रणजी: Difference between revisions
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रणजी
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व्यक्तिगत परिचय
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पूरा नाम | कुमार श्री रणजीतसिंह | ||
अन्य नाम | रणजी, स्मिथ, रणजीतसिंहजी | ||
जन्म | 10 सितम्बर, 1875 | ||
जन्म भूमि | सरोदर, काठियावाड़, गुजरात | ||
पत्नी | अविवाहित | ||
मृत्यु | 2 अप्रॅल, 1933 (आयु- 60 वर्ष) | ||
मृत्यु स्थान | जामनगर, गुजरात | ||
खेल परिचय
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टीम | इंग्लैंड, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन काउंटी, ससेक्स | ||
भूमिका | दाएँ हाथ के बल्लेबाज़ | ||
पहला टेस्ट | 16 जुलाई, 1896 विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया | ||
आख़िरी टेस्ट | 16 जुलाई, 1902 विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया | ||
कैरियर आँकड़े
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प्रारूप | टेस्ट क्रिकेट | एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय | प्रथम श्रेणी |
मुक़ाबले | 15 | 307 | |
बनाये गये रन | 989 | 24,692 | |
बल्लेबाज़ी औसत | 44.95 | 56.37 | |
100/50 | 2 / 6 | 72 / 109 | |
सर्वोच्च स्कोर | 175 | 285 | |
फेंकी गई गेंदें | 97 | 8056 | |
विकेट | 1 | 133 | |
गेंदबाज़ी औसत | 39.00 | 34.59 | |
पारी में 5 विकेट | - | 4 | |
मुक़ाबले में 10 विकेट | - | - | |
सर्वोच्च गेंदबाज़ी | 1/23 | 6/53 | |
कैच/स्टम्पिंग | 13 | ||
अन्य जानकारी | भारत में उनकी स्मृति में 'रणजी टॉफ़ी' प्रतियोगिता शुरू की गई। इसे क्रिकेट की राष्ट्रीय प्रतियोगिता माना जाता है। | ||
बाहरी कड़ियाँ | Cricinfo | ||
अद्यतन | 13:21, 8 अप्रॅल 2013 (IST)
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कुमार श्री रणजीतसिंहजी (अंग्रेज़ी:Kumar Shri Ranjitsinhji, जन्म: 10 सितम्बर, 1875 - मृत्यु:2 अप्रॅल, 1933) को भारतीय क्रिकेट का जादूगर कहा जाता है और उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी माना जाता है।
जीवन परिचय
कुमार रणजीतसिंह जी का जन्म 10 सितम्बर, 1875 को गुजरात के जामनगर के पास एक गाँव में हुआ। अपने छात्र जीवन में वे क्रिकेट के अतिरिक्त फुटबॉल व टेनिस भी खेलते थे। रणजीतसिंह 'रणजी' से ज़्यादा लोकप्रिय हुए थे। रणजी जीवन भर अविवाहित रहे। जब-जब भी विवाह का प्रसंग आता तब-तब वह मज़ाक में यह कहते कि
'क्रिकेट ही मेरी जीवन संगिनी है।'
रिकार्ड
रणजी ने अपने जीवनकाल में क्रिकेट के प्रथम श्रेणी मैचों में 72 शतक बनाये। अंग्रेज़ उन्हें रणजी के नाम से ही पुकारते थे। उन्होंने सन् 1899 में 3,159 और 1900 में 3,069 रन बनाए थे। 1896 में मानचेस्टर में इंग्लैण्ड की ओर से आस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेलते हुए इन्होंने पहले टेस्ट में ही अपना शतक पूरा करा लिया था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण उन्होंने क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। विश्व-विख्यात क्रिकेट समीक्षक नेविल कार्डस ने श्री रणजीतसिंह का खेल देखने के बाद लिखा था-
"ब्रिटेन के मैदानों में पहली बार पूर्व की किरण दिखाई दी। उन दिनों क्रिकेट का खेल बिल्कुल सीधा खेल माना जाता था। यानी वह गुड लेंग्थ का गेंद और सीधी बल्लेबाजी का खेल था। तब क्रिकेट के खेल को केवल अंगेज़ों का खेल ही माना जाता था। अचानक इंग्लैण्ड के मैदान में पूर्व के एक व्यक्ति ने ऐसा रंग जमाया कि सब ने एक मत होकर यह स्वीकार किया कि ऐसा खिलाड़ी तो आज तक इंग्लैण्ड में भी पैदा नहीं हुआ। इस व्यक्ति का खेल सचमुच ही अद्भुत था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण वह सीधे बॉल को ऐसे घुमाता था देखने वाले देखते रह जाते थे और कहते- 'लो... वह बॉल आया और लो...वह बाउंड्री भी पार कर गया।' उस अद्भुत बल्लेबाज़ी का रहस्य कोई नहीं जान सका। गेंदबाज़ स्तब्ध खड़ा हो जाता और अपनी दोनों बांहों में बॉल को दबाकर यह सोचने लगता कि आखिर यह कैसे हो गया?"
ऐतिहासिक वर्ष
सन 1900 रणजी के जीवन का ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण वर्ष माना जाता है। इसी वर्ष उन्होंने पाँच अवसरों पर 200 से अधिक (दोहरा शतक) और छह अवसरों पर सौ से अधिक रन बनाए। अपने जीवन में उन्होंने 500 पारियाँ खेलीं। इनमें से 62 बार वह आखिर तक आउट नहीं हुए। उन्होंने 56.27 की औसत से कुल 24,642 रन बनाए। रन बनाने की उनकी औसत रफ़्तार 50 रन प्रति घण्टा थी।
मृत्यु
रणजी की मृत्यु 2 अप्रॅल, 1933 को हुई। भारत में उनकी स्मृति में रणजी टॉफी प्रतियोगिता शुरू की गई। इसे क्रिकेट की राष्ट्रीय प्रतियोगिता माना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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