मदर टेरेसा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 4: | Line 4: | ||
|पूरा नाम=एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ | |पूरा नाम=एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ | ||
|अन्य नाम=मदर टेरेसा | |अन्य नाम=मदर टेरेसा | ||
|जन्म=[[26 अगस्त]] | |जन्म=[[26 अगस्त]] 1910 | ||
|जन्म भूमि=यूगोस्लाविया | |जन्म भूमि=यूगोस्लाविया | ||
|मृत्यु=[[5 सितंबर]] | |मृत्यु=[[5 सितंबर]] 1997 | ||
|मृत्यु स्थान=[[कलकत्ता]] | |मृत्यु स्थान=[[कलकत्ता]] | ||
|अविभावक= | |अविभावक=निकोला बोयाजू | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान= | |संतान= | ||
Line 20: | Line 20: | ||
|शिक्षा= | |शिक्षा= | ||
|विद्यालय= | |विद्यालय= | ||
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्मश्री]] | |पुरस्कार-उपाधि=[[पद्मश्री]], [[नोबेल पुरस्कार]], [[भारत रत्न]] में, मेडल आफ़ फ्रीडम प्रमुख हैं। | ||
|प्रसिद्धि= | |प्रसिद्धि= | ||
|विशेष योगदान= | |विशेष योगदान= | ||
Line 41: | Line 41: | ||
करुणा और सेवा की साकार मूर्ति मदर टेरेसा (जन्म 26 अगस्त 1910 - मृत्यु 5 सितंबर 1997) ने जिस आत्मीयता से [[भारत]] के दीन-दुखियों की सेवा की है, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। | करुणा और सेवा की साकार मूर्ति मदर टेरेसा (जन्म- [[26 अगस्त]], 1910 यूगोस्लाविया- मृत्यु- [[5 सितंबर]] 1997 [[कोलकाता]]) ने जिस आत्मीयता से [[भारत]] के दीन-दुखियों की सेवा की है, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को 'यूगोस्लाविया' में हुआ। उनका वास्तविक नाम है- '''एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ'''। | मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को 'यूगोस्लाविया' में हुआ। उनका वास्तविक नाम है- '''एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ'''। मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू था तथा वह एक साधारण व्यवसायी थे। एक रोमन कैथोलिक संगठन की वे सक्रिय सदस्य थीं और 12 वर्ष की अल्पायु में ही उनके हृदय में विराट करुणा का बीज अंकुरित हो उठा था। | ||
==भारत आगमन== | ==भारत आगमन== | ||
वे 1929 में यूगोस्लाविया से [[भारत]] आईं और | वे 1929 में यूगोस्लाविया से [[भारत]] आईं और कोलकाता को केन्द्र मानकर उन्होंने अपनी गतिविधियाँ शुरू कीं। तभी से अधिक आयु होने पर भी अपनी हज़ारों स्वयं सेविकाओं के साथ अनाथ, अनाश्रित एवं पीड़ितों के उद्धार कार्य में अथक रूप से लगी हुई थीं। मदर टेरेसा को पीड़ित मानवता की सेवा के लिए विश्व के अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें [[पद्मश्री]] 1962, [[नोबेल पुरस्कार]] 1979, भारत का सर्वोच्च पुरस्कार '[[भारत रत्न]]' 1980 में, मेडल आफ़ फ्रीडम 1985 प्रमुख हैं। | ||
==ईसाई मिशनरी== | ==ईसाई मिशनरी== | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
Line 56: | Line 56: | ||
==भारत रत्न== | ==भारत रत्न== | ||
1980 में मदर टेरेसा को उनके द्वारा किये गये कार्यों के कारण भारत सरकार ने "भारत रत्न" से विभूषित किया। | 1980 में मदर टेरेसा को उनके द्वारा किये गये कार्यों के कारण भारत सरकार ने "भारत रत्न" से विभूषित किया। | ||
==मृत्यु== | |||
मदर टेरेसा की मृत्यु कोलकाता में [[5 सितम्बर]], 1997 को हुई थी। | |||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
Line 78: | Line 80: | ||
[[Category:रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]] | [[Category:रेमन मैग्सेसे पुरस्कार]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Revision as of 09:49, 2 October 2011
मदर टेरेसा
| |
पूरा नाम | एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ |
अन्य नाम | मदर टेरेसा |
जन्म | 26 अगस्त 1910 |
जन्म भूमि | यूगोस्लाविया |
मृत्यु | 5 सितंबर 1997 |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता |
कर्म-क्षेत्र | मानवतावादी और समाजवादी |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री, नोबेल पुरस्कार, भारत रत्न में, मेडल आफ़ फ्रीडम प्रमुख हैं। |
करुणा और सेवा की साकार मूर्ति मदर टेरेसा (जन्म- 26 अगस्त, 1910 यूगोस्लाविया- मृत्यु- 5 सितंबर 1997 कोलकाता) ने जिस आत्मीयता से भारत के दीन-दुखियों की सेवा की है, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।
जीवन परिचय
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को 'यूगोस्लाविया' में हुआ। उनका वास्तविक नाम है- एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ। मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू था तथा वह एक साधारण व्यवसायी थे। एक रोमन कैथोलिक संगठन की वे सक्रिय सदस्य थीं और 12 वर्ष की अल्पायु में ही उनके हृदय में विराट करुणा का बीज अंकुरित हो उठा था।
भारत आगमन
वे 1929 में यूगोस्लाविया से भारत आईं और कोलकाता को केन्द्र मानकर उन्होंने अपनी गतिविधियाँ शुरू कीं। तभी से अधिक आयु होने पर भी अपनी हज़ारों स्वयं सेविकाओं के साथ अनाथ, अनाश्रित एवं पीड़ितों के उद्धार कार्य में अथक रूप से लगी हुई थीं। मदर टेरेसा को पीड़ित मानवता की सेवा के लिए विश्व के अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें पद्मश्री 1962, नोबेल पुरस्कार 1979, भारत का सर्वोच्च पुरस्कार 'भारत रत्न' 1980 में, मेडल आफ़ फ्रीडम 1985 प्रमुख हैं।
ईसाई मिशनरी
1925 में यूगोस्लाविया के ईसाई मिशनरियों का एक दल सेवाकार्य हेतु भारत आया और यहाँ की निर्धनता तथा कष्टों के बारे में एक पत्र, सहायतार्थ, अपने देश भेजा। इस पत्र को पढ़कर एग्नेस भारत में सेवाकार्य को आतुर हो उठीं और 19 वर्ष की आयु में भारत आ गईं।
मिशनरीज़ की स्थापना
मदर टेरेसा कॅथोलिक नन थीं। समाजसेवा के लिए उन्होंने मिशनरीज़ की स्थापना की।
समाजसेवा का व्रत
मदर टेरेसा जब भारत आईं तो उन्होंने यहाँ बेसहारा और विकलांग बच्चों तथा सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आँखों से देखा और फिर वे भारत से मुँह मोड़ने का साहस नहीं कर सकीं। वे यहीं पर रुक गईं और जनसेवा का व्रत ले लिया, जिसका वे अनवरत पालन कर रही हैं। मदर टेरेसा ने भ्रूण हत्या के विरोध में सारे विश्व में अपना रोष दर्शाते हुए अनाथ एवं अवैध संतानों को अपनाकर मातृत्व-सुख प्रदान किया है। उन्होंने फुटपाथों पर पड़े हुए रोत-सिसकते रोगी अथवा मरणासन्न असहाय व्यक्तियों को उठाया और अपने सेवा केन्द्रों में उनका उपचार कर स्वस्थ बनाया, या कम से कम उनके अन्तिम समय को शान्तिपूर्ण बना दिया। दुखी मानवता की सेवा ही उनके जीवन का व्रत है।
भारत रत्न
1980 में मदर टेरेसा को उनके द्वारा किये गये कार्यों के कारण भारत सरकार ने "भारत रत्न" से विभूषित किया।
मृत्यु
मदर टेरेसा की मृत्यु कोलकाता में 5 सितम्बर, 1997 को हुई थी।
|
|
|
|
|
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख