जयललिता: Difference between revisions
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'''जयललिता जयराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jayalalithaa Jayaram'', जन्म:[[24 फ़रवरी]], [[1948]]) | '''जयललिता जयराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jayalalithaa Jayaram'', जन्म:[[24 फ़रवरी]], [[1948]]) [[तमिलनाडु]] की पूर्व [[मुख्यमंत्री]] एवं [[ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम]] (ए.आइ.ए.डी.एम.के.) पार्टी की नेता हैं। वे तमिल फ़िल्मों की [[अभिनेत्री]] भी थीं। जीवन के हर संघर्ष को मुंहतोड़ जवाब दे कर ही 'अम्मा' यानी '''जयललिता''' आज नारी शक्ति का प्राय बन गई हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
24 फ़रवरी, 1948 को जयललिता का जन्म एक 'अय्यर' परिवार में हुआ था। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के [[पिता]] जयराम, उन्हें माँ संध्या के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।<ref>{{cite web |url= http://uditbhargavajaipur.blogspot.com/2010/07/jaylalita.html|title=जयललिता (Jaylalita) |accessmonthday=23 मई |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher=अपने विचार |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | 24 फ़रवरी, 1948 को जयललिता का जन्म एक 'अय्यर' परिवार में हुआ था। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के [[पिता]] जयराम, उन्हें माँ संध्या के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।<ref>{{cite web |url= http://uditbhargavajaipur.blogspot.com/2010/07/jaylalita.html|title=जयललिता (Jaylalita) |accessmonthday=23 मई |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher=अपने विचार |language=[[हिन्दी]] }}</ref> |
Revision as of 07:03, 28 September 2014
जयललिता
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पूरा नाम | जयललिता जयराम |
जन्म | 24 फ़रवरी, 1948 |
जन्म भूमि | मैसूर |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम |
पद | तमिलनाडु की चार बार मुख्यमंत्री |
कार्य काल | 24 जून 1991 – 12 मई 1996 14 मई 2001 – 21 सितम्बर 2001 |
भाषा | तमिल, तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेज़ी, हिंदी |
अन्य जानकारी | तमिल फ़िल्मों की अभिनेत्री भी थीं तथा इन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और हिन्दी भाषा की लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया। |
अद्यतन | 16:01, 24 फ़रवरी 2013 (IST)
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जयललिता जयराम (अंग्रेज़ी: Jayalalithaa Jayaram, जन्म:24 फ़रवरी, 1948) तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री एवं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (ए.आइ.ए.डी.एम.के.) पार्टी की नेता हैं। वे तमिल फ़िल्मों की अभिनेत्री भी थीं। जीवन के हर संघर्ष को मुंहतोड़ जवाब दे कर ही 'अम्मा' यानी जयललिता आज नारी शक्ति का प्राय बन गई हैं।
जीवन परिचय
24 फ़रवरी, 1948 को जयललिता का जन्म एक 'अय्यर' परिवार में हुआ था। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ संध्या के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।[1]
फ़िल्मों में प्रवेश
जयललिता ने सिर्फ़ 15 साल की उम्र में परिवार को चलाने के लिए फ़िल्मों का रुख़ कर लिया। उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फ़िल्म 'वेन्नीरादई' से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और हिन्दी फ़िल्मों में भी काम किया है।
राजनीति में प्रवेश
thumb|left|250px|जयललिता (अभिनेत्री रूप) पार्टी के अंदर और सरकार में रहते हुए मुश्किल और कठोर फ़ैसलों के लिए मशहूर जयललिता को तमिलनाडु में 'आयरन लेडी' और तमिलनाडु की 'मारग्रेट थैचर' भी कहा जाता है। कम उम्र में पिता के गुजर जाने के बाद जयललिता को पूर्व अभिनेता और नेता एम. जी. रामचंद्रन 1982 में राजनीति में लाए। उसी साल वह ए.आई.ए.डी.एम.के. के टिकट पर राज्यसभा के लिए मनोनीत की गईं और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।[2]
मुख्यमंत्री का पद
1991 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई। इसके बाद चुनाव में जयललिता ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा। लोगों में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था, क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया।[2]
कार्यक्षमता
2001 में जब वह दोबारा सत्ता में आईं, तब उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की मुफ़्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में चावल की क़ीमत बढ़ा दी, 5000 रुपये से ज़्यादा कमाने वालों के राशन कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। लेकिन 2004 के लोक सभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे दी और किसानों की मुफ़्त बिजली भी बहाल हो गई। उन्हें अपनी आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं है और इस वजह से उन्होंने कई अखबारों के ख़िलाफ़ मानहानि के मुक़दमे कर रखे हैं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जयललिता (Jaylalita) (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.) अपने विचार। अभिगमन तिथि: 23 मई, 2011।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 अभिनेत्री से अम्मा तक जयललिता का सफर (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 23 मई, 2011।
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