू से ही करेंगे। द्रौपदी मुर्मू ने भी घर में साफ कह दिया था कि वह श्याम चरण से ही शादी करेंगी। श्याम चरण ने तीन दिन तक द्रौपदी मुर्मू के गांव में ही डेरा डाल लिया। थक हारकर द्रौपदी मुर्मू के पिता ने इस रिश्ते को मंजूरी दे दी।<ref name="CC"/>
====दहेज में मिले गाय, बैल और कपड़े====
विवाह के लिए द्रौपदी मुर्मू के पिता मान चुके थे। अब श्याम चरण और द्रौपदी मुर्मू के घरवाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे। इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी मुर्मू को एक [[गाय]], एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी मुर्मू जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है। कुछ दिन बाद श्याम चरण से द्रौपदी मुर्मू का विवाह हो गया।
==शुरू हुआ राजनीतिक सफर==
राजनीति में आने से पहले द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। उन्होंने [[1979]] से [[1983]] तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद [[1994]] से [[1997]] तक उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया। सन [[1997]] में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष [[2000]] में विधानसभा चुनाव लड़ीं। राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया।
 
साल [[2002]] में द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। [[2006]] में उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। [[2009]] में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। [[2015]] में द्रौपदी मुर्मू को [[झारखंड]] का [[राज्यपाल]] बनाया गया। [[2021]] तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। [[राष्ट्रपति]] का चुनाव जीतने के साथ ही वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गईं। इसके अलावा देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने का खिताब भी अपने नाम किया। 64 साल की द्रौपदी राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं।<ref name="CC"/>
==जीवन की सबसे बड़ी चुनौती==
==जीवन की सबसे बड़ी चुनौती==
एक दौर ऐसा भी था जब द्रौपदी मुर्मू के सामने दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा था और वो पूरी तरह टूट गई थीं। साल [[2009]] में द्रौपदी मुर्मू को सबसे बड़ा झटका लगा। उनके बड़े बेटे की एक मार्ग दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उस दौरान उनके बेटे की उम्र मात्र 25 वर्ष थी। ये सदमा झेलना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया। इसके बाद वर्ष [[2013]] में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई। फिर [[2014]] में उनके पति का भी देहांत हो गया। ऐसी स्थिति में द्रौपदी मुर्मू के लिए खुद को संभाल पाना बेहद मुश्किल था। हालांकि उनके जानने वाले कहते हैं कि वह हर चुनौती से डील करना जानती हैं। ऐसे ही उन्होंने अपने कठिन समय से भी पार पाया। वह मेडिटेशन करने लगीं। साल [[2009]] से ही उन्होंने मेडिटेशन के अलग-अलग तरीके अपनाए। वे लगातार [[माउंट आबू]] स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान जाती रहीं।<ref name="pp"/>
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[[भारतीय जनता पार्टी]] ने [[21 जून]], [[2022]] को द्रौपदी मुर्मू को [[राष्ट्रपति]] पद का उम्मीदवार बनाया था, तब एनडीए के खाते में 5 लाख 63 हजार 825, यानी 52 प्रतिशत वोट थे। 24 विपक्षी दलों के साथ होने पर यशवंत सिन्हा के साथ 4 लाख 80 हजार 748 यानी 44 प्रतिशत वोट माने जा रहे थे। बीते 27 दिन में कई गैर एनडीए दलों के समर्थन में आने से द्रौपदी मुर्मू को निर्णायक बढ़त मिल गई। सभी 10 लाख 86 हजार 431 वोट पड़ने की स्थिति में जीत के लिए 5 लाख 40 हजार 65 वोट चाहिए थे। द्रौपदी मुर्मू को तीसरे चरण में ही जरूरी वोट को क्रॉस कर लिया था।<ref name="AA"/>
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Latest revision as of 05:13, 27 July 2022

द्रौपदी मुर्मू
पूरा नाम द्रौपदी मुर्मू
जन्म 20 जून, 1958
जन्म भूमि मयूरभंज, ओडिशा
अभिभावक पिता- बिरांची नारायण टुडू
पति/पत्नी श्याम चरण मुर्मू (स्वार्गवासी)
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद राष्ट्रपति भारत - 25 जुलाई, 2022 से पदस्थ

राज्यपाल, झारखंड- 18 मई, 2015 से 12 जुलाई, 2021 तक
राज्यमंत्री, ओडिशा- 6 अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक
विधानसभा सदस्य, ओडिशा- 5 मार्च, 2000 से 21 मई, 2009 तक

शिक्षा स्नातक
विद्यालय रामादेवी महिला महाविद्यालय, भुवनेश्वर
संबंधित लेख राज्यपाल, भारत के राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूची

द्रौपदी मुर्मू (अंग्रेज़ी: Draupadi Murmu, जन्म- 20 जून, 1958, मयूरभंज, ओडिशा) भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी हैं। वह 25 जुलाई, 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करेंगी। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। 21 जुलाई, 2007 को सुबह 11 बजे शुरू हुई गिनती में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे चरण की गिनती में ही हरा दिया। उन्हें जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे राउंड में ही मिल गए। इससे पहले द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रही हैं। वह 18 मई, 2015 से 12 जुलाई, 2021 तक झारखंड के राज्यपाल पद पर रहीं।

परिचय

साल 2015-2021 के बीच झारखंड की गवर्नर रहीं द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को उड़ीसा में हुआ था। उनकी पढ़ाई भुवनेश्वर के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से हुई है। वह स्‍नातक हैं। उनके पति श्‍याम चरण मुर्मू अब जीवित नहीं हैं। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी जातीय समूह संथाल से संबंध रखती हैं। उन्होंने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया।[1]

उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू था जो कि एक किसान थे। उनके दो भाई हैं। भगत टुडू और सरैनी टुडू। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। द्रौपदी मुर्मू का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था। लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी वूमेन कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू शिक्षक बन गईं।[2]

कॉलेज जाने वाली गांव की पहली लड़की

द्रौपदी मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। द्रौपदी मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, दोस्ती प्यार में बदल गई। श्याम चरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे।

विवाह

द्रौपदी मुर्मू और श्याम चरण दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। दोनों एक साथ आगे का जीवन व्यतीत करना चाहते थे। परिवार की रजामंदी के लिए श्याम चरण विवाह का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंच गए। श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी मुर्मू के गांव में ही रहते थे। ऐसे में अपनी बात रखने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर उनके घर गए थे। तमाम कोशिशों के बावजूद द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंची नारायण टुडू ने इस रिश्ते को लेकर इंकार कर दिया। श्याम चरण भी पीछे हटने वाले नहीं थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अगर वह शादी करेंगे तो द्रौपदी मुर्मू से ही करेंगे। द्रौपदी मुर्मू ने भी घर में साफ कह दिया था कि वह श्याम चरण से ही शादी करेंगी। श्याम चरण ने तीन दिन तक द्रौपदी मुर्मू के गांव में ही डेरा डाल लिया। थक हारकर द्रौपदी मुर्मू के पिता ने इस रिश्ते को मंजूरी दे दी।[2]

दहेज में मिले गाय, बैल और कपड़े

विवाह के लिए द्रौपदी मुर्मू के पिता मान चुके थे। अब श्याम चरण और द्रौपदी मुर्मू के घरवाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे। इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी मुर्मू को एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी मुर्मू जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है। कुछ दिन बाद श्याम चरण से द्रौपदी मुर्मू का विवाह हो गया।

शुरू हुआ राजनीतिक सफर

राजनीति में आने से पहले द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद 1994 से 1997 तक उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया। सन 1997 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ीं। राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया।

साल 2002 में द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। 2006 में उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। 2015 में द्रौपदी मुर्मू को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के साथ ही वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गईं। इसके अलावा देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने का खिताब भी अपने नाम किया। 64 साल की द्रौपदी राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं।[2]

जीवन की सबसे बड़ी चुनौती

एक दौर ऐसा भी था जब द्रौपदी मुर्मू के सामने दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा था और वो पूरी तरह टूट गई थीं। साल 2009 में द्रौपदी मुर्मू को सबसे बड़ा झटका लगा। उनके बड़े बेटे की एक मार्ग दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उस दौरान उनके बेटे की उम्र मात्र 25 वर्ष थी। ये सदमा झेलना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया। इसके बाद वर्ष 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई। फिर 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया। ऐसी स्थिति में द्रौपदी मुर्मू के लिए खुद को संभाल पाना बेहद मुश्किल था। हालांकि उनके जानने वाले कहते हैं कि वह हर चुनौती से डील करना जानती हैं। ऐसे ही उन्होंने अपने कठिन समय से भी पार पाया। वह मेडिटेशन करने लगीं। साल 2009 से ही उन्होंने मेडिटेशन के अलग-अलग तरीके अपनाए। वे लगातार माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान जाती रहीं।[1]

राज्यपाल

द्रौपदी मुर्मू 18 मई, 2015 से 12 जुलाई, 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू भाजपा-बीजू जनता दल की ओडिशा में बनी गठबंधन सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। झारखंड के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और कोडरमा से सांसद रवीन्द्र राय का कहना था कि- "बीजेपी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार ने देश के आदिवासी समुदाय को उनका हक देने के प्रयास के तहत एक आदिवासी महिला नेता को राज्यपाल बनाया। इससे पूरे देश में ही नहीं, विश्व में भी अच्छा संदेश जाएगा"। राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने भी द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनाए जाने का स्वागत किया था और कहा था कि "यह केन्द्र सरकार का अच्छा कदम है"। द्रौपदी मुर्मू से पहले झारखंड के गठन के बाद 15 नवंबर, 2000 को प्रभात कुमार यहां के पहले राज्यपाल बने थे। उनके बाद वी. सी. पांडे, एम. रामा जोइस, वेद मारवाह, सैयद सिब्ते रजी, के. शंकरनारायणन, एम. ओ. एच. फ़ारूक और डॉ. सैयद अहमद यहां के राज्यपाल रहे।

भारत की राष्ट्रपति

21 जुलाई, 2022 को सुबह 11 बजे शुरू हुई गिनती में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे चरण की गिनती में ही हरा दिया। उनको जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे चरम में ही मिल गए। तीसरे चरण में उन्हें 5 लाख 77 हजार 777 वोट मिले। यशवंत सिन्हा इस चरण में 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही जुटा सके। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों समेत 20 राज्यों के वोट शामिल थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जे. पी. नड्‌डा ने द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी।

राष्ट्रपति चुनाव के वोटों की गिनती देर रात 4 चरणों में पूरी हुई। कुल 4754 वोट पड़े थे। गिनती के वक्त 4701 वोट वैध और 53 अमान्य पाए गए। कुल वोटों का कोटा 5,28,491 था। इसमें द्रौपदी मुर्मू को कुल 2824 वोट मिले। इनकी वैल्यू 6 लाख 76 हजार 803 थी। केरल से उनको सबसे कम सिर्फ एक और उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 287 वोट मिले। वहीं, यशवंत सिन्हा को कुल 1877 वोट मिले, जिनकी वैल्यू 3 लाख 80 हजार 177 रही। दूसरी तरफ सिन्हा को आंध्र प्रदेश, नागालैंड और सिक्किम से एक भी वोट नहीं मिले, जबकि उन्हें सबसे ज्यादा 216 वोट पश्चिम बंगाल से मिले। वोट प्रतिशत की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू को 64 प्रतिशत और यशवंत सिन्हा को 36 प्रतिशत वोट मिले।[3]

दूसरी तरफ, यशवंत सिन्हा ने भी हार स्वीकार की। उन्होंने कहा- "द्रौपदी मुर्मू को उनकी जीत पर बधाई देता हूं। देश को उम्मीद है कि गणतंत्र के 15वें राष्ट्रपति के रूप में वे बिना किसी भय या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी"।

प्रथम चरण की गिनती

राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल पीसी मोदी के मुताबिक, दोपहर 2 बजे सांसदों के वोटो की गिनती पूरी हुई। इसमें द्रौपदी मुर्मू को 540 वोट मिले। इनकी कुल वैल्यू 3 लाख 78 हजार थी। यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों के वोट मिले। इनकी वोट वैल्यू 1 लाख 45 हजार 600 थी। सांसदों के कुल 15 वोट रद्द हो गए। सूत्रों के मुताबिक, 17 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की।

दूसरे चरण की गिनती

पहले 10 राज्यों की गिनती में भी द्रौपदी मुर्मू और सिन्हा के बीच आंकड़ों का लंबा अंतर दिख रहा था। इन राज्यों में कुल 1138 वैलिड वोट थे, जिनकी वैल्यू 1 लाख 49 हजार 575 थी। इनमें मुर्मू को 809 वोट मिले। इनकी वैल्यू 1 लाख 5 हजार 299 थी। यशवंत सिन्हा को 329 वोट मिलें, जिनकी कुल वैल्यू 44 हजार 276 थी। इन 10 राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के अलावा आंध्र प्रदेश के वोट शामिल हैं। इनमें 7 राज्यों में भाजपा और गठबंधन की सरकारें हैं। झारखंड और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सरकार है। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्‌डी मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने एनडीए को समर्थन देने का ऐलान किया था।[3]

तीसरे चरण की गिनती

तीसरे चरण के 10 राज्यों की गिनती में भी द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच वोट का बड़ा अंतर रहा। इन राज्यों में कुल 1,333 वैलिड वोट हैं, जिनकी वैल्यू 1 लाख 65 हजार 664 थी। इनमें मुर्मू को 812 और सिन्हा को 521 वोट मिले। इन 10 राज्यों में कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओड़िशा और पंजाब के वोट शामिल थे।

भारतीय जनता पार्टी ने 21 जून, 2022 को द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था, तब एनडीए के खाते में 5 लाख 63 हजार 825, यानी 52 प्रतिशत वोट थे। 24 विपक्षी दलों के साथ होने पर यशवंत सिन्हा के साथ 4 लाख 80 हजार 748 यानी 44 प्रतिशत वोट माने जा रहे थे। बीते 27 दिन में कई गैर एनडीए दलों के समर्थन में आने से द्रौपदी मुर्मू को निर्णायक बढ़त मिल गई। सभी 10 लाख 86 हजार 431 वोट पड़ने की स्थिति में जीत के लिए 5 लाख 40 हजार 65 वोट चाहिए थे। द्रौपदी मुर्मू को तीसरे चरण में ही जरूरी वोट को क्रॉस कर लिया था।[3]



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रामनाथ कोविंद
द्रौपदी मुर्मू उत्तराधिकारी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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  1. पुनर्प्रेषित साँचा:राज्यपाल, उपराज्यपाल व प्रशासक