तरुण सागर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 44: Line 44:
'''तरुण सागर जी महाराज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tarun Sagar ji Maharaj'', जन्म- [[26 जून]], [[1967]], [[मध्य प्रदेश]]; मृत्यु- [[1 सितम्बर]], [[2018]], [[नई दिल्ली]]) [[जैन धर्म]] के भारतीय दिगम्बर पंथ के प्रसिद्ध मुनि थे। उनका वास्तविक नाम 'पवन कुमार जैन' था। उन्होंने पूरे देश में भ्रमण किया। बचपन से ही तरुण सागर जी का अध्यात्म की और बड़ा झुकाव था। वे अन्य जैन मुनियों से बिलकुल भिन्न थे। उनके प्रवचनों में हमेशा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती थी। उन्हें सुनने के लिए जैन धर्म के लोग तो आते ही थे, लेकिन अन्य [[धर्म]] के लोग भी बड़ी संख्या में उनके प्रवचन सुनते थे। तरुण सागर मुनि प्रवचन के माध्यम से रुढ़िवाद, हिंसा और भ्रष्टाचार का काफी विरोध करते थे। इसीलिए उनके प्रवचनों को ‘कड़वे प्रवचन’ कहा जाता है।
'''तरुण सागर जी महाराज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tarun Sagar ji Maharaj'', जन्म- [[26 जून]], [[1967]], [[मध्य प्रदेश]]; मृत्यु- [[1 सितम्बर]], [[2018]], [[नई दिल्ली]]) [[जैन धर्म]] के भारतीय दिगम्बर पंथ के प्रसिद्ध मुनि थे। उनका वास्तविक नाम 'पवन कुमार जैन' था। उन्होंने पूरे देश में भ्रमण किया। बचपन से ही तरुण सागर जी का अध्यात्म की और बड़ा झुकाव था। वे अन्य जैन मुनियों से बिलकुल भिन्न थे। उनके प्रवचनों में हमेशा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती थी। उन्हें सुनने के लिए जैन धर्म के लोग तो आते ही थे, लेकिन अन्य [[धर्म]] के लोग भी बड़ी संख्या में उनके प्रवचन सुनते थे। तरुण सागर मुनि प्रवचन के माध्यम से रुढ़िवाद, हिंसा और भ्रष्टाचार का काफी विरोध करते थे। इसीलिए उनके प्रवचनों को ‘कड़वे प्रवचन’ कहा जाता है।
==परिचय==
==परिचय==
तरुण सागर मुनि का जन्म 26 जून, 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह में गुहंची गांव में हुआ था। तब उनका नाम पवन कुमार जैन था। उनके [[पिता]] का नाम प्रताप चन्द्र जैन और [[माता]] का नाम शांतिबाई जैन था। [[राजस्थान]] के बागीडोरा के आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें [[20 जुलाई]], [[1988]] को दिगंबर मुनि बना दिया। तब वह केवल 20 साल के थे। जीटीवी पर उनके ‘महावीर वाणी’ कार्यक्रम की वजह से वह बहुत ही प्रसिद्ध हुए।
तरुण सागर मुनि का जन्म 26 जून, 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह में गुहंची गांव में हुआ था। तब उनका नाम पवन कुमार जैन था। उनके [[पिता]] का नाम प्रताप चन्द्र जैन और [[माता]] का नाम शांतिबाई जैन था। [[राजस्थान]] के बागीडोरा के आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें [[20 जुलाई]], [[1988]] को दिगंबर मुनि बना दिया। तब वह केवल 20 साल के थे। जीटीवी पर उनके ‘महावीर वाणी’ कार्यक्रम की वजह से वह बहुत ही प्रसिद्ध हुए।<ref>{{cite web |url=https://www.gyanipandit.com/tarun-sagar-ji-maharaj-biography/ |title=जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज|accessmonthday=01 सितम्बर |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=gyanipandit.com |language= हिंदी}}</ref>
==धार्मिक क्रियाकलाप==
==धार्मिक क्रियाकलाप==
सन [[2000]] में तरुण सागर ने [[दिल्ली]] के लाल किले से अपना प्रवचन दिया। उन्होंने [[हरियाणा]] (2000), [[राजस्थान]] (2001), [[मध्य प्रदेश]] (2002), [[गुजरात]] (2003), [[महाराष्ट्र]] (2004) में भ्रमण किया। इसके बाद में साल [[2006]] में ‘महा मस्तक अभिषेक’ के अवसर पर वे [[कर्नाटक]] के [[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रावणबेलगोला]] में रुके थे। वह पूरे 65 दिन अपने पैरों पर चलकर बेलगांव से सीधे कर्नाटक पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर उन्होंने अपने प्रवचन के माध्यम से हिंसा, भ्रष्टाचार, रुढ़िवाद की कड़ी आलोचना की, जिसकी वजह से उनके प्रवचनों को ‘कटु प्रवचन’ कहा जाने लगा। उन्होंने [[बेंगळूरु]] में चातुर्मास का भी अनुसरण किया था। [[2015]] में फरीदाबाद के सेक्टर 16 में स्थित ‘श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर’ में तरुण सागर मुनि ने चातुर्मास का अनुसरण किया था। 108 श्रावक के जोड़ों ने उनका स्वागत किया था।  
सन [[2000]] में तरुण सागर ने [[दिल्ली]] के लाल किले से अपना प्रवचन दिया। उन्होंने [[हरियाणा]] (2000), [[राजस्थान]] (2001), [[मध्य प्रदेश]] (2002), [[गुजरात]] (2003), [[महाराष्ट्र]] (2004) में भ्रमण किया। इसके बाद में साल [[2006]] में ‘महा मस्तक अभिषेक’ के अवसर पर वे [[कर्नाटक]] के [[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रावणबेलगोला]] में रुके थे। वह पूरे 65 दिन अपने पैरों पर चलकर बेलगांव से सीधे कर्नाटक पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर उन्होंने अपने प्रवचन के माध्यम से हिंसा, भ्रष्टाचार, रुढ़िवाद की कड़ी आलोचना की, जिसकी वजह से उनके प्रवचनों को ‘कटु प्रवचन’ कहा जाने लगा। उन्होंने [[बेंगळूरु]] में चातुर्मास का भी अनुसरण किया था। [[2015]] में फरीदाबाद के सेक्टर 16 में स्थित ‘श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर’ में तरुण सागर मुनि ने चातुर्मास का अनुसरण किया था। 108 श्रावक के जोड़ों ने उनका स्वागत किया था।  
Line 53: Line 53:


तरुण सागर जी के सारे प्रवचन ‘कड़वे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित किये गए हैं। उनके सभी प्रवचन आठ हिस्सों में संकलित किये गए। तरुण सागर की एक खास किताब भी प्रकाशित की गयी है। वह किताब इसीलिए खास है, क्योंकि उस किताब का वजन 2000 किलोग्राम है। उस किताब की लम्बाई 30 फीट और चौड़ाई 24 फीट है। ऐसी बड़ी किताब बहुत ही कम बार देखने को मिलती है।
तरुण सागर जी के सारे प्रवचन ‘कड़वे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित किये गए हैं। उनके सभी प्रवचन आठ हिस्सों में संकलित किये गए। तरुण सागर की एक खास किताब भी प्रकाशित की गयी है। वह किताब इसीलिए खास है, क्योंकि उस किताब का वजन 2000 किलोग्राम है। उस किताब की लम्बाई 30 फीट और चौड़ाई 24 फीट है। ऐसी बड़ी किताब बहुत ही कम बार देखने को मिलती है।
==प्रवचन==
;तुम्हारी वजह से कोई इंसान दु<nowiki>:</nowiki>खी रहे
अगर तुम्हारी वजह से कोई इंसान दु:खी रहे तो समझ लो, ये तुम्हारे लिए सबसे बड़ा पाप है, ऐसे काम करो कि लोग तुम्हारे जाने के बाद दु:खी होकर आसूं बहाएँ, तभी तुम्हें पुण्य मिलेगा।<ref>{{cite web |url=https://hindi.oneindia.com/news/features/everything-you-need-know-about-jain-muni-tarun-sagar/articlecontent-pf57406-384001.html |title= पवन कुमार जैन से कैसे बने मुनि तरुण सागर|accessmonthday=01 सितम्बर|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.oneindia.com |language=हिन्दी }}</ref>
;गुलाब कांटों में भी हंसता है
[[गुलाब]] कांटों में भी हंसता है, इसलिए लोग उसे प्रेम करते हैं, तुम भी ऐसे काम करो कि तुमसे नफरत करने वाले लोग भी तुमसे प्रेम करने पर विवश हो जायें।
;हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं
हंसने का गुण केवल मानवों को मिला है। इसलिए जब भी मौका मिले, मुस्कुराइये, कुत्ता चाहकर भी मुस्कुरा नहीं सकता।
;प्रेम से जीतो
इंसान को आप दिल से जीतो। तभी आप सफल हैं, तलवार के बल पर आप जीत हासिल कर सकते हैं, लेकिन प्यार नहीं पा सकते।
;जो सहता है वो ही रहता है
जो सहता है वो ही रहता है अपने अंदर इंसान को सहनशक्ति पैदा करनी चाहिए क्योंकि जो सहता है वो ही रहता है, जो नहीं सहता वो टूट जाता है।
;किसी को बदल नहीं सकते
[[परिवार]] में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं, लेकिन आप अपने आप को बदल सकते हैं, आप पर आपका पूरा अधिकार है।
;जीवन का सार
पूरी दुनिया को आप चमड़े से ढंक नहीं सकते, लेकिन आप अगर चमड़े के जूते पहनकर चलेंगे तो दुनिया आपके जूतों से ढंक जायेगी, यही जीवन का सार है।
;कन्या भ्रूण हत्या
जिनकी बेटी ना हो, उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो, वहां शादी करनी ही नहीं चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो, उस घर से साधु-संत भिक्षा ना लें।
;राजनीति और धर्म पति-पत्नी
तरुण सागर जी ने कहा था कि राजनीति को हम [[धर्म]] से ही नियंत्रित कर सकते हैं। धर्म पति है, राजनीति पत्नी। हर पति की ये ड्यूटी होती है कि वह अपनी पत्नी को सुरक्षा दे, हर पत्नी का धर्म होता है कि वह पति के अनुशासन को स्वीकार करे। ऐसा ही राजनीति और धर्म केे भी साथ होना चाहिए; क्योंकि बिना अंकुश के हर कोई खुलेे [[हाथी]] की तरह हो जाता है।




Line 59: Line 86:
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://tarunsagarmaharaj.blogspot.com/2011/04/blog-post_14.html तरुण सागर जी महाराज]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{जैन धर्म2}}{{जैन धर्म}}
{{जैन धर्म2}}{{जैन धर्म}}

Revision as of 07:32, 1 September 2018

तरुण सागर
पूरा नाम पवन कुमार जैन (मूल नाम)
अन्य नाम तरुण सागर जी महाराज
जन्म 26 जून, 1967
जन्म भूमि गुहंची गांव, दमोह, मध्य प्रदेश
मृत्यु 1 सितम्बर, 2018
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
अभिभावक पिता- प्रताप चन्द्र जैन, माता- शांतिबाई जैन
कर्म भूमि भारत
प्रसिद्धि जैन अध्यात्मिक गुरु
नागरिकता भारतीय
दीक्षा 20 जुलाई, 1988 (बागीडोरा, राजस्थान)
दीक्षागुरु आचार्य पुष्पदंत सागर
कीर्तिमान
  • आचार्य भगवंत कुन्दकुन्द के पश्चात गत दो हज़ार वर्षो के इतिहास में मात्र 13 वर्ष की आयु में जैन संन्यास धारण करने वाले प्रथम योगी।
  • राष्ट्र के प्रथम मुनि जिन्होंने दिल्ली के लाल क़िले से देश को सम्बोधा।
  • भारत सहित 122 देशों में 'महावीर वाणी' के विश्वव्यापी प्रसारण की ऐतिहासिक शुरुआत करने का प्रथम श्रेय।
मिशन भगवान महावीर और उनके सन्देश "जियो और जीने दो" का विश्वव्यापी प्रचार।

तरुण सागर जी महाराज (अंग्रेज़ी: Tarun Sagar ji Maharaj, जन्म- 26 जून, 1967, मध्य प्रदेश; मृत्यु- 1 सितम्बर, 2018, नई दिल्ली) जैन धर्म के भारतीय दिगम्बर पंथ के प्रसिद्ध मुनि थे। उनका वास्तविक नाम 'पवन कुमार जैन' था। उन्होंने पूरे देश में भ्रमण किया। बचपन से ही तरुण सागर जी का अध्यात्म की और बड़ा झुकाव था। वे अन्य जैन मुनियों से बिलकुल भिन्न थे। उनके प्रवचनों में हमेशा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती थी। उन्हें सुनने के लिए जैन धर्म के लोग तो आते ही थे, लेकिन अन्य धर्म के लोग भी बड़ी संख्या में उनके प्रवचन सुनते थे। तरुण सागर मुनि प्रवचन के माध्यम से रुढ़िवाद, हिंसा और भ्रष्टाचार का काफी विरोध करते थे। इसीलिए उनके प्रवचनों को ‘कड़वे प्रवचन’ कहा जाता है।

परिचय

तरुण सागर मुनि का जन्म 26 जून, 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह में गुहंची गांव में हुआ था। तब उनका नाम पवन कुमार जैन था। उनके पिता का नाम प्रताप चन्द्र जैन और माता का नाम शांतिबाई जैन था। राजस्थान के बागीडोरा के आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें 20 जुलाई, 1988 को दिगंबर मुनि बना दिया। तब वह केवल 20 साल के थे। जीटीवी पर उनके ‘महावीर वाणी’ कार्यक्रम की वजह से वह बहुत ही प्रसिद्ध हुए।[1]

धार्मिक क्रियाकलाप

सन 2000 में तरुण सागर ने दिल्ली के लाल किले से अपना प्रवचन दिया। उन्होंने हरियाणा (2000), राजस्थान (2001), मध्य प्रदेश (2002), गुजरात (2003), महाराष्ट्र (2004) में भ्रमण किया। इसके बाद में साल 2006 में ‘महा मस्तक अभिषेक’ के अवसर पर वे कर्नाटक के श्रावणबेलगोला में रुके थे। वह पूरे 65 दिन अपने पैरों पर चलकर बेलगांव से सीधे कर्नाटक पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर उन्होंने अपने प्रवचन के माध्यम से हिंसा, भ्रष्टाचार, रुढ़िवाद की कड़ी आलोचना की, जिसकी वजह से उनके प्रवचनों को ‘कटु प्रवचन’ कहा जाने लगा। उन्होंने बेंगळूरु में चातुर्मास का भी अनुसरण किया था। 2015 में फरीदाबाद के सेक्टर 16 में स्थित ‘श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर’ में तरुण सागर मुनि ने चातुर्मास का अनुसरण किया था। 108 श्रावक के जोड़ों ने उनका स्वागत किया था।

विधानसभा में प्रवचन

अधिकतर जैन साधू, भिक्षुक राजनीति के नेताओं से दूर ही रहते हैं, लेकिन मुनि तरुण सागर बहुत बार नेताओं से और सरकारी अधिकरियों से एक अतिथि के रूप में मिले। उन्होंने सन 2010 में मध्य प्रदेश विधानसभा और 26 अगस्त, 2016 को हरियाणा विधानसभा में प्रवचन दिया था।

पुरस्कार व सम्मान

तरुण सागर जी महाराज को मध्य प्रदेश (2002), गुजरात (2003), महाराष्ट्र और कर्नाटक में राज्य अतिथि के रूप में घोषित किया गया था। कर्नाटक में उन्हें "क्रान्तिकारी" का शीर्षक दिया गया और सन 2003 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में उन्हें "राष्ट्रसंत" घोषित कर दिया गया।

तरुण सागर जी के सारे प्रवचन ‘कड़वे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित किये गए हैं। उनके सभी प्रवचन आठ हिस्सों में संकलित किये गए। तरुण सागर की एक खास किताब भी प्रकाशित की गयी है। वह किताब इसीलिए खास है, क्योंकि उस किताब का वजन 2000 किलोग्राम है। उस किताब की लम्बाई 30 फीट और चौड़ाई 24 फीट है। ऐसी बड़ी किताब बहुत ही कम बार देखने को मिलती है।

प्रवचन

तुम्हारी वजह से कोई इंसान दु:खी रहे

अगर तुम्हारी वजह से कोई इंसान दु:खी रहे तो समझ लो, ये तुम्हारे लिए सबसे बड़ा पाप है, ऐसे काम करो कि लोग तुम्हारे जाने के बाद दु:खी होकर आसूं बहाएँ, तभी तुम्हें पुण्य मिलेगा।[2]

गुलाब कांटों में भी हंसता है

गुलाब कांटों में भी हंसता है, इसलिए लोग उसे प्रेम करते हैं, तुम भी ऐसे काम करो कि तुमसे नफरत करने वाले लोग भी तुमसे प्रेम करने पर विवश हो जायें।

हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं

हंसने का गुण केवल मानवों को मिला है। इसलिए जब भी मौका मिले, मुस्कुराइये, कुत्ता चाहकर भी मुस्कुरा नहीं सकता।

प्रेम से जीतो

इंसान को आप दिल से जीतो। तभी आप सफल हैं, तलवार के बल पर आप जीत हासिल कर सकते हैं, लेकिन प्यार नहीं पा सकते।

जो सहता है वो ही रहता है

जो सहता है वो ही रहता है अपने अंदर इंसान को सहनशक्ति पैदा करनी चाहिए क्योंकि जो सहता है वो ही रहता है, जो नहीं सहता वो टूट जाता है।

किसी को बदल नहीं सकते

परिवार में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं, लेकिन आप अपने आप को बदल सकते हैं, आप पर आपका पूरा अधिकार है।

जीवन का सार

पूरी दुनिया को आप चमड़े से ढंक नहीं सकते, लेकिन आप अगर चमड़े के जूते पहनकर चलेंगे तो दुनिया आपके जूतों से ढंक जायेगी, यही जीवन का सार है।

कन्या भ्रूण हत्या

जिनकी बेटी ना हो, उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो, वहां शादी करनी ही नहीं चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो, उस घर से साधु-संत भिक्षा ना लें।

राजनीति और धर्म पति-पत्नी

तरुण सागर जी ने कहा था कि राजनीति को हम धर्म से ही नियंत्रित कर सकते हैं। धर्म पति है, राजनीति पत्नी। हर पति की ये ड्यूटी होती है कि वह अपनी पत्नी को सुरक्षा दे, हर पत्नी का धर्म होता है कि वह पति के अनुशासन को स्वीकार करे। ऐसा ही राजनीति और धर्म केे भी साथ होना चाहिए; क्योंकि बिना अंकुश के हर कोई खुलेे हाथी की तरह हो जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज (हिंदी) gyanipandit.com। अभिगमन तिथि: 01 सितम्बर, 2018।
  2. पवन कुमार जैन से कैसे बने मुनि तरुण सागर (हिन्दी) hindi.oneindia.com। अभिगमन तिथि: 01 सितम्बर, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख