गुरु रामदास: Difference between revisions
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* गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरु हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट [[अकबर]] भी उनका सम्मान करता था। | * गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरु हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट [[अकबर]] भी उनका सम्मान करता था। |
Revision as of 12:25, 17 November 2011
thumb|200px|गुरु रामदास सिक्खों के चौथे गुरु रामदास 1574 में गद्दी पर बैठे और 1581 ई. तक उन्होंने गुरु की गद्दी संभाली। वे तीसरे गुरु अमरदास के दामाद थे। उन्होंने 1577 ई. में अमृतसर नगर की स्थापना की और 'अमृतसर' तथा 'सतोषसर' नामक दो पवित्र सरोवरों की खुदाई आरंभ कराई।
- गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरु हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट अकबर भी उनका सम्मान करता था।
- गुरु रामदास के कहने पर अकबर ने एक वर्ष पंजाब से लगान नहीं लिया। इस कारण गुरु की गद्दी को लोगों से पर्याप्त धन प्राप्त हो गया था।
- गुरु रामदास के बाद गुरु की गद्दी वंश-परंपरा में चलने लगी। उन्होंने अपने पुत्र अर्जुन देव को अपने बाद गुरु नियुक्त किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 234।
बाहरी कड़ियाँ
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