User:रविन्द्र प्रसाद/1: Difference between revisions

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+श्याम
+श्याम
||[[चित्र:Yudhishthir-Birla-mandir.jpg|right|100px|युधिष्ठिर]]'युधिष्ठिर' [[पाण्डु]] के पुत्र और पांच [[पाण्डव|पाण्डवों]] में से सबसे बड़े भाई थे। [[महाभारत]] के नायकों में समुज्ज्वल चरित्र वाले ज्येष्ठ पाण्डव थे। [[युधिष्ठिर]] [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]] के पुत्र थे। वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात हैं। अनेकानेक [[धर्म]] सम्बन्धी प्रश्न एवं उनके उत्तर युधिष्ठिर के मुख से महाभारत में कहलाये गये हैं। '[[शान्तिपर्व महाभारत|शान्तिपर्व]]' में सम्पूर्ण समाजनीति, राजनीति तथा धर्मनीति युधिष्ठिर और [[भीष्म]] के संवाद के रूप में प्रस्तुत की गयी है। युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे। वे कभी मिथ्या नहीं बोलते थे। उनके [[पिता]] ने [[यक्ष]] बन कर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी। महाभारत युद्ध में धर्मराज युधिष्ठिर सात [[अक्षौहिणी|अक्षौहिणी सेना]] के स्वामी होकर [[कौरव|कौरवों]] के साथ युद्ध करने को तैयार हुए थे, जबकि परम क्रोधी [[दुर्योधन]] ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[युधिष्ठर]], [[अश्वमेध यज्ञ]]
||[[चित्र:Yudhishthir-Birla-mandir.jpg|right|100px|युधिष्ठिर]]'युधिष्ठिर' [[पाण्डु]] के पुत्र और पांच [[पाण्डव|पाण्डवों]] में से सबसे बड़े भाई थे। [[महाभारत]] के नायकों में समुज्ज्वल चरित्र वाले ज्येष्ठ पाण्डव थे। [[युधिष्ठिर]] [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]] के पुत्र थे। वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात हैं। अनेकानेक [[धर्म]] सम्बन्धी प्रश्न एवं उनके उत्तर युधिष्ठिर के मुख से महाभारत में कहलाये गये हैं। '[[शान्तिपर्व महाभारत|शान्तिपर्व]]' में सम्पूर्ण समाजनीति, राजनीति तथा धर्मनीति युधिष्ठिर और [[भीष्म]] के संवाद के रूप में प्रस्तुत की गयी है। युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे। वे कभी मिथ्या नहीं बोलते थे। उनके [[पिता]] ने [[यक्ष]] बन कर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी। महाभारत युद्ध में धर्मराज युधिष्ठिर सात [[अक्षौहिणी|अक्षौहिणी सेना]] के स्वामी होकर [[कौरव|कौरवों]] के साथ युद्ध करने को तैयार हुए थे, जबकि परम क्रोधी [[दुर्योधन]] ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[युधिष्ठर]], [[अश्वमेध यज्ञ]]
{[[शकुनि]] के [[पिता]] का नाम क्या था?(भारतकोश)
|type="()"}
+[[सुबल]]
-[[तन्तिपाल]]
-[[अंजनपर्वा]]
-[[विराट]]
||'सुबल' [[गान्धार|गान्धार देश]] के राजा थे। सौ [[कौरव|कौरवों]] की माता [[गान्धारी]] राजा [[सुबल]] की पुत्री थीं और [[शकुनि]] पुत्र थे, जिन्होंने पग-पग पर [[दुर्योधन]] को बहकाने का कार्य किया। सुबल तपोबल की कुछ महिमाएँ और मायावी विद्या का भी ज्ञान रखते थे। उन्होंने अपनी मृत्यु के पहले शकुनि को समझाया कि वह उनकी अस्थियों से पांसे बनाकर उनके द्वारा दुर्योधन से प्रतिकार करे। उन पांसों की यह विशेषता होगी कि जिस अंक की कामना से वह पांसा फेंका जायेगा, वही अंक प्रत्यक्ष हो जायेगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुबल]]


{[[दुर्योधन]] की मृत्यु [[भीम]] के साथ [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध के कारण हुई। उसकी मृत्यु के समय उसके पास कौन-कौन खड़े थे?(144, 894)
{[[दुर्योधन]] की मृत्यु [[भीम]] के साथ [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध के कारण हुई। उसकी मृत्यु के समय उसके पास कौन-कौन खड़े थे?(144, 894)
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-[[बलराम]]
-[[बलराम]]
||[[चित्र:Dhritarasthra-Gandhari.jpg|right|100px|धृतराष्ट्र तथा गान्धारी]][[महाभारत]] युद्ध के अंतिम दिन तक सभी [[कौरव]] मारे गये, केवल [[दुर्योधन]] ही अब तक जीवित बचा हुआ था। ऐसे में [[गांधारी]] ने अपनी आँखों की पट्टी खोलकर दुर्योधन के शरीर को वज्र का करना चाहा। गांधारी ने भगवान [[शिव]] से यह वरदान पाया था कि वह जिस किसी को भी अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर नग्नावस्था में देखेगी, उसका शरीर वज्र का हो जायेगा। इसीलिए गांधारी ने दुर्योधन से कहा कि वह [[गंगा]] में [[स्नान]] करने के पश्चात उसके सामने नग्न अवस्था में उपस्थित हो। जब दुर्योधन गंगा स्नान के बाद नग्न अवस्था में गांधारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए आ रहा था, तभी मार्ग में [[श्रीकृष्ण]] उसे मिल गये और उन्होंने दुर्योधन को बहका दिया, जिस कारण उसने अपनी जाँघों पर पत्ते बाँध लिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गांधारी]], [[दुर्योधन]]
||[[चित्र:Dhritarasthra-Gandhari.jpg|right|100px|धृतराष्ट्र तथा गान्धारी]][[महाभारत]] युद्ध के अंतिम दिन तक सभी [[कौरव]] मारे गये, केवल [[दुर्योधन]] ही अब तक जीवित बचा हुआ था। ऐसे में [[गांधारी]] ने अपनी आँखों की पट्टी खोलकर दुर्योधन के शरीर को वज्र का करना चाहा। गांधारी ने भगवान [[शिव]] से यह वरदान पाया था कि वह जिस किसी को भी अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर नग्नावस्था में देखेगी, उसका शरीर वज्र का हो जायेगा। इसीलिए गांधारी ने दुर्योधन से कहा कि वह [[गंगा]] में [[स्नान]] करने के पश्चात उसके सामने नग्न अवस्था में उपस्थित हो। जब दुर्योधन गंगा स्नान के बाद नग्न अवस्था में गांधारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए आ रहा था, तभी मार्ग में [[श्रीकृष्ण]] उसे मिल गये और उन्होंने दुर्योधन को बहका दिया, जिस कारण उसने अपनी जाँघों पर पत्ते बाँध लिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गांधारी]], [[दुर्योधन]]
{निम्न में से किस [[ऋषि]] की पत्नी का नाम 'रेणुका' था?
|type="()"}
-[[अगस्त्य]]
+[[जमदग्नि]]
-[[कश्यप]]
-[[अत्रि]]
||'जमदग्नि' एक परम तेजस्वी [[ऋषि]], जो 'भृगुवंशी' ऋचीक के पुत्र थे तथा जिनकी गणना 'सप्तऋषियों' में होती है। इनकी पत्नी [[प्रसेनजित|राजा प्रसेनजित]] की पुत्री '[[रेणुका]]' थीं। भृगु वंशीय [[जमदग्नि]] के पुत्र [[परशुराम]] थे, जिन्हें भगवान [[विष्णु]] का [[अवतार]] माना जाता है। जमदग्नि की पत्नी रेणुका जब एक [[गन्धर्व]] पर आसक्त हो गईं, तब वे अपने पुत्रों को रेणुका का वध करने का आदेश देते हैं। परशुराम अपनी [[माता]] का सिर काट देते हैं, किंतु बाद में [[पिता]] से कहते हैं कि वह माता रेणुका को क्षमा करके पुन: उनकी चेतना लौटा दें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जमदग्नि]]


{निम्नलिखित में से किसने [[बर्बरीक]] से उसके सिर का दान माँगा था?(भारतकोश)
{निम्नलिखित में से किसने [[बर्बरीक]] से उसके सिर का दान माँगा था?(भारतकोश)
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-[[दुर्गा|देवी दुर्गा]]
-[[दुर्गा|देवी दुर्गा]]
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|कृष्ण-अर्जुन]]'बर्बरीक' [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] और नाग कन्या अहिलवती के पुत्र थे। [[महाभारत]] का युद्ध अपरिहार्य हो जाने पर [[बर्बरीक]] में भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जाग्रत हुई। जब वे अपनी माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने पहुँचे तो माँ को हारे हुये पक्ष का साथ देने का वचन दिया। [[श्रीकृष्ण]] पहले से ही जानते थे कि युद्ध में [[कौरव|कौरवों]] की पराजय होनी है, इसीलिए वह [[ब्राह्मण]] का रूप धारण कर बर्बरीक के पास आये। कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि- "वह युद्ध में किस ओर से सम्मिलित होगा"। बर्बरीक ने कहा कि- "युद्ध में वह उस ओर से भाग लेगा, जो कि निर्बल हो और हार की ओर अग्रसर हो"। इस पर ब्राह्मण वेशधारी कृष्ण ने बर्बरीक से दान की अभिलाषा व्यक्त की। वीर बर्बरीक ने उन्हें वचन दिया कि अगर वो उनकी अभिलाषा पूर्ण करने में समर्थ होगा तो अवश्य करेगा। कृष्ण ने उनसे शीश का दान माँगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीकृष्ण]], [[बर्बरीक]]
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|कृष्ण-अर्जुन]]'बर्बरीक' [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] और नाग कन्या अहिलवती के पुत्र थे। [[महाभारत]] का युद्ध अपरिहार्य हो जाने पर [[बर्बरीक]] में भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जाग्रत हुई। जब वे अपनी माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने पहुँचे तो माँ को हारे हुये पक्ष का साथ देने का वचन दिया। [[श्रीकृष्ण]] पहले से ही जानते थे कि युद्ध में [[कौरव|कौरवों]] की पराजय होनी है, इसीलिए वह [[ब्राह्मण]] का रूप धारण कर बर्बरीक के पास आये। कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि- "वह युद्ध में किस ओर से सम्मिलित होगा"। बर्बरीक ने कहा कि- "युद्ध में वह उस ओर से भाग लेगा, जो कि निर्बल हो और हार की ओर अग्रसर हो"। इस पर ब्राह्मण वेशधारी कृष्ण ने बर्बरीक से दान की अभिलाषा व्यक्त की। वीर बर्बरीक ने उन्हें वचन दिया कि अगर वो उनकी अभिलाषा पूर्ण करने में समर्थ होगा तो अवश्य करेगा। कृष्ण ने उनसे शीश का दान माँगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीकृष्ण]], [[बर्बरीक]]
{[[शकुनि]] के [[पिता]] का नाम क्या था?(भारतकोश)
|type="()"}
+[[सुबल]]
-[[तन्तिपाल]]
-[[अंजनपर्वा]]
-[[विराट]]
||'सुबल' [[गान्धार|गान्धार देश]] के राजा थे। सौ [[कौरव|कौरवों]] की माता [[गान्धारी]] राजा [[सुबल]] की पुत्री थीं और [[शकुनि]] पुत्र थे, जिन्होंने पग-पग पर [[दुर्योधन]] को बहकाने का कार्य किया। सुबल तपोबल की कुछ महिमाएँ और मायावी विद्या का भी ज्ञान रखते थे। उन्होंने अपनी मृत्यु के पहले शकुनि को समझाया कि वह उनकी अस्थियों से पांसे बनाकर उनके द्वारा दुर्योधन से प्रतिकार करे। उन पांसों की यह विशेषता होगी कि जिस अंक की कामना से वह पांसा फेंका जायेगा, वही अंक प्रत्यक्ष हो जायेगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुबल]]
{निम्न में से किस [[ऋषि]] की पत्नी का नाम 'रेणुका' था?
|type="()"}
-[[अगस्त्य]]
+[[जमदग्नि]]
-[[कश्यप]]
-[[अत्रि]]
||'जमदग्नि' एक परम तेजस्वी [[ऋषि]], जो 'भृगुवंशी' ऋचीक के पुत्र थे तथा जिनकी गणना 'सप्तऋषियों' में होती है। इनकी पत्नी [[प्रसेनजित|राजा प्रसेनजित]] की पुत्री '[[रेणुका]]' थीं। भृगु वंशीय [[जमदग्नि]] के पुत्र [[परशुराम]] थे, जिन्हें भगवान [[विष्णु]] का [[अवतार]] माना जाता है। जमदग्नि की पत्नी रेणुका जब एक [[गन्धर्व]] पर आसक्त हो गईं, तब वे अपने पुत्रों को रेणुका का वध करने का आदेश देते हैं। परशुराम अपनी [[माता]] का सिर काट देते हैं, किंतु बाद में [[पिता]] से कहते हैं कि वह माता रेणुका को क्षमा करके पुन: उनकी चेतना लौटा दें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जमदग्नि]]
</quiz>
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Revision as of 10:06, 20 August 2013

1 महाभारत के अनुसार दु:शला निम्नलिखित में से किसकी बहन थी?

कर्ण
दुर्योधन
जन्मेजय
परीक्षित

2 दानवीर कर्ण का अन्य नाम क्या था?(133, 814)

प्रतर्दन
वैकर्तन
सुधंवा
सर्वदमन

3 निम्न में से किस राजा को 'महाबाहु', 'महाबली' और 'देवेन्द्र के समान तेज़ वाला' कहा गया है।

जरासंध
जयद्रथ
विराट
द्रुपद

4 युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अश्व का रंग कैसा था?(144, 893)

शुद्ध श्वेत
लाल
स्वर्णिम
श्याम

5 शकुनि के पिता का नाम क्या था?(भारतकोश)

सुबल
तन्तिपाल
अंजनपर्वा
विराट

6 दुर्योधन की मृत्यु भीम के साथ गदा युद्ध के कारण हुई। उसकी मृत्यु के समय उसके पास कौन-कौन खड़े थे?(144, 894)

अश्वत्थामा और कृपाचार्य
कृतवर्मा और कृपाचार्य
अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा
अश्वत्थामा और कृतवर्मा

7 कौरव सेना का अंतिम सेनापति कौन था?(144, 895)

कृपाचार्य
शल्य
अश्वत्थामा
कर्ण

8 दुर्योधन के शरीर को वज्र का किसने बनाया था?

गांधारी
सूर्य
धृतराष्ट्र
बलराम

9 निम्न में से किस ऋषि की पत्नी का नाम 'रेणुका' था?

अगस्त्य
जमदग्नि
कश्यप
अत्रि

10 निम्नलिखित में से किसने बर्बरीक से उसके सिर का दान माँगा था?(भारतकोश)

श्रीकृष्ण
द्रोणाचार्य
इन्द्र
देवी दुर्गा