ख़ालसा पंथ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''खालसा का अर्थ है शुद्ध''', खालसा शब्द [[फ़ारसी भाषा|फ़...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 10: Line 10:
;खालसा पंथ की स्थापना  
;खालसा पंथ की स्थापना  
योद्धा संघ के रूप में खालसा बिरादरी की स्थापना [[गुरु गोविंद सिंह]] ने 1699 में [[आनंदपुर]], [[पंजाब]] में की थी, तब [[मुग़ल]] शासनकाल में सिक्खों पर अत्याचार हो रहे थे। कुछ ही दिनों में लगभग 80000 लोगों को नए पंथ में शामिल कर लिया गया, जल्दी ही इस पंथ ने [[सिक्ख धर्म]] के भीतर नेतृत्व की कमान संभाल ली, जो सिक्ख इस पंथ में शामिल नहीं हुए और हजामत बनवाते रहे, उन्हें सहजधारी<ref> ग्रहण करने में धीमे</ref> कहा जाने लगा; खालसा और सहजधारियों के बीच विभेद आज भी बरकरार हैं।
योद्धा संघ के रूप में खालसा बिरादरी की स्थापना [[गुरु गोविंद सिंह]] ने 1699 में [[आनंदपुर]], [[पंजाब]] में की थी, तब [[मुग़ल]] शासनकाल में सिक्खों पर अत्याचार हो रहे थे। कुछ ही दिनों में लगभग 80000 लोगों को नए पंथ में शामिल कर लिया गया, जल्दी ही इस पंथ ने [[सिक्ख धर्म]] के भीतर नेतृत्व की कमान संभाल ली, जो सिक्ख इस पंथ में शामिल नहीं हुए और हजामत बनवाते रहे, उन्हें सहजधारी<ref> ग्रहण करने में धीमे</ref> कहा जाने लगा; खालसा और सहजधारियों के बीच विभेद आज भी बरकरार हैं।
 
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
 
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Revision as of 06:20, 9 August 2012

खालसा का अर्थ है शुद्ध, खालसा शब्द फ़ारसी शब्द ख़ालिस से उत्पन्न है। खालसा सिक्ख धर्म का प्रधान पंथ है, यौवनारंभ आयु में पहुँचने पर अधिकांश सिक्ख लड़कों और लडकियों को खालसा पंथ में दीक्षित किया जाता है। पाहुलू नामक यह समारोह खालसा के पाँच सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो भजनों के उच्चारण के साथ-साथ कृपाण की मदद से पानी में शक्कर मिलाते हैं। दीक्षा प्राप्त करने वाले एक ही प्याले से इस पेय को पीते हैं, जो जाति भेद की समाप्ति को दर्शाता है। लड़कों को सिंह और लड़कियों को कौर उपनाम प्रदान किया जाता है।

दीक्षा

पुरूष दीक्षितों को पाँच ककार धारण करने की शपथ लेनी पड़ती है। जो 'खालसा पंथ' के प्रतीक हैं-

  1. केश
  2. कंघा
  3. कच्छा
  4. कड़ा
  5. कृपाण
  • साथ ही वे तंबाकू या शराब का सेवन न करने की भी शपथ लेते हैं।
खालसा पंथ की स्थापना

योद्धा संघ के रूप में खालसा बिरादरी की स्थापना गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में आनंदपुर, पंजाब में की थी, तब मुग़ल शासनकाल में सिक्खों पर अत्याचार हो रहे थे। कुछ ही दिनों में लगभग 80000 लोगों को नए पंथ में शामिल कर लिया गया, जल्दी ही इस पंथ ने सिक्ख धर्म के भीतर नेतृत्व की कमान संभाल ली, जो सिक्ख इस पंथ में शामिल नहीं हुए और हजामत बनवाते रहे, उन्हें सहजधारी[1] कहा जाने लगा; खालसा और सहजधारियों के बीच विभेद आज भी बरकरार हैं।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ग्रहण करने में धीमे

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख