तिथि: Difference between revisions

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Latest revision as of 12:15, 21 March 2014

thumb|300px|तिथियों के नाम सहित हिन्दू कैलंडर दो नये चन्द्रोदय के मध्य के समय को 'चन्द्र मास' कहते है और यह लगभग 29.5 दिन के समकक्ष होता है। एक चन्द्र मास में 30 तिथि अथवा चन्द्र दिवस होते हैं। तिथि को हम इस प्रकार भी समझ सकते है कि 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। इसलिए प्रत्येक नये चन्द्र और पूर्ण चन्द्र के बीच में कुल चौदह तिथियां होती हैं। 'शून्य' को नया चन्द्र तथा पन्द्रहवीं तिथि को 'पूर्णिमा' कहते हैं। तिथियां 'शून्य' मतलब अमावस्या से शुरू होकर पूर्णिमा तक एक क्रम में चलती हैं और फिर पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक उसी क्रम को दोबारा पूरा करती हैं तो एक चन्द्र मास पूरा हो जाता है।

कुल तिथियाँ

हिन्दू काल गणना के अनुसार मास में 30 तिथियाँ होतीं हैं, जो दो पक्षों में बंटी होती हैं जो क्रमश: शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष कहलाते हैं।

  1. शुक्ल पक्ष में 1-14 और पूर्णिमा
  2. कृष्ण पक्ष में 1-14 और अमावस्या
तिथियों के नाम
मूल नाम तद्भव नाम
अमावस्या (नया चन्द्र दिवस) अमावस
प्रतिपदा पड़वा
द्वितीया दूज अथवा दौज
तृतीया तीज
चतुर्थी चौथ
पंचमी पंचमी
षष्टी छठ
सप्तमी सातें
अष्टमी आठें
नवमी नौमी
दशमी दसमी
एकादशी ग्यारस
द्वादशी बारस
त्रयोदशी तेरस
चतुर्दशी चौदस
पूर्णिमा (पूर्ण चन्द्र दिवस) पूनौ अथवा पूरनमासी

आध्यात्मिक विशेषता

सभी तिथियों की अपनी एक आध्यात्मिक विशेषता होती है जैसे -

  • अमावस्या 'पितृ पूजा' के लिए आदर्श होती है।
  • चतुर्थी गणपति की पूजा के लिए आदर्श होती है।
  • पंचमी आदिशक्ति की पूजा के लिए आदर्श होती है।
  • षष्टी 'कार्तिकेय पूजा' के लिए आदर्श होती है।
  • नवमी 'राम' की पूजा आदर्श होती है।
  • एकादशी व द्वादशी विष्णु की पूजा के लिए आदर्श होती है।
  • त्रयोदशी शिव पूजा के लिए आदर्श होती है।
  • चतुर्दशी शिवगणेश पूजा के लिए आदर्श होती है।
  • पूर्णिमा सभी तरह की पूजा से सम्बन्धित कार्यकलापों के लिए अच्छी होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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