भीतरगाँव कानपुर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 15: Line 15:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*<span>पुस्तक ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 670-671 | '''विजयेन्द्र कुमार माथुर''' | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, [[भारत]] सरकार</span>
*<span>पुस्तक ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 670-671 | '''विजयेन्द्र कुमार माथुर''' | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, [[भारत]] सरकार</span>
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

Revision as of 10:15, 15 January 2011

भीतरगाँव, कानपुर से लगभग 20 मील दूर स्थित है। इस स्थान पर ईंटों के बने हुए एक गुप्तकालीन मन्दिर के अवशेष हैं।

गुप्तकालीन मन्दिर

यह मन्दिर कनिंघम के अनुसार [1] सातवीं-आठवीं शती ई. का है, किन्तु वोगल ने प्रमाणित किया है कि यह इससे कम से कम तीन सौ वर्ष अधिक प्राचीन है [2] सम्भवतः यह भारत का प्राचीनतम मन्दिर है। यह पक्की ईंटों का बना हुआ है। इसका विवरण इस प्रकार से है।

विवरण

एक वर्गाकार स्थान पर यह मन्दिर बना हुआ है। वर्ग के कोने, एक छोड़कर एक, इस प्रकार से बने हैं और मध्य में 15 वर्ग फुट वर्ग का एक गर्भगृह तथा उसके साथ एक 7 फुट वर्ग का मण्डप है। दोनों के बीच एक मार्ग है। गर्भगृह के ऊपर एक वेश्म है जिसका क्षेत्र नीचे के कक्ष से लगभग आधा है। 1850 ई. में ऊपरी भाग की छत बिजली गिरने से नष्ट हो गई थी। स्थूल दीवारों के बाह्य भाग पर आयताकार घेरों में सुन्दर मूर्तिकारी अंकन है। ये मूर्तियाँ पकी हुई मिट्टी की बनी हैं। मन्दिर में अनेक सुन्दर अलंकरणों का प्रदर्शन किया गया है। कसिया के निर्वाण मन्दिर की कुर्सी के पूर्वी भाग पर भी इसी प्रकार का अलंकरण है। जिससे इन दोनों संरचनाओं की समकालीनता सूचित होती है। श्री राखालदास बनर्जी के मत में इस मन्दिर के शिखर में महराबों की पंक्तियाँ बनी हुई हैं। जो चैत्यवातायनों से भिन्न है। मन्दिर की कुर्सी के ऊपर उभरी हुई पट्टियाँ नहीं हैं, जिससे नचना-कुठारा तथा भुमरा के मन्दिरों की वास्तुकला से भीतरगाँव की कला भिन्न जान पड़ती है। मन्दिर का शिखर वास्तविक शिखर है तथा 40 फुट के क़रीब ऊँचा है। भीतरगाँव का मन्दिर, गुप्त वास्तुकला का अनुपम उदाहरण माना जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 670-671 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
  1. (आर्कियो लोज़िकल सर्वे रिपोर्ट जिल्द 11, पृ0 40-46)
  2. (आर्कियों लोज़िकल सर्वे रिपोर्ट 1908-1909 पृ0 9)।

संबंधित लेख