चार्ल्स डार्विन का क्रमविकास का सिद्धांत: Difference between revisions
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
Latest revision as of 10:47, 2 January 2018
चार्ल्स डार्विन सूची
चार्ल्स डार्विन का क्रमविकास का सिद्धांत
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पूरा नाम | चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन |
अन्य नाम | चार्ल्स डार्विन |
जन्म | 12 फ़रवरी, 1809 |
जन्म भूमि | इंग्लैंड |
मृत्यु | 19 अप्रैल, 1882 |
मृत्यु स्थान | डाउन हाउस, डाउन, केंट, इंग्लैंड |
पति/पत्नी | एम्मा वुडवुड |
कर्म-क्षेत्र | वैज्ञानिक |
खोज | क्रमविकास के सिद्धांत |
पुरस्कार-उपाधि | रॉयल मेडल (1853), वोलस्टन मेडल (1859), कोप्ले मेडल (1864) |
विशेष | चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन ने एच. एम. एस. बीगल की यात्रा के 20 साल बाद तक कई पौधों और जीवों की प्रजातियां का अध्ययन किया और 1858 में दुनिया के सामने 'क्रमविकास का सिद्धांत' दिया। |
अन्य जानकारी | चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन को प्रजातियों के विकास की नयी अवधारणाओं के जनक के रूप में जाना जाता है। |
अद्यतन | 04:41, 13 जुलाई 2017 (IST) |
चार्ल्स डार्विन ने 'क्रमविकास के सिद्धांत' को दुनिया के सामने रखा। उन्होंने प्राचीन समय से इंसानों और अन्य जीवों में होने वाले विकास को अपने शोध में बहुत ही आसान तरीके से बताया था। चार्ल्स डार्विन एक बहुफलदायक लेखक भी थे।
क्रमविकास का सिद्धांत
एच. एम. एस. बीगल की यात्रा के बाद डार्विन ने पाया कि बहुत से पौधों और जीवों की प्रजातियों में आपस का संबंध है। डार्विन ने महसूस किया कि बहुत सारे पौधों की प्रजातियां एक जैसी हैं और उनमें केवल थोड़ा बहुत फर्क है। इसी तरह से जीवों और कीड़ों की कई प्रजातियां भी बहुत थोड़े फर्क के साथ एक जैसी ही हैं।
डार्विन कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहते थे, उन्होंने एच. एम. एस. बीगल की यात्रा के 20 साल बाद तक कई पौधों और जीवों की प्रजातियां का अध्ययन किया और 1858 में दुनिया के सामने 'क्रमविकास का सिद्धांत' दिया।[1]
- क्रमविकास सिद्धातं की मुख्य बातें इस प्रकार है-
- विशेष प्रकार की कई प्रजातियों के पौधे पहले एक ही जैसे होते थे, पर संसार में अलग अलग जगह की भुगौलिक प्रस्थितियों के कारण उनकी रचना में परिवर्तन होता गया जिससे उस एक जाति की कई प्रजातियां बन गई।
- पौधों की तरह जीवों का भी यही हाल है, मनुष्य के पूर्वज किसी समय बंदर हुआ करते थे, पर कुछ बंदर अलग से विशेष तरह से रहने लगे और धीरे–धीरे ज़रूरतों के कारण उनका विकास होता गया और वो मनुष्य बन गए। इस तरह से जीवों में वातावरण और परिस्थितियों के अनुसार या अनुकूलकार्य करने के लिए 'क्रमिक परिवर्तन' तथा 'इसके फलस्वरूप नई जाति के जीवों की उत्पत्ति' को क्रम–विकास या विकासवाद (Evolution) कहते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ चार्ल्स डार्विन, वो वैज्ञानिक, जिसने बताया इंसान बंदर की औलाद है ! (हिन्दी) रोचक डॉट कोम। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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