करगा नृत्य: Difference between revisions

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*इस नृत्य में नर्तक रंगीन [[ताँबा|ताँबे]] के सुसज्जित बर्तनों को सिर पर रखकर अत्यन्त संतुलित रूप से नृत्य को सम्पादित करते हैं।
*करगा नृत्य का सम्बन्ध [[महाभारत]] की उस कथा से है, जब [[पाण्डव]] [[द्रौपदी]] सहित स्वर्ग की ओर जा रहे थे।
*करगा नृत्य का सम्बन्ध [[महाभारत]] की उस कथा से है, जब [[पाण्डव]] [[द्रौपदी]] सहित स्वर्ग की ओर जा रहे थे।
*मार्ग में द्रोपदी बेहोश हो गई, और जब उसे होश आया तो पाण्डव वहाँ नहीं थे। इसी बीच तिमिरासुर नामक एक [[दैत्य]] ने उस पर आक्रमण कर दिया। तब द्रोपदी ने सिर पर कुम्भ रखकर विराट रूप धारण किया और उस असुर का वध किया। यह कुम्भ ही करगा नृत्य का महत्वपूर्ण अंग है।
*मार्ग में द्रोपदी बेहोश हो गई, और जब उसे होश आया तो पाण्डव वहाँ नहीं थे। इसी बीच तिमिरासुर नामक एक [[दैत्य]] ने उस पर आक्रमण कर दिया। तब द्रोपदी ने सिर पर कुम्भ रखकर विराट रूप धारण किया और उस असुर का वध किया। यह कुम्भ ही करगा नृत्य का महत्त्वपूर्ण अंग है।
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Latest revision as of 08:00, 1 August 2013

करगा नृत्य एक प्रकार का धार्मिक नृत्य है, जो कर्नाटक के कोलार, बंगलौर, तुमकुर और मैसूर जनपदों में प्रचलित है।

  • इस नृत्य में नर्तक रंगीन ताँबे के सुसज्जित बर्तनों को सिर पर रखकर अत्यन्त संतुलित रूप से नृत्य को सम्पादित करते हैं।
  • करगा नृत्य का सम्बन्ध महाभारत की उस कथा से है, जब पाण्डव द्रौपदी सहित स्वर्ग की ओर जा रहे थे।
  • मार्ग में द्रोपदी बेहोश हो गई, और जब उसे होश आया तो पाण्डव वहाँ नहीं थे। इसी बीच तिमिरासुर नामक एक दैत्य ने उस पर आक्रमण कर दिया। तब द्रोपदी ने सिर पर कुम्भ रखकर विराट रूप धारण किया और उस असुर का वध किया। यह कुम्भ ही करगा नृत्य का महत्त्वपूर्ण अंग है।
  • यह नृत्य क्षत्रिय समुदाय के लोगों द्वारा सम्पादित किया जाता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कर्नाटक के लोक नृत्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 17 अक्टूबर, 2012।

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