धर्मनाथ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''धर्मनाथ''' जैन धर्म के पन्द्रहवें तीर्थंकर थे। ध...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 4: Line 4:
*जैन धर्म के अनुयायियों के अनुसार भगवान धर्मनाथ जी के गणधरों की कुल संख्या 43 थी, जिनमें अरिष्ट स्वामी उनके प्रथम गणधर थे।
*जैन धर्म के अनुयायियों के अनुसार भगवान धर्मनाथ जी के गणधरों की कुल संख्या 43 थी, जिनमें अरिष्ट स्वामी उनके प्रथम गणधर थे।
*धर्मनाथ ने माघ माह के शुक्ल पक्ष की [[त्रयोदशी]] को अयोध्या में दीक्षा की प्राप्ति की थी।
*धर्मनाथ ने माघ माह के शुक्ल पक्ष की [[त्रयोदशी]] को अयोध्या में दीक्षा की प्राप्ति की थी।
*दीक्षा प्राप्ति के पश्चात दो वर्षों तक कठिन तप करने के बाद धर्मनाथ ने [[पौष माह]] की [[पूर्णिमा]] तिथि को रत्नपुरी में ही 'दधिपर्ण' वृक्ष के नीचे 'कैवल्य ज्ञान' प्राप्त किया।
*दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् दो वर्षों तक कठिन तप करने के बाद धर्मनाथ ने [[पौष माह]] की [[पूर्णिमा]] तिथि को रत्नपुरी में ही 'दधिपर्ण' वृक्ष के नीचे '[[कैवल्य ज्ञान]]' प्राप्त किया।
*कई वर्षों तक साधक जीवन व्यतीत करने के बाद [[ज्येष्ठ मास|ज्येष्ठ]] शुक्ल [[पंचमी]] को भगवान धर्मनाथ ने [[सम्मेद शिखर]] पर [[निर्वाण]] प्राप्त किया।<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Jainism/Tirthankar/Pushpdant|title=श्री पुष्पदंत जी|accessmonthday=27 फ़रवरी|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
*कई वर्षों तक साधक जीवन व्यतीत करने के बाद [[ज्येष्ठ मास|ज्येष्ठ]] शुक्ल [[पंचमी]] को भगवान धर्मनाथ ने [[सम्मेद शिखर]] पर [[निर्वाण]] प्राप्त किया।<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Jainism/Tirthankar/Dharmnath|title=श्री धर्मनाथ जी|accessmonthday=27 फ़रवरी|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
Line 15: Line 15:
[[Category:जैन तीर्थंकर]]
[[Category:जैन तीर्थंकर]]
[[Category:जैन धर्म]]
[[Category:जैन धर्म]]
[[Category:जैन धर्म कोश]]
[[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 07:52, 23 June 2017

धर्मनाथ जैन धर्म के पन्द्रहवें तीर्थंकर थे। धर्मनाथ जी का जन्म रत्नपुरी के इक्ष्वाकु वंश के राजा भानु की धर्मपत्नी माता सुव्रता देवी के गर्भ से माघ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पुष्य नक्षत्र में हुआ था। इनके शरीर का वर्ण सुवर्ण और चिह्न वज्र था।

  • धर्मनाथ के यक्ष का नाम किन्नर और यक्षिणी का नाम कंदर्पा देवी था।
  • जैन धर्म के अनुयायियों के अनुसार भगवान धर्मनाथ जी के गणधरों की कुल संख्या 43 थी, जिनमें अरिष्ट स्वामी उनके प्रथम गणधर थे।
  • धर्मनाथ ने माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अयोध्या में दीक्षा की प्राप्ति की थी।
  • दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् दो वर्षों तक कठिन तप करने के बाद धर्मनाथ ने पौष माह की पूर्णिमा तिथि को रत्नपुरी में ही 'दधिपर्ण' वृक्ष के नीचे 'कैवल्य ज्ञान' प्राप्त किया।
  • कई वर्षों तक साधक जीवन व्यतीत करने के बाद ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को भगवान धर्मनाथ ने सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त किया।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री धर्मनाथ जी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 27 फ़रवरी, 2012।

संबंधित लेख