कुलधारा: Difference between revisions

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लगभग 200 [[वर्ष]] पहले कुलधारा गाँव की नीव रखी गयी थी और गाँव के निर्माण के वक़्त [[वास्तुकला]] के चरम का इस्तेमाल किया गया था। कहते हैं कि इस गाँव के घरों में दरवाजे या किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।[[चित्र:Kuldhara-Heritage-Village- Jaisalmer.jpg|thumb|250px|कुलधारा गाँव, [[जैसलमेर]]]] गाँव को इस प्रकार बनाया गया था कि गाँव का मुख्‍य प्रवेश द्वार और गाँव के घरों के बीच बहुत लंबा फ़ासला हुआ करता था। लेकिन गाँव के निर्माण के वक़्त ऐसी [[ध्वनि]] प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था कि गाँव के मुख्य प्रवेश द्वार से ही क़दमों की आवाज़ गाँव में घरों तक पहुंच जाती थी। इसलिए यहां के लोगों में कभी भी चोरी और डकैती का खतरा नहीं रहता था। अगर इस गाँव के आसपास रह रहे लोगों की मानें तो उस समय कुलधारा के ये घर झरोखों और मोखरों के ज़रिए आपस में जुड़े थे और घरों के भीतर पानी के कुंडों और सीढ़ियों का बड़ी ही कुशलता के साथ निर्माण किया गया था। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार इस गाँव के घर ऐसे बने थे कि बहने वाली हवाएं सीधे घर के भीतर से होकर गुज़रती थीं और [[रेगिस्तान]] में होने के बावजूद ये घर बेहद ठंडे होते थे।
लगभग 200 [[वर्ष]] पहले कुलधारा गाँव की नीव रखी गयी थी और गाँव के निर्माण के वक़्त [[वास्तुकला]] के चरम का इस्तेमाल किया गया था। कहते हैं कि इस गाँव के घरों में दरवाजे या किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।[[चित्र:Kuldhara-Heritage-Village- Jaisalmer.jpg|thumb|250px|कुलधारा गाँव, [[जैसलमेर]]]] गाँव को इस प्रकार बनाया गया था कि गाँव का मुख्‍य प्रवेश द्वार और गाँव के घरों के बीच बहुत लंबा फ़ासला हुआ करता था। लेकिन गाँव के निर्माण के वक़्त ऐसी [[ध्वनि]] प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था कि गाँव के मुख्य प्रवेश द्वार से ही क़दमों की आवाज़ गाँव में घरों तक पहुंच जाती थी। इसलिए यहां के लोगों में कभी भी चोरी और डकैती का खतरा नहीं रहता था। अगर इस गाँव के आसपास रह रहे लोगों की मानें तो उस समय कुलधारा के ये घर झरोखों और मोखरों के ज़रिए आपस में जुड़े थे और घरों के भीतर पानी के कुंडों और सीढ़ियों का बड़ी ही कुशलता के साथ निर्माण किया गया था। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार इस गाँव के घर ऐसे बने थे कि बहने वाली हवाएं सीधे घर के भीतर से होकर गुज़रती थीं और [[रेगिस्तान]] में होने के बावजूद ये घर बेहद ठंडे होते थे।
====वीरान गाँव====
====वीरान गाँव====
कुलधारा गाँव को वीरान हुए काफ़ी समय व्यतीत हो चुका है, किंतु फिर भी आज तक ये गाँव भुतहा और वीरान है। आज भी जब यहां कोई जाता है तो वह एक अजब से डर और घबराहट का सामना करता है। यहां आने वालों के मुताबिक जैसे-जैसे आप इस गाँव के [[खंडहर]] में चलते जाएंगे, आपको एक अजीब-सी ठंड और बेचैनी का एहसास होगा।
कुलधारा गाँव को वीरान हुए काफ़ी समय व्यतीत हो चुका है, किंतु फिर भी आज तक ये गाँव भुतहा और वीरान है। आज भी जब यहां कोई जाता है तो वह एक अजब से डर और घबराहट का सामना करता है। यहां आने वालों के मुताबिक़ जैसे-जैसे आप इस गाँव के [[खंडहर]] में चलते जाएंगे, आपको एक अजीब-सी ठंड और बेचैनी का एहसास होगा।





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कुलधारा
विवरण 'कुलधारा' राजस्थान का एक ऐतिहासिक ग्राम है, जो लगभग 200 सौ वर्षों से वीरान पड़ा है। जहाँ पर्यटकों को सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही जाने की अनुमति है।
राज्य राजस्थान
ज़िला जैसलमेर
प्रसिद्धि पर्यटन स्थल
संबंधित लेख राजस्थान, जैसलमेर, राजस्थान का इतिहास विशेष कुलधारा गाँव के निर्माण के वक़्त वास्तुकला के चरम का इस्तेमाल किया गया था। कहते हैं कि इस गाँव के घरों में दरवाजे या किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।
बाहरी कड़ियाँ माना जाता है कि यह गाँव शापित है। भानगढ़ के क़िले की तरह यह गाँव भी अचानक ही एक रात में विरान हो गया। उसके बाद से इस गाँव में कोई भी बस नहीं पाया।

कुलधारा राजस्थान के जैसलमेर शहर से 25 कि.मी. की दूरी पर स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्राम है। यह एक डरावना गाँव है, जहाँ पर्यटकों को सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही जाने की अनुमति है। 200 वर्ष पुराने मिट्टी के घरों को यहाँ देखा जा सकता है। इतिहास के अनुसार, इस गाँव में लगभग 500 वर्षों के लिए पालीवाल ब्राह्मण बसे थे। यहाँ के क्रूर शासकों द्वारा उन्हें इस गाँव को छोड़ने पर मजबूर किया गया। इसलिए लोगों का मानना है कि इस गाँव को पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा शाप दिया गया था।[1]

इतिहास

जैसलमेर से क़रीब 25 किलोमीटर की दूरी पर कुलधारा गाँव है। माना जाता है कि यह गाँव शापित है। भानगढ़ के क़िले की तरह यह गाँव भी अचानक ही एक रात में विरान हो गया। उसके बाद से इस गाँव में कोई भी बस नहीं पाया। इस गाँव के विराने में भी भानगढ़ के किले की तरह एक खूबसूरत लड़की की दास्तान छुपी हुई है। माना जाता है कि 1825 के आस-पास कुलधारा पालीवाल ब्राह्मणों का गाँव हुआ करता था। पालीवाल ब्राह्मणों के पूर्वजों का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि पालीवाल ब्रह्मण इनके पुरोहित हुआ करते थे। लेकिन जबकि यह घटना है, उन दिनों पालीवाल किसान हुआ करते थे। यह कृषि के अलावा भवन निर्माण कला में निपुण थे। राज्य के दूसरे गाँवों से यह गाँव खुशहाल और संपन्न हुआ करता था।[2] [[चित्र:Kuldhara-6.jpg|150px|left|thumb|कुलधारा, राजस्थान]]

किंवदंती

कहा जाता है कि कुलधारा गाँव के मुखिया के 18 वर्ष की बहुत ही सुन्दर कन्या थी। एक दिन गाँव के दौरे के दौरान रियासत के मंत्री सलीम सिंह की नजर उस लड़की पर पड़ी। उसने मुखिया से मिलकर उससे विवाह करने की इच्छा जाहिर की। परन्तु मुखिया ने इसे ठुकरा दिया। इस पर सलीम सिंह ने गाँव पर भारी टैक्स लगाने और गाँव बरबाद करने की चेतावनी दी। इस घटना से क्रोधित कुलधारा तथा आसपास के 83 गाँवों के निवासियों ने लड़की का सम्मान बचाने के लिए इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ने का निश्चय किया। उन्होंने उसी रात को अपने पूरे घर-परिवार और सामान सहित गाँव छोड़ दिया और कहीं चले गए। उन्हें जाते हुए न तो किसी ने देखा और न ही किसी को पता चला कि वे सब कहां गए।

यह भी कहा जाता है कि उन्होंने जाते समय गाँव को श्राप दिया कि उनके जाने के बाद कुलधारा में कोई नहीं बस सकेगा। अगर किसी ने ऐसा दुस्साहस किया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। तब से यह गाँव आज तक इसी तरह सुनसान और वीरान पड़ा हुआ है। हालांकि किसी जमाने में शानदार हवेलियों के लिए मशहूर कुलधारा में अब सिर्फ खंडहर ही बचे हैं, लेकिन यहाँ जाकर रहने की किसी को इजाजत नहीं है।[3]

वास्तुकला

लगभग 200 वर्ष पहले कुलधारा गाँव की नीव रखी गयी थी और गाँव के निर्माण के वक़्त वास्तुकला के चरम का इस्तेमाल किया गया था। कहते हैं कि इस गाँव के घरों में दरवाजे या किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।[[चित्र:Kuldhara-Heritage-Village- Jaisalmer.jpg|thumb|250px|कुलधारा गाँव, जैसलमेर]] गाँव को इस प्रकार बनाया गया था कि गाँव का मुख्‍य प्रवेश द्वार और गाँव के घरों के बीच बहुत लंबा फ़ासला हुआ करता था। लेकिन गाँव के निर्माण के वक़्त ऐसी ध्वनि प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था कि गाँव के मुख्य प्रवेश द्वार से ही क़दमों की आवाज़ गाँव में घरों तक पहुंच जाती थी। इसलिए यहां के लोगों में कभी भी चोरी और डकैती का खतरा नहीं रहता था। अगर इस गाँव के आसपास रह रहे लोगों की मानें तो उस समय कुलधारा के ये घर झरोखों और मोखरों के ज़रिए आपस में जुड़े थे और घरों के भीतर पानी के कुंडों और सीढ़ियों का बड़ी ही कुशलता के साथ निर्माण किया गया था। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार इस गाँव के घर ऐसे बने थे कि बहने वाली हवाएं सीधे घर के भीतर से होकर गुज़रती थीं और रेगिस्तान में होने के बावजूद ये घर बेहद ठंडे होते थे।

वीरान गाँव

कुलधारा गाँव को वीरान हुए काफ़ी समय व्यतीत हो चुका है, किंतु फिर भी आज तक ये गाँव भुतहा और वीरान है। आज भी जब यहां कोई जाता है तो वह एक अजब से डर और घबराहट का सामना करता है। यहां आने वालों के मुताबिक़ जैसे-जैसे आप इस गाँव के खंडहर में चलते जाएंगे, आपको एक अजीब-सी ठंड और बेचैनी का एहसास होगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुलधारा (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 07 सितम्बर, 2014।
  2. 200 सालों से विरान एक गाँव, जहां रात में जाना मना है (हिन्दी) अमर उजाला.कॉम। अभिगमन तिथि: 07 सितम्बर, 2014।
  3. एक लड़की की इज्जत बचाने के लिए श्मशान बने 84 गाँव (हिन्दी) पत्रिका। अभिगमन तिथि: 07 सितम्बर, 2014।

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