लाला अमरनाथ: Difference between revisions
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'''नानिक अमरनाथ भारद्वाज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nanik Amarnath Bhardwaj'' ; जन्म- [[11 सितम्बर]], [[1911]], [[कपूरथला]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[5 अगस्त]], [[2000]], [[दिल्ली]]) [[भारत]] के महान और ख्यातिप्राप्त क्रिकेटरों में से एक थे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक लगाने का गौरव इन्हें प्राप्त है। लाला अमरनाथ भारत के ऐसे पहले आलराउंडर थे, जिन्होंने बल्ले के अलावा [[गेंद (क्रिकेट)|गेंद]] से भी अपने विरोधियों की नाक में दम किया। उन्हें '[[भारत सरकार]]' द्वारा सन [[1991]] में [[खेल]] के क्षेत्र में '[[पद्म भूषण]]' से सम्मानित किया गया था। उनके निधन पर भारत के तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[अटल बिहारी वाजपेयी]] ने अपने शोक संदेश में उन्हें "भारतीय क्रिकेट का आइकन" करार दिया था। लाला दाएं हाथ के बल्लेबाज़ और मध्यम गति के तेज़ गेंदबाज़ थे। | '''नानिक अमरनाथ भारद्वाज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nanik Amarnath Bhardwaj'' ; जन्म- [[11 सितम्बर]], [[1911]], [[कपूरथला]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[5 अगस्त]], [[2000]], [[दिल्ली]]) [[भारत]] के महान और ख्यातिप्राप्त क्रिकेटरों में से एक थे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक लगाने का गौरव इन्हें प्राप्त है। लाला अमरनाथ भारत के ऐसे पहले आलराउंडर थे, जिन्होंने बल्ले के अलावा [[गेंद (क्रिकेट)|गेंद]] से भी अपने विरोधियों की नाक में दम किया। उन्हें '[[भारत सरकार]]' द्वारा सन [[1991]] में [[खेल]] के क्षेत्र में '[[पद्म भूषण]]' से सम्मानित किया गया था। उनके निधन पर भारत के तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[अटल बिहारी वाजपेयी]] ने अपने शोक संदेश में उन्हें "भारतीय क्रिकेट का आइकन" करार दिया था। लाला दाएं हाथ के बल्लेबाज़ और मध्यम गति के तेज़ गेंदबाज़ थे। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
लाला अमरनाथ का जन्म 11 सितम्बर, सन 1911 को [[पंजाब]] के [[कपूरथला]] में हुआ था। उनका मूल नाम 'नानिक अमरनाथ भारद्वाज' था। उनके खेल के स्तर और चरित्र को आंकड़ों में नहीं बांधा जा सकता। [[इंग्लैंड]], वेस्टइंडीज, [[ऑस्ट्रेलिया]] और [[पाकिस्तान]] के ख़िलाफ़ उन्होंने [[1933]] से [[1953]] के दौरान कुल 40 पारियां खेलते हुए क़रीब 25 की औसत से 878 रन बनाए और 45 विकेट भी लिए। लाला अमरनाथ ने अपना क्रिकेट कॅरियर एक विकेट कीपर बल्लेबाज़ के तौर पर शुरू किया था, लेकिन उन्हें बल्लेबाज़ी के अलावा स्विंग गेंदबाज़ी के लिए भी जाना गया। दूसरे विश्व युद्ध के कारण उनके खेल जीवन के सुनहरे [[वर्ष]] बर्बाद हो गए, जैसा कि महान बल्लेबाजों डॉन ब्रेडमैन और लेन हटन के साथ भी हुआ था।<ref name="aa">{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/-/articleshow/3717622.cms|title= भारतीय क्रिकेट की पहली सेंचुरी अमरनाथ के नाम है|accessmonthday=25 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नवभारत टाइम्स|language= हिन्दी}}</ref> | लाला अमरनाथ का जन्म 11 सितम्बर, सन 1911 को [[पंजाब]] के [[कपूरथला]] में हुआ था। उनका मूल नाम 'नानिक अमरनाथ भारद्वाज' था। इनके दोनों बेटे सुरिन्दर अमरनाथ और [[मोहिन्दर अमरनाथ]] भी भारत के प्रसिद्ध क्रिकेटर रहे हैं। उनके खेल के स्तर और चरित्र को आंकड़ों में नहीं बांधा जा सकता। [[इंग्लैंड]], वेस्टइंडीज, [[ऑस्ट्रेलिया]] और [[पाकिस्तान]] के ख़िलाफ़ उन्होंने [[1933]] से [[1953]] के दौरान कुल 40 पारियां खेलते हुए क़रीब 25 की औसत से 878 रन बनाए और 45 विकेट भी लिए। लाला अमरनाथ ने अपना क्रिकेट कॅरियर एक विकेट कीपर बल्लेबाज़ के तौर पर शुरू किया था, लेकिन उन्हें बल्लेबाज़ी के अलावा स्विंग गेंदबाज़ी के लिए भी जाना गया। दूसरे विश्व युद्ध के कारण उनके खेल जीवन के सुनहरे [[वर्ष]] बर्बाद हो गए, जैसा कि महान बल्लेबाजों डॉन ब्रेडमैन और लेन हटन के साथ भी हुआ था।<ref name="aa">{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/-/articleshow/3717622.cms|title= भारतीय क्रिकेट की पहली सेंचुरी अमरनाथ के नाम है|accessmonthday=25 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नवभारत टाइम्स|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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Revision as of 07:53, 25 September 2014
लाला अमरनाथ
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व्यक्तिगत परिचय
| |||
पूरा नाम | नानिक अमरनाथ भारद्वाज | ||
जन्म | 11 सितम्बर, 1911 | ||
जन्म भूमि | कपूरथला, पंजाब | ||
संतान | सुरिन्दर अमरनाथ और मोहिन्दर अमरनाथ | ||
मृत्यु | 5 अगस्त, 2000 | ||
मृत्यु स्थान | दिल्ली | ||
खेल परिचय
| |||
बल्लेबाज़ी शैली | दाएँ हाथ के बल्लेबाज़ | ||
गेंदबाज़ी शैली | दाहिने हाथ के मध्यम तेज़ गेंदबाज़ | ||
टीम | भारत | ||
भूमिका | बल्लेबाज, गेंदबाज़ | ||
कैरियर आँकड़े
| |||
प्रारूप | टेस्ट क्रिकेट | एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय | टी-20 अन्तर्राष्ट्रीय |
मुक़ाबले | 24 | 186 | 0 |
बनाये गये रन | 878 | 10,426 | 0 |
बल्लेबाज़ी औसत | 24.38 | 41.37 | 0 |
100/50 | 1/4 | 31/39 | 0 |
सर्वोच्च स्कोर | 118 | 262 | 0 |
फेंकी गई गेंदें | 4241 | 29,474 | 0 |
विकेट | 45 | 463 | 0 |
गेंदबाज़ी औसत | 32.91 | 22.98 | 0 |
पारी में 5 विकेट | 2 | 19 | 0 |
मुक़ाबले में 10 विकेट | 0 | 3 | 0 |
सर्वोच्च गेंदबाज़ी | 5/96 | 7/27 | 0 |
कैच/स्टम्पिंग | 13 | 96/2 | 0 |
पुरस्कार | 'पद्म भूषण' (1991) |
नानिक अमरनाथ भारद्वाज (अंग्रेज़ी: Nanik Amarnath Bhardwaj ; जन्म- 11 सितम्बर, 1911, कपूरथला, पंजाब; मृत्यु- 5 अगस्त, 2000, दिल्ली) भारत के महान और ख्यातिप्राप्त क्रिकेटरों में से एक थे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक लगाने का गौरव इन्हें प्राप्त है। लाला अमरनाथ भारत के ऐसे पहले आलराउंडर थे, जिन्होंने बल्ले के अलावा गेंद से भी अपने विरोधियों की नाक में दम किया। उन्हें 'भारत सरकार' द्वारा सन 1991 में खेल के क्षेत्र में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। उनके निधन पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने शोक संदेश में उन्हें "भारतीय क्रिकेट का आइकन" करार दिया था। लाला दाएं हाथ के बल्लेबाज़ और मध्यम गति के तेज़ गेंदबाज़ थे।
परिचय
लाला अमरनाथ का जन्म 11 सितम्बर, सन 1911 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। उनका मूल नाम 'नानिक अमरनाथ भारद्वाज' था। इनके दोनों बेटे सुरिन्दर अमरनाथ और मोहिन्दर अमरनाथ भी भारत के प्रसिद्ध क्रिकेटर रहे हैं। उनके खेल के स्तर और चरित्र को आंकड़ों में नहीं बांधा जा सकता। इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उन्होंने 1933 से 1953 के दौरान कुल 40 पारियां खेलते हुए क़रीब 25 की औसत से 878 रन बनाए और 45 विकेट भी लिए। लाला अमरनाथ ने अपना क्रिकेट कॅरियर एक विकेट कीपर बल्लेबाज़ के तौर पर शुरू किया था, लेकिन उन्हें बल्लेबाज़ी के अलावा स्विंग गेंदबाज़ी के लिए भी जाना गया। दूसरे विश्व युद्ध के कारण उनके खेल जीवन के सुनहरे वर्ष बर्बाद हो गए, जैसा कि महान बल्लेबाजों डॉन ब्रेडमैन और लेन हटन के साथ भी हुआ था।[1]
प्रथम शतक
जब भारत में क्रिकेट अपनी जड़ें जमा रहा था, जब 1933 में बॉम्बे जिमखाना में 20 वर्ष के लाला अमरनाथ ने अपना पहला ही टेस्ट मैच खेलते हुए डगलस जार्डीन की अंग्रेज़ टीम के ख़िलाफ़ मात्र 180 गेंदों पर 118 रन बनाकर अपने जीनियस से सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा था। यह भारतीय क्रिकेट इतिहास का भी पहला टेस्ट शतक था और हेडली वैरायटी, स्टानले निकल्स, एंवर्ड क्लार्क और जेम्स लैंग्रिज जैसे धुरंधर गेंदबाज़ों के आगे बनाया गया था। इस पारी को आज भी भारतीय क्रिकेट इतिहास की श्रेष्ठतम पारियों में शुमार किया जाता है। तब उनके समकालीन रूसी मोदी ने लिखा था- "जिन चुनिंदा भाग्यशाली लोगों ने इस पारी को देखा, वे इसे कभी नहीं भूलेंगे। जो नहीं देख पाए, उन्हें हमेशा मलाल रहना चाहिए।"
विवाद
वर्ष 1938 में मुम्बई में हुए पैंटागुलर टूर्नामेंट में लाला अमरनाथ ने हिन्दूज की तरफ़ से खेलते हुए 241 रनों की एक बेहतरीन यादगार पारी खेली थी, जिसे लंबे समय तक याद रखा गया। दो साल पहले इंग्लैंड गई भारतीय टीम के कप्तान महाराज कुमार विजयनगरम के साथ हुई असहमतियों के कारण लाला को एक विवाद में फंसाया गया, जिसके चलते उन्हें दौरा बीच में ही छोड़कर भारत वापस आना पड़ा। इस विवाद की जांच के बाद महाराज कुमार विजयनगरम की काफ़ी आलोचना हुई और लाला अमरनाथ की साख में इजाफ़ा ही हुआ।
भारतीय टीम का नेतृत्व
आज़ाद भारत के पहले कप्तान के रूप में लाला अमरनाथ ने ऑस्ट्रेलियाई दौरे में भारतीय टीम का नेतृत्व किया। वहाँ उन्होंने कुछ जबर्दस्त पारियां खेलीं। विक्टोरिया के विरुद्ध खेली गई उनकी 228 रनों की नॉट आउट की पारी पर विक रिर्चड्सन ने एक भारतीय समाचार पत्र के लिए लिखा था कि- "यह पारी मेरी याददाश्त में डोनाल्ड ब्रेडमैन की 1930 में लीड्स में खेली गई 339 की और सिडनी में स्टैन मैकेब की 182 की पारी के साथ हमेशा अंकित रहेगी। इन तीनों पारियों की विशेषता यह थी कि विपक्षी टीमों की गेंदबाज़ी अपने शीर्ष पर थी। सारा ऑस्ट्रेलिया लाला अमरनाथ की चर्चा कर रहा है और उनके प्रति उतनी ही श्रद्धा रखता है, जितनी उसे डॉन ब्रेडमैन के लिए रही है।"
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि विक रिर्चड्सन इयान चैपल और ग्रेग चैपल के नाना थे। जैक फिंगल्टन और दिलीप सिंह जी जैसे खिलाडि़यों के आलोचकों ने भी लाला अमरनाथ के खेल और उनके करिश्माई व्यक्तित्व के बारे में क़सीदे लिखे। 1948 में वेस्ट इंडीज की टीम के दौरे के वक्त उनकी तत्कालीन बीसीसीआई सचिव एंथनी डिमैलो से बहस हो गई थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें अगले दौरों में टीम में शामिल तक नहीं किया गया।[1]
उल्लेखनीय तथ्य
भूतपूर्व कप्तान लाला अमरनाथ का कॅरियर जितना शानदार रहा, उतना ही विवादित भी रहा। उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य निम्नलिखित हैं[2]-
- लाला अमरनाथ टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाने वाले न सिर्फ भारत के बल्कि एशिया के भी पहले बल्लेबाज़ थे। उन्होंने यह शतक मुंबई के जिमखाना ग्राउंड पर इंग्लैंड के विरुद्ध जारी टेस्ट मैच के तीसरे दिन 17 दिसंबर, 1933 को लगाया था। उन्होंने दूसरी पारी में 118 रनों की पारी खेली थी। लाला अमरनाथ का यह शतक इस लिहाज से भी खास था, क्योंकि यह उनका पहला टेस्ट मैच भी था और दोनों ही पारियों में उन्होंने अपनी टीम के लिए सबसे अधिक स्कोर किया था। हालांकि दूसरी पारी में खेली गई उनकी शतकीय पारी टीम को हार से टाल नहीं सकी। भारत यह मैच 9 विकेट से हारा था। लाला अमरनाथ ने पहली पारी में भी अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा 38 रन बनाए थे।
- लाला अमरनाथ न सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाज़ थे, बल्कि वह एक शानदार के गेंदबाज़ भी रहे। उन्होंने 1946 में इंग्लैंड दौरे के दौरान एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में 5-5 विकेट झटके थे। साथ ही 3 बार 4-4 विकेट भी निकाले।
- बाद में लाला भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने और उनकी अगुवाई में ही भारत 1952-1953 में पहली बार कोई टेस्ट सीरीज जीत सका था। भारत ने 2-1 से यह सीरीज अपने जानेमाने प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जीती थी।
- लाला अमरनाथ का टेस्ट कॅरियर 19 साल तक रहा। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच दिसंबर, 1952 में पाकिस्तान के विरुद्ध कोलकाता में खेला था। इस दौरान उन्होंने कुल 24 टेस्ट मैच खेले, जिसमें एक शतक के अलावा 4 अर्धशतक लगाए। साथ ही उन्होंने ने कुल 45 विकेट भी झटके।
- टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक लगाने वाले पूर्व कप्तान लाला अमरनाथ के तीनों बेटों को भी टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिला। इनमें मोहिन्दर अमरनाथ आगे चलकर भारतीय टीम के कप्तान भी बने।
- लाला अमरनाथ एकमात्र ऐसे गेंदबाज़ थे, जिन्होंने क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलिया के सर डॉन ब्रेडमैन को हिट विकेट आउट करने का कारनामा किया। ब्रेडमैन अपने बेमिसाल कॅरियर में सिर्फ एक बार ही हिट विकेट हुए थे।
- स्वतंत्र भारत में भारतीय क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट कप्तान बनने का गौरव भी लाला अमरनाथ को प्राप्त है। उनकी अगुवाई में टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। वर्ष 1936 में लाला इंग्लैंड के दौरे पर गए थे, लेकिन उन्हें वहाँ से बिना मैच खेले ही वापस लौटना पड़ा था।
- 1936 में इंग्लैंड दौरे के दौरान टीम के कप्तान महाराज कुमार ने लाला अमरनाथ को अनुशासनहीनता के कारण स्वदेश लौटा दिया था। लाला एक भी टेस्ट मैच खेल नहीं सके थे। बाद में लाला और अन्य कई लोगों ने आरोप लगाया कि ऐसा राजनीति के कारण किया जा रहा है। महाराज कुमार को 1936 के दौरे के लिए कप्तान बनाया गया था।
- लाला अमरनाथ की कप्तानी में भारत ने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार पाकिस्तान को हराया था। 1952 में भारत के दौरे पर पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने आई पाक टीम को टीम इंडिया ने दिल्ली में खेले गए पहले टेस्ट मैच में एक पारी और 70 रन से शिकस्त दी थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 भारतीय क्रिकेट की पहली सेंचुरी अमरनाथ के नाम है (हिन्दी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 25 सितम्बर, 2014।
- ↑ मिलिए, ब्रेडमेन को हिटविकेट आउट करने वाले भारतीय से (हिन्दी) अमर उजाला.कॉम। अभिगमन तिथि: 25 सितम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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