रमण महर्षि: Difference between revisions
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==जन्म== | |||
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जीवन के आरम्भिक वर्षों में वेंकटरामन में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं था। वे एक सामान्य बालक के रूप में ही विकसित हुए थे। उन्हें तिरुचुली के एक प्राइमरी स्कूल में तथा बाद में दिण्डुक्कल के एक स्कूल में शिक्षा के लिए भेजा गया। जब वे बारह वर्ष के थे, तभी इनके [[पिता]] का देहावसान हो गया। ऐसी स्थिति में उन्हें परिवार के साथ अपने चाचा सुब्ब अय्यर के साथ [[मदुरै]] में रहने की आवश्यकता पड़ी। मदुरै में उन्हें पहले 'स्काट मीडिल स्कूल' तथा बाद में 'अमेरिकन मिशन हाईस्कूल' में भेजा गया। यद्यपि वह तीव्र बुद्धि एवं तीव्र स्मरण शक्ति से सम्पन्न थे, किन्तु फिर भी अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर नहीं थे।<ref>{{cite web |url=http://www.sriramanamaharshi.org/hi/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF/|title=श्री रमण महर्षि|accessmonthday=13 अक्टूबर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
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वेंकटरामन स्वस्थ एवं शक्तिशाली शरीर से युक्त थे। इसीलिए उनके साथी उनकी ताकत से डरते थे। वेंकटरामन बहुत गहरी नींद सोते थे। इनकी नींद इतनी गहरी होती थी कि उनके साथियों में से यदि कभी किसी को वेंकटरामन से नाराजगी रहती तो वे उनसे गहरी निद्रावस्था में बदला लेते थे। उन्हें सोया जानकर कहीं दूर जाकर पीटते थे तो भी उनकी नींद नहीं झुलती थी। | |||
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रमण महर्षि (जन्म- 30 दिसम्बर, 1879, तिरुचुली गाँव, तमिलनाडु; मृत्यु- 14 अप्रैल, 1950, रमण आश्रम, तमिलनाडु) बीसवीं सदी के महान संत थे, जिन्होंने तमिलनाडु स्थित पवित्र अरुनाचला पहाड़ी पर गहन साधना की थी। उन्हें केवल भारत में ही अपितु विदेशो में भी शांत ऋषि के रूप में जाना जाता है। उन्होंने आत्म विचार पर बहुत बल दिया था। रमण महर्षि के संपर्क में आने पर असीम शांति का अनुभव होता था। आज भी लोग शांति कि खोज में तिरुवन्नामलाई स्थित रमण महर्षि के आश्रम अरुनाचला पहाड़ी और अरुनाचलेश्वर मंदिर में जाते हैं। महर्षि ने भारत के साथ-साथ पश्चिम के कई देशो में अपना उजाला फैलाकर देश को गौरवान्वित किया तथा मानव जाति की बहुमूल्य सेवा की। भारत के आध्यात्मिक लाडले सपूतों में रमण महर्षि का नाम अग्रगण्य है।
जन्म
रमण महर्षि का जन्म 30 दिसम्बर, सन 1879 में मदुरई, तमिलनाडु के पास 'तिरुचुली' नामक गाँव में हुआ था। इनका जन्म 'अद्र दर्शन', भगवान शिव का प्रसिद्ध पर्व, के दिन हुआ। इनके माता-पिता ने उनका नाम वेंकटरमण रखा था, जो बाद में रमण महर्षि के नाम से विश्व में प्रसिद्ध हुए।[1]
शिक्षा
जीवन के आरम्भिक वर्षों में वेंकटरामन में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं था। वे एक सामान्य बालक के रूप में ही विकसित हुए थे। उन्हें तिरुचुली के एक प्राइमरी स्कूल में तथा बाद में दिण्डुक्कल के एक स्कूल में शिक्षा के लिए भेजा गया। जब वे बारह वर्ष के थे, तभी इनके पिता का देहावसान हो गया। ऐसी स्थिति में उन्हें परिवार के साथ अपने चाचा सुब्ब अय्यर के साथ मदुरै में रहने की आवश्यकता पड़ी। मदुरै में उन्हें पहले 'स्काट मीडिल स्कूल' तथा बाद में 'अमेरिकन मिशन हाईस्कूल' में भेजा गया। यद्यपि वह तीव्र बुद्धि एवं तीव्र स्मरण शक्ति से सम्पन्न थे, किन्तु फिर भी अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर नहीं थे।[2]
- बलशाली शरीर
वेंकटरामन स्वस्थ एवं शक्तिशाली शरीर से युक्त थे। इसीलिए उनके साथी उनकी ताकत से डरते थे। वेंकटरामन बहुत गहरी नींद सोते थे। इनकी नींद इतनी गहरी होती थी कि उनके साथियों में से यदि कभी किसी को वेंकटरामन से नाराजगी रहती तो वे उनसे गहरी निद्रावस्था में बदला लेते थे। उन्हें सोया जानकर कहीं दूर जाकर पीटते थे तो भी उनकी नींद नहीं झुलती थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रमण महर्षि (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2013।
- ↑ श्री रमण महर्षि (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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