तिमनगढ़ क़िला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
'''तिमनगढ़ क़िला''' [[करौली]], [[राजस्थान]] से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। [[इतिहासकार|इतिहासकारों]] का मानना है कि ये क़िला 1100 ई. में बनवाया गया था, जो जल्द ही नष्ट कर दिया गया। इस क़िले को 1244 ई. में यदुवंशी राजा तीमंपल, जो राजा विजयपाल के वंशज थे, के द्वारा दोबारा बनवाया गया था।
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
|चित्र=Timangarh-Fort.jpg
|चित्र का नाम=तिमनगढ़ क़िला, करौली
|विवरण='तिमनगढ़ क़िला' [[राजस्थान]] के ऐतिहासिक दुर्गों में से एक है। इस क़िले से सम्बंधित कई किंवदंतियाँ भी स्थानीय लोगों में प्रचलित हैं।
|शीर्षक 1=राज्य
|पाठ 1=[[राजस्थान]]
|शीर्षक 2=ज़िला
|पाठ 2=[[करौली]]
|शीर्षक 3=निर्माण काल
|पाठ 3=1100 ई.<ref>युद्ध में नष्ट कर दिये जाने के बाद इसका दुबारा निर्माण 1244 ई. में करवाया गया था।</ref>
|शीर्षक 4=
|पाठ 4=
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|शीर्षक 6=
|पाठ 6=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|शीर्षक 8=
|पाठ 8=
|शीर्षक 9=
|पाठ 9=
|शीर्षक 10=
|पाठ 10=
|संबंधित लेख=[[राजस्थान]], [[राजस्थान का इतिहास]], [[करौली]], [[मुहम्मद ग़ोरी]]
|अन्य जानकारी=लोगों का मानना है कि आज भी क़िले के पास स्थित सागर झील में पारस पत्थर है, जिसके स्पर्श से कोई भी चीज़ [[सोना|सोने]] की हो सकती है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
 
'''तिमनगढ़ क़िला''' [[करौली]], [[राजस्थान]] से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। [[इतिहासकार|इतिहासकारों]] का मानना है कि ये क़िला 1100 ई. में बनवाया गया था, जो जल्द ही नष्ट कर दिया गया। इस क़िले को 1244 ई. में यदुवंशी राजा तीमंपल, जो राजा विजयपाल के वंशज थे, के द्वारा इसे दुबारा बनवाया गया था।


*अपने तत्कालीन समय में तिमनगढ़ स्‍थानीय सत्ता का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।
*अपने तत्कालीन समय में तिमनगढ़ स्‍थानीय सत्ता का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।
*1196 ई. में यहाँ के राजा तीमंपल को पराजित करके [[मुहम्मद ग़ोरी]] और उसके सेनापति [[क़ुतुबुद्दीन ऐबक|क़ुतुबुद्दीन]] ने इस पर अपना अधिकार कर लिया था। इसके बाद राजा कुंवरपाल को रेवा के एक [[ग्राम]] में शरण लेनी पड़ी।
*1196 ई. में यहाँ के राजा तीमंपल को पराजित करके [[मुहम्मद ग़ोरी]] और उसके सेनापति [[क़ुतुबुद्दीन ऐबक|क़ुतुबुद्दीन]] ने इस पर अपना अधिकार कर लिया था।
*इस क़िले के मुख्‍य द्वार पर [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्‍थापत्‍य कला]] का प्रभाव दिखाई पड़ता है, लेकिन क़िले के आं‍तरिक हिस्‍सों पर यह प्रभाव नहीं है। इसकी दीवारें, मंदिर और बाज़ार अपने सही रूप में देखे जा सकते हैं।
*इस क़िले के मुख्‍य द्वार पर [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्‍थापत्‍य कला]] का प्रभाव दिखाई पड़ता है, लेकिन क़िले के आं‍तरिक हिस्‍सों पर यह प्रभाव नहीं है। इसकी दीवारें, मंदिर और बाज़ार अपने सही रूप में देखे जा सकते हैं।
*तिमनगढ़ क़िले से सागर झील का विहंगम दृश्‍य भी देखा जा सकता है।
*तिमनगढ़ क़िले से सागर झील का विहंगम दृश्‍य भी देखा जा सकता है।

Latest revision as of 13:06, 21 May 2015

तिमनगढ़ क़िला
विवरण 'तिमनगढ़ क़िला' राजस्थान के ऐतिहासिक दुर्गों में से एक है। इस क़िले से सम्बंधित कई किंवदंतियाँ भी स्थानीय लोगों में प्रचलित हैं।
राज्य राजस्थान
ज़िला करौली
निर्माण काल 1100 ई.[1]
संबंधित लेख राजस्थान, राजस्थान का इतिहास, करौली, मुहम्मद ग़ोरी
अन्य जानकारी लोगों का मानना है कि आज भी क़िले के पास स्थित सागर झील में पारस पत्थर है, जिसके स्पर्श से कोई भी चीज़ सोने की हो सकती है।

तिमनगढ़ क़िला करौली, राजस्थान से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इतिहासकारों का मानना है कि ये क़िला 1100 ई. में बनवाया गया था, जो जल्द ही नष्ट कर दिया गया। इस क़िले को 1244 ई. में यदुवंशी राजा तीमंपल, जो राजा विजयपाल के वंशज थे, के द्वारा इसे दुबारा बनवाया गया था।

  • अपने तत्कालीन समय में तिमनगढ़ स्‍थानीय सत्ता का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।
  • 1196 ई. में यहाँ के राजा तीमंपल को पराजित करके मुहम्मद ग़ोरी और उसके सेनापति क़ुतुबुद्दीन ने इस पर अपना अधिकार कर लिया था।
  • इस क़िले के मुख्‍य द्वार पर मुग़ल स्‍थापत्‍य कला का प्रभाव दिखाई पड़ता है, लेकिन क़िले के आं‍तरिक हिस्‍सों पर यह प्रभाव नहीं है। इसकी दीवारें, मंदिर और बाज़ार अपने सही रूप में देखे जा सकते हैं।
  • तिमनगढ़ क़िले से सागर झील का विहंगम दृश्‍य भी देखा जा सकता है।
  • यहाँ के स्थानीय लोगों का मानना है कि आज भी इस क़िले में अष्टधातु की प्राचीन मूर्तियों, मिट्टी की विशाल और छोटी मूर्तियों को मंदिर के नीचे छुपाया गया है।
  • यहाँ बने मंदिरों की छतों और स्तंभों पर सुंदर ज्यामितीय और फूल के नमूने किसी भी पर्यटक का मन मोहने के लिए काफ़ी हैं। साथ ही यहाँ आने वाले पर्यटक मंदिर के स्तंभों पर अलग-अलग देवी-देवताओं की तस्वीरों को देख सकते हैं, जो प्राचीन कला का एक बेमिसाल नमूना हैं।[2]
  • एक किंवदंती के अनुसार यहाँ के लोगों का यह भी मानना है कि आज भी क़िले के पास स्थित सागर झील में पारस पत्थर है, जिसके स्पर्श से कोई भी चीज़ सोने की हो सकती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. युद्ध में नष्ट कर दिये जाने के बाद इसका दुबारा निर्माण 1244 ई. में करवाया गया था।
  2. तिमनगढ़ क़िला, करौली (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 21 मई, 2015।

संबंधित लेख