कर्नल टॉड: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 39: Line 39:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''कर्नल जेम्स टॉड''' का जन्म [[इंग्लैड]] के 'इंस्लिग्टन' नामक स्थान में [[20 मार्च]], सन् 1782 में हुआ था। इनके पिता और माता दोनों [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सिविल सर्विस में थे। इसलिए इन्हें सरलता से सेना के उच्च उम्मीदवारों में स्थान मिल गया। [[कोलकाता|कलकता]] पहुँचने पर दूसरे नंबर की यूरोपियन रेजिमेंट में इनकी नियुक्ति हुई। कुछ महीने बाद 14 नबंर की सेना में इन्हें 'लेफ्टिनेंट' का पद मिला। सन् 1807 में 15 नंबर की देशी सेना में इनका तबादला हुआ।
'''कर्नल जेम्स टॉड''' ([[अंग्रेज़ी]]: Colonel James Tod, जन्म: 20 मार्च, सन् 1782 -  मृत्यु: 18 नवम्बर 1835)ब्रिटिश [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के एक अधिकारी तथा भारतविद थे। इनका जन्म [[इंग्लैड]] के 'इंस्लिग्टन' नामक स्थान में [[20 मार्च]], सन् 1782 में हुआ था। इनके पिता और माता दोनों [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सिविल सर्विस में थे। इसलिए इन्हें सरलता से सेना के उच्च उम्मीदवारों में स्थान मिल गया। [[कोलकाता|कलकता]] पहुँचने पर दूसरे नंबर की यूरोपियन रेजिमेंट में इनकी नियुक्ति हुई। कुछ महीने बाद 14 नबंर की सेना में इन्हें 'लेफ्टिनेंट' का पद मिला। सन् 1807 में 15 नंबर की देशी सेना में इनका तबादला हुआ।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
सन 1805 में अपने मित्र 'ग्रीम मर्सन' के साथ रहने वाली सेना के अधिकारी बनकर ये 'दौलतराव सिंधिया' के कैंप में पहुँचे। मर्सर उस समय सरकारी एजेंट थे। रास्ते के स्थानों की पैमाइश करते हुए टॉड मर्सर के साथ [[आगरा]] से [[उदयपुर]] पहुँचे। यह निरीक्षण और पैमाइश का काम उसके बाद लगातार चलता रहा। सन् 1810 - 1811 में पैमाइश करने वालों को टॉड ने दो दलों में बाँट दिया और जहाँ वे अपने आप न जा सके वहाँ उन्हें भेजा। टॉड के इस सहायकों में से विशेष रूप से 'शेख अब्दुल बरकत' और 'मदारीलाल' के नाम उल्लेखनीय है।
सन 1805 में अपने मित्र 'ग्रीम मर्सन' के साथ रहने वाली सेना के अधिकारी बनकर ये 'दौलतराव सिंधिया' के कैंप में पहुँचे। मर्सर उस समय सरकारी एजेंट थे। रास्ते के स्थानों की पैमाइश करते हुए टॉड मर्सर के साथ [[आगरा]] से [[उदयपुर]] पहुँचे। यह निरीक्षण और पैमाइश का काम उसके बाद लगातार चलता रहा। सन् 1810 - 1811 में पैमाइश करने वालों को टॉड ने दो दलों में बाँट दिया और जहाँ वे अपने आप न जा सके वहाँ उन्हें भेजा। टॉड के इस सहायकों में से विशेष रूप से 'शेख अब्दुल बरकत' और 'मदारीलाल' के नाम उल्लेखनीय है।
Line 49: Line 49:
उनके समय में [[राजस्थान]] की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा अत्यंत दयनीय थी। मराठों के उत्पात से यह प्रांत बहुत कुछ उजड़ चुका था। जहाँ कहीं मराठों का पड़ाव पड़ता, कोसों तक भूमि बर्बाद हो जाती। बड़े बड़े नगर प्राय: चौबीस घंटों में नष्ट हो जाते। जले हुए गाँव और नष्ट भ्रष्ट खेतियाँ मराठों के प्रयाण का मार्ग बतलातीं। इस स्थिति को सुधारने के लिए अंग्रेज़ी सरकार ने राजस्थान के राज्यों से संधियाँ करनी शुरू कीं; किंतु इससे भी अधिक बुद्धिमानी का कार्य टॉड को राजस्थान में सरकारी प्रतिनिधि नियुक्त करना था। [[मेवाड़]] के महाराणा भीमसिंह ने इसकी सलाह से अपने राज्य में अनेक सुधार किए। सन् 1819 में [[जोधपुर]] जाते समय टॉड ने कई अभिलेखों और मुद्राओं का संग्रह किया जो इतिहास के लिये अत्यंत उपयोगी हैं। जोधपुर के महाराज ने भी कर्नल टॉड को राजपूत इतिहास की अनेक पुस्तकें दीं।
उनके समय में [[राजस्थान]] की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा अत्यंत दयनीय थी। मराठों के उत्पात से यह प्रांत बहुत कुछ उजड़ चुका था। जहाँ कहीं मराठों का पड़ाव पड़ता, कोसों तक भूमि बर्बाद हो जाती। बड़े बड़े नगर प्राय: चौबीस घंटों में नष्ट हो जाते। जले हुए गाँव और नष्ट भ्रष्ट खेतियाँ मराठों के प्रयाण का मार्ग बतलातीं। इस स्थिति को सुधारने के लिए अंग्रेज़ी सरकार ने राजस्थान के राज्यों से संधियाँ करनी शुरू कीं; किंतु इससे भी अधिक बुद्धिमानी का कार्य टॉड को राजस्थान में सरकारी प्रतिनिधि नियुक्त करना था। [[मेवाड़]] के महाराणा भीमसिंह ने इसकी सलाह से अपने राज्य में अनेक सुधार किए। सन् 1819 में [[जोधपुर]] जाते समय टॉड ने कई अभिलेखों और मुद्राओं का संग्रह किया जो इतिहास के लिये अत्यंत उपयोगी हैं। जोधपुर के महाराज ने भी कर्नल टॉड को राजपूत इतिहास की अनेक पुस्तकें दीं।
====बिजोल्या का शिलालेख====
====बिजोल्या का शिलालेख====
सन 1820 में बूँदी पहुचँकर टॉड ने बूँदी के राजकार्य की व्यवस्था की। रावराजा की माता ने राखी भेजकर टॉड को अपना भाई बनाया। कोटे में महाराव किशोरसिंह और उनके प्रधान जालिमसिंह की अनबन को टॉड ने किसी तरह शांत किया, किंतु इस विवाद में टॉड ने जालिमिंह का अनुचित पक्ष लिया। इसी बीच में घूमकर अनेक ऐतिहासिक स्थानों और [[अभिलेख|अभिलेखों]] की भी खोज टॉड ने की, जिनमें [[संवत]] 1226 का बिजोल्या का शिलालेख विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
सन 1820 में बूँदी पहुचँकर टॉड ने बूँदी के राजकार्य की व्यवस्था की। रावराजा की माता ने राखी भेजकर टॉड को अपना भाई बनाया। कोटे में महाराव किशोरसिंह और उनके प्रधान जालिमसिंह की अनबन को टॉड ने किसी तरह शांत किया, किंतु इस विवाद में टॉड ने जालिमसिंह का अनुचित पक्ष लिया। इसी बीच में घूमकर अनेक ऐतिहासिक स्थानों और [[अभिलेख|अभिलेखों]] की भी खोज टॉड ने की, जिनमें [[संवत]] 1226 का बिजोल्या का [[शिलालेख]] विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
==निधन==
==निधन==
24 वर्ष तक [[भारत]] में रहने के बाद टॉड 'इंग्लैड' वापस गए। सन् 1824 में इन्हें मेजर का और 1826 में 'लेफ्टिनेंट कर्नल' का पद मिला। 'राजस्थान' का प्रकाशन 1829 से 1832 के बीच में हुआ। 1826 में टॉड ने विवाह किया और 1835 में इनकी मृत्यु हुई। टॉड का 'राजस्थान' उनके [[राजस्थान]] की संस्कृति और संस्कृति के अनुराग का सबसे अच्छा स्मारक है। 'राजस्थान के इतिहास का मार्ग सर्वप्रथम प्रशस्त बनाने का श्रेय टॉड को है।'<ref>एनल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज ऑफ राजस्थान, (ऑक्सफोर्ड संस्करण) -टॉड, राजस्थान प्रथम खंड -टॉड</ref>
24 वर्ष तक [[भारत]] में रहने के बाद टॉड 'इंग्लैड' वापस गए। सन् 1824 में इन्हें मेजर का और 1826 में 'लेफ्टिनेंट कर्नल' का पद मिला। 'राजस्थान' का प्रकाशन 1829 से 1832 के बीच में हुआ। 1826 में टॉड ने विवाह किया और 1835 में इनकी मृत्यु हुई। टॉड का 'राजस्थान' उनके [[राजस्थान]] की संस्कृति और संस्कृति के अनुराग का सबसे अच्छा स्मारक है। 'राजस्थान के इतिहास का मार्ग सर्वप्रथम प्रशस्त बनाने का श्रेय टॉड को है।'<ref>एनल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज ऑफ राजस्थान, (ऑक्सफोर्ड संस्करण) -टॉड, राजस्थान प्रथम खंड -टॉड</ref>

Revision as of 09:38, 10 November 2014

कर्नल टॉड
पूरा नाम कर्नल जेम्स टॉड
जन्म 20 मार्च, सन् 1782
जन्म भूमि इंस्लिग्टन, इंग्लैड
मृत्यु 18 नवम्बर, 1835
मृत्यु स्थान लंदन, इंग्लैड
पति/पत्नी जूलिया क्लटरबक (Julia Clutterbuck)
कर्म-क्षेत्र अंग्रेज़ अधिकारी एवं इतिहासकार
विशेष योगदान राजस्थान के इतिहास का मार्ग सर्वप्रथम प्रशस्त बनाने का श्रेय कर्नल टॉड को है।
अन्य जानकारी सन् 1819 में जोधपुर जाते समय टॉड ने कई अभिलेखों और मुद्राओं का संग्रह किया जो इतिहास के लिये अत्यंत उपयोगी हैं। जोधपुर के महाराज ने भी कर्नल टॉड को राजपूत इतिहास की अनेक पुस्तकें दीं।

कर्नल जेम्स टॉड (अंग्रेज़ी: Colonel James Tod, जन्म: 20 मार्च, सन् 1782 - मृत्यु: 18 नवम्बर 1835)ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के एक अधिकारी तथा भारतविद थे। इनका जन्म इंग्लैड के 'इंस्लिग्टन' नामक स्थान में 20 मार्च, सन् 1782 में हुआ था। इनके पिता और माता दोनों ईस्ट इंडिया कंपनी की सिविल सर्विस में थे। इसलिए इन्हें सरलता से सेना के उच्च उम्मीदवारों में स्थान मिल गया। कलकता पहुँचने पर दूसरे नंबर की यूरोपियन रेजिमेंट में इनकी नियुक्ति हुई। कुछ महीने बाद 14 नबंर की सेना में इन्हें 'लेफ्टिनेंट' का पद मिला। सन् 1807 में 15 नंबर की देशी सेना में इनका तबादला हुआ।

जीवन परिचय

सन 1805 में अपने मित्र 'ग्रीम मर्सन' के साथ रहने वाली सेना के अधिकारी बनकर ये 'दौलतराव सिंधिया' के कैंप में पहुँचे। मर्सर उस समय सरकारी एजेंट थे। रास्ते के स्थानों की पैमाइश करते हुए टॉड मर्सर के साथ आगरा से उदयपुर पहुँचे। यह निरीक्षण और पैमाइश का काम उसके बाद लगातार चलता रहा। सन् 1810 - 1811 में पैमाइश करने वालों को टॉड ने दो दलों में बाँट दिया और जहाँ वे अपने आप न जा सके वहाँ उन्हें भेजा। टॉड के इस सहायकों में से विशेष रूप से 'शेख अब्दुल बरकत' और 'मदारीलाल' के नाम उल्लेखनीय है।

पिंडारियों से युद्ध

लॉर्ड हेस्टिंग्स ने पिंडारियों के विरुद्ध जब युद्ध शुरू किया तब अंग्रेज़ी सेनानायकों को टॉड से अनेक प्रकार से सहायता मिली। टॉड ने युद्धक्षेत्र का नक्शा बनाकर अंग्रेज़ी सैन्य-संचालन-विभाग का दिया। सरकार ने इसकी कई नकलें तैयार करवाई। टॉड द्वारा प्रस्तुत मालवा का नक्शा भी युद्ध में बहुत काम आया। संशोधित रूप में टॉड ने यह नक्शा अपने 'राजस्थान' की पहली जिल्द के आरंभ में लगाया।

कप्तान का पद

सन 1813 में टॉड को कप्तान का पद मिला। रेजिडेंट सर रिचर्ड स्ट्रेची ने इन्हें अपना द्वितीय असिस्टेन्ट नियुक्त किया। सन् 1818 से 1822 तक टॉड पश्चिमी राजपूताने के पोलिटिकल एजेंट रहे।

राजस्थान में सुधार कार्य

उनके समय में राजस्थान की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा अत्यंत दयनीय थी। मराठों के उत्पात से यह प्रांत बहुत कुछ उजड़ चुका था। जहाँ कहीं मराठों का पड़ाव पड़ता, कोसों तक भूमि बर्बाद हो जाती। बड़े बड़े नगर प्राय: चौबीस घंटों में नष्ट हो जाते। जले हुए गाँव और नष्ट भ्रष्ट खेतियाँ मराठों के प्रयाण का मार्ग बतलातीं। इस स्थिति को सुधारने के लिए अंग्रेज़ी सरकार ने राजस्थान के राज्यों से संधियाँ करनी शुरू कीं; किंतु इससे भी अधिक बुद्धिमानी का कार्य टॉड को राजस्थान में सरकारी प्रतिनिधि नियुक्त करना था। मेवाड़ के महाराणा भीमसिंह ने इसकी सलाह से अपने राज्य में अनेक सुधार किए। सन् 1819 में जोधपुर जाते समय टॉड ने कई अभिलेखों और मुद्राओं का संग्रह किया जो इतिहास के लिये अत्यंत उपयोगी हैं। जोधपुर के महाराज ने भी कर्नल टॉड को राजपूत इतिहास की अनेक पुस्तकें दीं।

बिजोल्या का शिलालेख

सन 1820 में बूँदी पहुचँकर टॉड ने बूँदी के राजकार्य की व्यवस्था की। रावराजा की माता ने राखी भेजकर टॉड को अपना भाई बनाया। कोटे में महाराव किशोरसिंह और उनके प्रधान जालिमसिंह की अनबन को टॉड ने किसी तरह शांत किया, किंतु इस विवाद में टॉड ने जालिमसिंह का अनुचित पक्ष लिया। इसी बीच में घूमकर अनेक ऐतिहासिक स्थानों और अभिलेखों की भी खोज टॉड ने की, जिनमें संवत 1226 का बिजोल्या का शिलालेख विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

निधन

24 वर्ष तक भारत में रहने के बाद टॉड 'इंग्लैड' वापस गए। सन् 1824 में इन्हें मेजर का और 1826 में 'लेफ्टिनेंट कर्नल' का पद मिला। 'राजस्थान' का प्रकाशन 1829 से 1832 के बीच में हुआ। 1826 में टॉड ने विवाह किया और 1835 में इनकी मृत्यु हुई। टॉड का 'राजस्थान' उनके राजस्थान की संस्कृति और संस्कृति के अनुराग का सबसे अच्छा स्मारक है। 'राजस्थान के इतिहास का मार्ग सर्वप्रथम प्रशस्त बनाने का श्रेय टॉड को है।'[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. एनल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज ऑफ राजस्थान, (ऑक्सफोर्ड संस्करण) -टॉड, राजस्थान प्रथम खंड -टॉड

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख