चुम्बक: Difference between revisions

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Revision as of 08:37, 4 October 2011

(अंग्रेज़ी:Magnet) लगभग 600 ई.पू. एशिया माइनर के 'मैग्नीशियम' नामक स्थान में कुछ ऐसे पत्थर पाये गये, जिनमें लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने के गुण मौजूद थे। ये पर्थर लोहे के एक ऑक्साइड 'मैगनेटाइट' (Fe3O4) के थे। चूंकि ये पत्थर मैगनीशिया नामक पर पाये गये, इसलिए इन्हें 'मैगनेट' कहा जाने लगा। मैगनेट को हिन्दी में 'चुम्बक' कहते हैं। इसके द्वारा लोहे के टुकड़ेओं को अपनी ओर आकर्षित करने के गुण को चुम्बकत्व कहते हैं। चुम्बकों को यदि स्वतंत्रापूर्वक लटका दिया जाये तो सादैव उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर संकेतित होते हैं। प्रकृति में स्वतंत्र रूप से पाये जाने वाले चुम्बकों की आकर्षण शक्ति बहुत कम होती है तथा उनकी कोई निश्चित आकृति नहीं होती। आजकल चुम्बक कृत्रिम विधियों से बनाये जाते हैं तथा ये चुम्बक मुख्यतः कोहे, इस्पात आदि धातुओं के बने होते हैं। इनकी आकर्षण शक्ति अधिक होती है। इन्हें कृत्रिम चुम्बक कहते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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