उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी: Difference between revisions
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यह भवन एक पुरातात्विक इमारत है जिसका निर्माण 1778-1814 के मध्य हुआ है। यह नवाबी इमारतों के वास्तुशिल्प का महत्त्वपूर्ण नमूना है। लाल बारादरी के भवन में [[सआदत अली|सआदत अली खान]] से लेकर [[वाजिद अली शाह]] तक का दरबार-ए-हाल सजता था और उनकी ताजपोशी भी यहीं हुई थी। इसी कारण इस भवन को कम्र-उल-सआदत अर्थात सुल्तानों का महल कहा जाता था। इस्का निर्माण [[सआदत अली|सआदत अली खान]] ने 18वीं [[सदी]] के अंत में करवाया था। | यह भवन एक पुरातात्विक इमारत है जिसका निर्माण 1778-1814 के मध्य हुआ है। यह नवाबी इमारतों के वास्तुशिल्प का महत्त्वपूर्ण नमूना है। लाल बारादरी के भवन में [[सआदत अली|सआदत अली खान]] से लेकर [[वाजिद अली शाह]] तक का दरबार-ए-हाल सजता था और उनकी ताजपोशी भी यहीं हुई थी। इसी कारण इस भवन को कम्र-उल-सआदत अर्थात सुल्तानों का महल कहा जाता था। इस्का निर्माण [[सआदत अली|सआदत अली खान]] ने 18वीं [[सदी]] के अंत में करवाया था। |
Revision as of 07:41, 7 November 2017
उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी
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विवरण | छतर मंज़िल और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ पीठ के मध्य ललित कला अकादमी मार्ग पर लाल बारादरी भवन में स्थित है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
नगर | लखनऊ |
स्वामित्व | संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार |
निर्माण | 1778-1814 ई. |
स्थापना | 8 फरवरी, 1962 |
मार्ग स्थिति | लखनऊ रेलवे स्टेशन से गौतम बुद्ध मार्ग द्वारा 8 किमी की दूरी पर स्थित है। |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
संबंधित लेख | ललित कला अकादमी |
अन्य जानकारी | अकादमी कला एवं कलाकारों की प्रोन्नति एवं प्रोत्साहन के ध्येय की ओर निरन्तर अग्रसर होती हुई कला जगत् में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। |
उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना 8 फरवरी 1962 को उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की पूर्णतः वित्त पोषित स्वायतशासी इकाई के रूप में हुई थी। अकादमी कला एवं कलाकारों की प्रोन्नति एवं प्रोत्साहन के ध्येय की ओर निरन्तर अग्रसर होती हुई कला जगत् में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। अकादमी लखनऊ में छतर मंज़िल और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ पीठ के मध्य ललित कला अकादमी मार्ग पर लाल बारादरी भवन में स्थित है।
इतिहास
यह भवन एक पुरातात्विक इमारत है जिसका निर्माण 1778-1814 के मध्य हुआ है। यह नवाबी इमारतों के वास्तुशिल्प का महत्त्वपूर्ण नमूना है। लाल बारादरी के भवन में सआदत अली खान से लेकर वाजिद अली शाह तक का दरबार-ए-हाल सजता था और उनकी ताजपोशी भी यहीं हुई थी। इसी कारण इस भवन को कम्र-उल-सआदत अर्थात सुल्तानों का महल कहा जाता था। इस्का निर्माण सआदत अली खान ने 18वीं सदी के अंत में करवाया था।
विशेषता
यह दरबार महल इतना महत्वपूर्ण और ख़ूबसूरत था कि अंग्रेजों ने इसकी तुलना अपने दरबार-ए-हाल से की थी। स्वतंत्रता के पश्चात् सर्वप्रथम इस भवन में राजकीय संग्रहालय स्थापित हुआ। राजकीय संग्रहालय का अपने भवन में स्थानान्तरण होने के पश्चात् इस भवन में राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना वर्ष 1962 में हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख