User:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास3: Difference between revisions
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-[[युधिष्ठिर]] | -[[युधिष्ठिर]] | ||
-[[नकुल]] | -[[नकुल]] | ||
||[[चित्र:Bhim-Dushasan.jpg|भीम द्वारा दुःशासन वध|100px|right]]भीम बलशाली होने के साथ-साथ बहुत अच्छा रसोइया भी | ||[[चित्र:Bhim-Dushasan.jpg|भीम द्वारा दुःशासन वध|100px|right]]भीम बलशाली होने के साथ-साथ बहुत अच्छा रसोइया भी था। [[विराट नगर]] में जब [[अज्ञातवास]] के समय जब [[द्रौपदी]] [[सैरंध्री]] बनकर रह रही थी, द्रौपदी के शील की रक्षा करते हुए उसने [[कीचक]] को भी मारा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]] | ||
{संकर्षण किसका नाम था? | {संकर्षण किसका नाम था? | ||
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+[[बलराम]] | +[[बलराम]] | ||
-[[भीम]] | -[[भीम]] | ||
||[[चित्र:Balarama.jpg|बलराम|100px|right]]बलराम- नारायणीयोपाख्यान में वर्णित व्यूहसिद्धान्त के अनुसार विष्णु के चार रूपों में दूसरा रूप 'संकर्षण' (प्रकृति = आदितत्त्व) है। संकर्षण बलराम का अन्य नाम है जो कृष्ण के भाई थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बलराम]] | ||[[चित्र:Balarama.jpg|बलराम|100px|right]]बलराम- नारायणीयोपाख्यान में वर्णित व्यूहसिद्धान्त के अनुसार [[विष्णु]] के चार रूपों में दूसरा रूप 'संकर्षण' (प्रकृति = आदितत्त्व) है। संकर्षण बलराम का अन्य नाम है जो [[कृष्ण]] के भाई थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बलराम]] | ||
{[[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]] और छाया किसकी पत्नियाँ थी? | {[[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]] और छाया किसकी पत्नियाँ थी? | ||
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-[[यक्ष]] | -[[यक्ष]] | ||
-[[शिव]] | -[[शिव]] | ||
||[[चित्र:Surya.jpg|सूर्य|100px|right]][[कश्यप|महर्षि कश्यप]] लोक पिता हैं। उनकी पत्नी देवमाता [[अदिति]] के गर्भ से भगवान विराट के नेत्रों से व्यक्त सूर्यदेव जगत में प्रकट हुए। सूर्य मण्डल का दृश्य रूप भौतिक जगत में उनकी देह है। विश्वकर्मा की पुत्री [[संज्ञा]] से उनका परिणय हुआ। संज्ञा के दो पुत्र और एक कन्या हुई- श्राद्धदेव वैवस्वतमनु और [[यमराज]] तथा [[यमुना]] जी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूर्य]] | ||[[चित्र:Surya.jpg|सूर्य|100px|right]][[कश्यप|महर्षि कश्यप]] लोक पिता हैं। उनकी पत्नी देवमाता [[अदिति]] के गर्भ से भगवान विराट के नेत्रों से व्यक्त सूर्यदेव जगत में प्रकट हुए। सूर्य मण्डल का दृश्य रूप भौतिक जगत में उनकी देह है। [[विश्वकर्मा]] की पुत्री [[संज्ञा]] से उनका परिणय हुआ। संज्ञा के दो पुत्र और एक कन्या हुई- श्राद्धदेव वैवस्वतमनु और [[यमराज]] तथा [[यमुना]] जी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूर्य]] | ||
{[[अर्जुन]] ने अपने पिता [[इन्द्र]] से किस वन को जलाने के लिए युद्ध किया था? | {[[अर्जुन]] ने अपने पिता [[इन्द्र]] से किस वन को जलाने के लिए युद्ध किया था? | ||
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-कैकेय | -कैकेय | ||
+[[मगध महाजनपद|मगध]] | +[[मगध महाजनपद|मगध]] | ||
||[[चित्र:Magadha-Map.jpg|मगध|100px|right]]मगध प्राचीन [[भारत]] के [[सोलह महाजनपद]] में से एक | ||[[चित्र:Magadha-Map.jpg|मगध|100px|right]]मगध प्राचीन [[भारत]] के [[सोलह महाजनपद]] में से एक था। [[बौद्ध]] काल तथा परवर्तीकाल में उत्तरी भारत का सबसे अधिक शक्तिशाली जनपद था। इसकी स्थिति स्थूल रूप से दक्षिण बिहार के प्रदेश में थी। आधुनिक [[पटना]] तथा [[गया ज़िला]] इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी। भगवान [[बुद्ध]] के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मगध महाजनपद|मगध]] | ||
{[[महाभारत]] के अठारहवें दिन के युद्ध का कौरव सेना का सेनापत्तित्व किसने किया था? | {[[महाभारत]] के अठारहवें दिन के युद्ध का कौरव सेना का सेनापत्तित्व किसने किया था? | ||
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-[[घटोत्कच]] | -[[घटोत्कच]] | ||
+[[कृपाचार्य]] | +[[कृपाचार्य]] | ||
||[[महाभारत]] युद्ध में कृपाचार्य [[कौरव|कौरवों]] की ओर से सक्रिय थे। [[कर्ण]] के वधोपरांत उन्होंने [[दुर्योधन]] को बहुत समझाया कि उसे [[पांडव|पांडवों]] से संधि कर लेनी चाहिए किंतु दुर्योधन ने अपने किये हुए अन्यायों को याद कर कहा कि न पांडव इन बातों को भूल सकते हैं और न उसे क्षमा कर सकते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ | ||[[महाभारत]] युद्ध में कृपाचार्य [[कौरव|कौरवों]] की ओर से सक्रिय थे। [[कर्ण]] के वधोपरांत उन्होंने [[दुर्योधन]] को बहुत समझाया कि उसे [[पांडव|पांडवों]] से संधि कर लेनी चाहिए किंतु दुर्योधन ने अपने किये हुए अन्यायों को याद कर कहा कि न पांडव इन बातों को भूल सकते हैं और न उसे क्षमा कर सकते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृपाचार्य]] | ||
{[[अश्वत्थामा]] का फेंका हुआ [[ब्रह्मास्त्र]] किसने शांत किया? | {[[अश्वत्थामा]] का फेंका हुआ [[ब्रह्मास्त्र]] किसने शांत किया? | ||
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-[[भीष्म]] | -[[भीष्म]] | ||
-[[द्रोणाचार्य]] | -[[द्रोणाचार्य]] | ||
||[[चित्र:Vyasadeva-Sanjaya-Krishna.jpg|संजय को दिव्यदृष्टि प्रदान करते हुये वेदव्यास जी|100px|right]]व्यास का अर्थ है 'संपादक'। यह उपाधि अनेक पुराने ग्रन्थकारों को प्रदान की गयी है, किन्तु विशेषकर वेदव्यास उपाधि वेदों को व्यवस्थित रूप प्रदान करने वाले उन महर्षि को दी गयी है जो चिरंजीव होने के कारण 'आश्वत' कहलाते हैं। यही नाम महाभारत के संकलनकर्ता, वेदान्तदर्शन के स्थापनकर्ता तथा पुराणों के व्यवस्थापक को भी दिया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[व्यास]] | ||[[चित्र:Vyasadeva-Sanjaya-Krishna.jpg|संजय को दिव्यदृष्टि प्रदान करते हुये वेदव्यास जी|100px|right]] व्यास का अर्थ है 'संपादक'। यह उपाधि अनेक पुराने ग्रन्थकारों को प्रदान की गयी है, किन्तु विशेषकर वेदव्यास उपाधि वेदों को व्यवस्थित रूप प्रदान करने वाले उन महर्षि को दी गयी है जो चिरंजीव होने के कारण 'आश्वत' कहलाते हैं। यही नाम [[महाभारत]] के संकलनकर्ता, वेदान्तदर्शन के स्थापनकर्ता तथा [[पुराण|पुराणों]] के व्यवस्थापक को भी दिया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[व्यास]] | ||
{[[युधिष्ठिर]] को [[राजसूय यज्ञ]] करने | {[[युधिष्ठिर]] को [[राजसूय यज्ञ]] करने की सलाह किसने दी थी? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[नारद]] | +[[नारद]] | ||
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-[[कृष्ण]] | -[[कृष्ण]] | ||
-[[विदुर]] | -[[विदुर]] | ||
||[[चित्र:Narada-Muni.jpg|नारद|100px|right]]महायोगी नारद जी ब्रह्मा जी के मानसपुत्र हैं। वे प्रत्येक युग में भगवान की भक्ति और उनकी महिमा का विस्तार करते हुए लोक-कल्याण के लिए सर्वदा सर्वत्र विचरण किया करते हैं। भक्ति तथा संकीर्तन के ये आद्य-आचार्य हैं। इनकी वीणा भगवन जप 'महती' के नाम से विख्यात है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नारद]] | ||[[चित्र:Narada-Muni.jpg|नारद|100px|right]]महायोगी नारद जी [[ब्रह्मा]] जी के मानसपुत्र हैं। वे प्रत्येक [[युग]] में भगवान की भक्ति और उनकी महिमा का विस्तार करते हुए लोक-कल्याण के लिए सर्वदा सर्वत्र विचरण किया करते हैं। भक्ति तथा संकीर्तन के ये आद्य-आचार्य हैं। इनकी वीणा भगवन जप 'महती' के नाम से विख्यात है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नारद]] | ||
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Revision as of 15:21, 27 September 2011
महाभारत
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