प्रगटीं गिरिन्ह बिबिधि मनि खानी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
 
Line 37: Line 37:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ
;भावार्थ
समस्त जगत के [[आत्मा]] भगवान्‌ को जगत का राजा जानकर [[पर्वत|पर्वतों]] ने अनेक प्रकार की मणियों की खानें प्रकट कर दीं। सब नदियाँ श्रेष्ठ, शीतल, निर्मल और सुखप्रद स्वादिष्ट [[जल]] बहाने लगीं॥।4॥   
समस्त जगत् के [[आत्मा]] भगवान्‌ को जगत् का राजा जानकर [[पर्वत|पर्वतों]] ने अनेक प्रकार की मणियों की खानें प्रकट कर दीं। सब नदियाँ श्रेष्ठ, शीतल, निर्मल और सुखप्रद स्वादिष्ट [[जल]] बहाने लगीं॥।4॥   
{{लेख क्रम4| पिछला=लता बिटप मागें मधु चवहीं |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सागर निज मरजादाँ रहहीं}}
{{लेख क्रम4| पिछला=लता बिटप मागें मधु चवहीं |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सागर निज मरजादाँ रहहीं}}



Latest revision as of 13:46, 30 June 2017

प्रगटीं गिरिन्ह बिबिधि मनि खानी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
चौपाई

प्रगटीं गिरिन्ह बिबिधि मनि खानी। जगदातमा भूप जग जानी॥
सरिता सकल बहहिं बर बारी। सीतल अमल स्वाद सुखकारी॥4॥

भावार्थ

समस्त जगत् के आत्मा भगवान्‌ को जगत् का राजा जानकर पर्वतों ने अनेक प्रकार की मणियों की खानें प्रकट कर दीं। सब नदियाँ श्रेष्ठ, शीतल, निर्मल और सुखप्रद स्वादिष्ट जल बहाने लगीं॥।4॥


left|30px|link=लता बिटप मागें मधु चवहीं|पीछे जाएँ प्रगटीं गिरिन्ह बिबिधि मनि खानी right|30px|link=सागर निज मरजादाँ रहहीं|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख