प्राण: Difference between revisions

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*[http://www.livehindustan.com/news/entertainment/entertainmentnews/28-28-158177.html नहीं भूले हैं लोग प्राण की संवाद अदायगी]
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==संबंधित लेख==
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thumb|प्राण प्राण, हिन्दी फिल्मों के जाने माने नायक, खलनायक और चरित्र अभिनेता हैं। प्राण ऐसे अभिनेता हैं जिनके चेहरे पर हमेशा मेकअप रहता है और भावनाओं का तूफान नज़र आता है जो अपने हर किरदार में जान डालते हुए यह अहसास करा जाता है कि उसके बिना यह किरदार बेकार हो जाता। उनकी संवाद अदायगी की शैली को आज भी लोग भूले नहीं हैं।

आरंभिक जीवन

प्राण साहब का जन्म 12 फ़रवरी, 1920 को दिल्ली में हुआ। प्राण की शुरूआती फ़िल्में हों या बाद की फ़िल्में उन्होंने अपने आप को कभी दोहराया नहीं। उन्होंने अपने हर किरदार के साथ पूरी ईमानदारी से न्याय किया। फिर चाहे भूमिका छोटी हो या बडी उन्होंने समानता ही रखी। प्राण को सबसे बडी सफलता 1956 में हलाकू फ़िल्म से मिली जिसमें उन्होंने डकैत हलाकू का सशक्त किरदार निभाया था। प्राण ने राज कपूर निर्मित निर्देशित जिस देश में गंगा बहती है में राका डाकू की भूमिका निभाई थी जिसमें उन्होंने केवल अपनी आँखों से ही क्रूरता जाहिर कर दी थी। कभी ऐसा वक्त भी था जब हर फिल्म में प्राण नजर आते थे खलनायक के रूप में। उनके इस रूप को परिवर्तित किया था भारत कुमार यानी मनोज कुमार ने जिन्होंने अपनी निर्मित निर्देशित पहली फिल्म उपकार में उन्हें मलंग बाबा का रोल दिया। जिसमें वे अपाहिज की भूमिका में थे भूमिका कुछ छोटी जरूर थी लेकिन थी बहुत दमदार। [1]

यादगार फ़िल्में

पत्थर के सनम, तुमसा नहीं देखा, बड़ी बहन, मुनीम जी, गंवार, गोपी, हमजोली, दस नंबरी, अमर अकबर एंथनी, दोस्ताना, कर्ज, अंधा कानून, पाप की दुनिया, मत्युदाता करीब 350 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय के अलग-अलग रंग बिखेरने वाले प्राण कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं और उनकी अपनी एक फुटबॉल टीम बॉम्बे डायनेमस फुटबॉल क्लब भी है।

सम्मान

हिंदी सिनेमा को उनके योगदान के लिए 2001 में उन्हें भारत सरकार के पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संवाद अदायगी के गुरू रहे हैं प्राण (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) खास खबर। अभिगमन तिथि: 12 फ़रवरी, 2011

बाहरी कड़ियाँ

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