लालजी टंडन: Difference between revisions

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*[https://www.punjabkesari.in/national/news/who-are-you-lal-g-tandon-how-did-you-decide-to-go-to-raj-bhawan-859945 जानिए कौन हैं लालजी टंडन]
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==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 10:35, 26 November 2020

लालजी टंडन
पूरा नाम लालजी टंडन
जन्म 12 अप्रॅल, 1935
जन्म भूमि लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 21 जुलाई, 2020
मृत्यु स्थान लखनऊ, उत्तर प्रदेश
पति/पत्नी कृष्णा टंडन
संतान तीन पुत्र (आशुतोष टंडन सहित)
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद पूर्व राज्यपाल, मध्य प्रदेश - 29 जुलाई, 2019-30 जून, 2020

भूतपूर्व राज्यपाल, बिहार - 23 अगस्त, 2018-28 जुलाई, 2019

शिक्षा स्नातक
विद्यालय कालीचरण डिग्री कॉलेज, लखनऊ
अन्य जानकारी लालजी टंडन का राजनीतिक सफर 1960 से शुरू हुआ था। वे 2 बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद लगातार तीन बार विधायक भी रहे।

लालजी टंडन (अंग्रेज़ी: Lalji Tandon, जन्म- 12 अप्रॅल, 1935; मृत्यु- 21 जुलाई, 2020) भारत के प्रसिद्ध तथा वरिष्ठ राजनीतिज्ञों में से एक थे। वह लखनऊ से 15वीं लोक सभा (2009-2015) के सदस्य रहे। मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने वाले लालजी टंडन प्रदेश की भाजपा सरकारों में मंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी के वह निकट सहयोगी थे। लालजी टंडन ने अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव क्षेत्र लखनऊ की कमान संभाली थी।

परिचय

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रॅल, 1935 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध (आरएसएस) से जुड़ गए थे। उन्होंने स्नातक की डिग्री कालीचरण डिग्री कॉलेज, लखनऊ से प्राप्त की थी। 26 फ़रवरी, 1958 को उनका विवाह में कृष्णा टंडन के साथ हुआ। लालजी टंडन के तीन बेटे हैं। एक बेटा गोपालजी टंडन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री है।

राजनीतिक शुरुआत

वह 12 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाया करते थे। संघ से जुड़ाव के चलते ही उनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। बाद में जब अटलजी ने लखनऊ की सीट छोड़ी तो बतौर विरासत लालजी टंडन को यह सीट सौंपी गई। 2009 में लालजी टंडन ने लोकसभा चुनाव जीता और लखनऊ के सांसद बने। लालजी टंडन का राजनीतिक सफर 1960 से शुरू हुआ था। वे 2 बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद लगातार तीन बार विधायक भी रहे। वे कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे थे। साथ ही यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।

अटल जी से निकटता

संघ से जुड़ने के दौरान ही लालजी टंडन की मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। धीरे-धीरे वह अटलजी के बहुत करीब आ गए। लालजी टंडन खुद कहते थे कि- अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक कॅरियर 1960 से शुरू हो गया था। वह दो बार सभासद चुने गए। दो बार विधान परिषद के सदस्य बने। वह इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जे.पी. आंदोलन से जुड़े और यहीं से उनके राजनीतिक सफर को उड़ान मिली।[1]

मायावती से करीबी रिश्ते

90 के दशक में उत्तर प्रदेश में बनी भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकार में लालजी टंडन का अहम रोल था। बताया जाता है कि मायावती लालजी टंडन को राखी बांधती थीं और इसी के चलते उन्होंने लालजी टंडन की बात मानकर बीजेपी से गठबंधन किया। 1978 से 1984 तक और फिर 1990 से 1996 तक लालजी टंडन दो बार यूपी विधानपरिषद के सदस्य रहे। 1991 में वह यूपी के मंत्री पद पर भी रहे।

लखनऊ से विधायक

1996 से 2009 तक लगातार तीन बार लालजी टंडन विधायक का चुनाव जीते। 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे। 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद लखनऊ की लोकसभा सीट खाली हुई तो लालजी टंडन ने यहां से चुनाव लड़ा। 2018 में उन्हें उन्हें बिहार का राज्यपाल और फिर बाद में मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।

मृत्यु

लालजी टंडन का निधन 21 जुलाई, 2020 को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में हुआ। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया- "लालजी टंडन समाज के लिए किए अपने कामों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वे एक कुशल प्रशासक थे। कानूनों मामलों की उन्हें गहरी समझ थी। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ वे लंबे समय तक और करीब से जुड़े रहे। दु:ख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं"।[2]

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि- "लालजी टंडन का राजनीति में जितना ऊंचा कद था, उतना ही वे लखनऊ में सांस्कृतिक रूप से भी सक्रिय थे"।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि- "मध्य प्रदेश के माननीय राज्यपाल रहे श्री लालजी टंडन जी के निधन की खबर सुनकर शोक हुआ। उनके निधन से देश ने एक लोकप्रिय जननेता, योग्य प्रशासक एवं प्रखर समाज सेवी को खोया है। वे लखनऊ के प्राण थे। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना करता हूँ। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं"।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लालजी टंडन की अनकही दास्तां... (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2020।
  2. लालजी टंडन का 85 साल की उम्र में निधन (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

पंद्रहवीं लोकसभा सांसद
  1. पुनर्प्रेषित साँचा:राज्यपाल, उपराज्यपाल व प्रशासक