विष्णुस्वामी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''विष्णुस्वामी''' दक्षिण भारत के प्रसिद्ध आचार्यों ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
Line 12: Line 12:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{दार्शनिक}}{{भारत के संत}}
{{दार्शनिक}}{{भारत के संत}}
[[Category:दार्शनिक]][[Category:हिन्दू धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:दार्शनिक]][[Category:हिन्दू धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 12:16, 21 March 2014

विष्णुस्वामी दक्षिण भारत के प्रसिद्ध आचार्यों में से एक थे। बाल्यकाल से ही उनके हृदय में धार्मिक संस्कार दृढ़ हो गये थे। विष्णुस्वामी का समय 13वीं शती अनुमान किया जाता है। इनके विषय में अधिक जानकारी का भी अभाव है।

  • विष्णुस्वामी नाम के आचार्य दक्षिण में प्रसिद्ध हैं, परन्तु उनके समय, स्थान तथा धार्मिक विश्वास के सम्बन्ध में इतना अधिक मतभेद है तथा उसे दूर करने की सामग्री इतनी स्वल्प है कि उनके सम्बन्ध में कुछ भी निश्चित रूप से कह सकना सम्भव नहीं जान पड़ता।
  • कहा जाता है कि विष्णुस्वामी द्रविड़ देश के किसी राजा के मन्त्री के पुत्र थे।
  • बाल्यकाल से ही विष्णुस्वामी के हृदय में धार्मिक संस्कार दृढ़ हो गये थे। स्वयं वंशीधारी किशोर श्याम ने उन्हें दर्शन देकर बताया था कि निराकार रूप के अतिरिक्त मेरा साकार रूप भी होता है। मुझे प्राप्त करने का सुगम उपाय साकार की भक्ति ही है। फलत: विष्णुस्वामी ने बालकृष्ण की मूर्ति की प्रतिष्ठा करायी और भक्ति का उपदेश देना प्रारम्भ किया।
  • भक्तमाल के उल्लेख के आधार पर विष्णुस्वामी का समय 13वीं शती अनुमान किया गया है, परंतु यह निर्णय बहुत मान्य नहीं कहा जा सकता।
  • विष्णुस्वामी नाम के कम-से-कम तीन भक्तों का पता चला है। इनमें से कौन विष्णुस्वामी 'शुद्धाद्वैत' के प्रतिपादक तथा भक्ति के 'रुद्रसम्प्रदाय' के संस्थापक थे, यह कहना सम्भव नहीं है। वस्तुस्थिति यह जान पड़ती है कि 'शुद्धाद्वैत' की प्राचीनता प्रमाणित करने के लिए ही उसका सम्बन्ध विष्णुस्वामी से जोड़ा जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख